बीमा अभिकर्ताओं के लिए पुरानी कमीशन पद्धति लागू हो
भागलपुर में बीमा अभिकर्ताओं ने भारतीय जीवन बीमा निगम में कमीशन में कमी और पॉलिसी सरेंडर पर वापसी की नीति का विरोध किया है। उन्होंने पुरानी कमिशन पद्धति लागू करने और बीमाधारकों के लिए जीएसटी समाप्त...

भागलपुर। बीमा क्षेत्र की सफलता में बीमा अभिकर्ताओं की महत्वपूर्ण सहभागिता रहती है। लेकिन व्यवस्था में बदलाव से नाराजगी भी है। उसमें बदलाव की मांग लगातार की जा रही है। भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता संघ शाखा दो भागलपुर के अध्यक्ष निखिल चन्द्र झा ने बताया कि भागलपुर में भारतीय जीवन बीमा की दो शाखाओं में करीब तीन हजार बीमा अभिकर्ता हैं। शाखा दो से करीब सात से अभिकर्ता जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि अभिकर्ताओं ने दिन-रात एक कर भारतीय जीवन बीमा निगम को बुलंदी पर पहुंचाया है। भारतीय जीवन बीमा देश में आज जिस जगह पर है उसमें अभिकर्ताओं की भी महत्वपूर्ण भागीदारी है। अक्टूबर 2024 में कमिशन में बदलाव किया गया। पूर्व में मिल रहे कमिशन में पांच प्रतिशत की कमी कर दी गयी है। इससे बीमा अभिकर्ताओं को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। अभिकर्ता भी प्रबंधन का महत्वपूर्ण अंग होता है। प्रबंधन अभिकर्ताओं के हित में पुरानी कमिशन पद्धति को लागू की जाए। जिससे अभिकर्ता उत्साहित और लगन से अपना कर्तव्य पूरा करेंगे। उन्होंने बताया कि अगर बीमाधारक पांच साल के अंदर अपनी पॉलिसी को सरेंडर कर देंगे तो कमिशन अभिकर्ता से वापस लेने का प्रावधान किया गया है। अक्टूबर में इस नियम को लागू किया गया है। जिसका बीमा अभिकर्ता लगातार विरोध कर रहे हैं। यह बीमाधारकों के हित में नहीं है। प्रबंधन को बीमा अभिकर्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए क्लो बैंक नियम को वापस लेना चाहिए। बीमाधारक को पॉलिसी पर कर्ज देने का प्रावधान है। उसकी ब्याज दर में कमी होनी चाहिए। वर्तमान में 9.5 प्रतिशत ब्याज लेने का प्रावधान है। क्रमवार इसमें वृद्धि होती है। बीमाधारक को जब उसके बीमा की राशि पर ही कर्ज दिया जाता है तो ब्याज दर कम होनी चाहिए। ब्याज दर कम करने की मांग लंबे समय से की जा रही है।
भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता संघ शाखा दो भागलपुर के सचिव सच्चिदानंद रजक ने बताया कि जीएसटी को प्रीमियम से हटाना चाहिए। बीमाधारकों से पॉलिसी का किस्त लिया जाता है। उसे जीएसटी से मुक्त करना चाहिए। बीमा के माध्यम से सुरक्षा दे रहे हैं तो उसमें जीएसटी का प्रावधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि बीमाधारकों के बोनस में वृद्धि होनी चाहिए। इससे बीमाधारकों को लाभ होगा। इससे बीमाधारक प्रोत्साहित होकर बीमा करायेंगे। इससे राष्ट्र मजबूत होगा। संघ के पूर्व अध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि किस्त जमा करने में देरी होने पर विलंब शुल्क लिया जाता है। विलंब शुल्क की राशि कम होनी चाहिए। ज्यादा विलंब शुल्क लेने से बीमाधारकों को आर्थिक नुकसान होता है। वर्तमान में नौ प्रतिशत सालाना विलंब शुल्क लिया जाता है। इससे बीमाधारक हतोत्साहित होते हैं और बीमा कराने में रुचि कम होने लगती है। अभिकर्ताओं का अस्तित्व बीमाधारकों से जुड़ा रहता है। भारतीय जीवन बीमा को आगे बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। बीमा अभिकर्ताओं को पेंशन की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि वृद्ध होने पर अपना भरण-पोषण ठीक तरीके से कर सकें। अपनी पूरी जिन्दगी अभिकर्ता बीमा क्षेत्र में लगा देते हैं। अभिकर्ता युवराज कुमार ने बताया कि बीमाधारकों को बीमा कराने के लिए उम्रसीमा बढ़ानी चाहिए। अधिकांश योजनाओं में उम्र सीमा 50 वर्ष कर दिया गया है। 2013 में सभी प्लान में उम्र सीमा 65 वर्ष थी। धीरे-धीरे उम्र सीमा को कम कर दिया गया है। उम्र सीमा बढ़ने से बीमाधारक और बीमा अभिकर्ताओं को लाभ मिलेगा। भारतीय जीवन बीमा निगम को आगे बढ़ाने के लिए अभिकर्ता जी-जान लगा देते हैं। जब भी प्रबंधन द्वारा बीमा के क्षेत्र में किसी प्रकार की अपील की जाती है तो अभिकर्ता उसे पूरा करते हैं। प्रबंधन को भी अभिकर्ताओं की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। अभिकर्ता घर-घर जाकर बीमाधारकों से मिलते हैं। उन्हें बीमा से होने वाले लाभ की जानकारी देते हैं। बीमाधारकों की सहमति से बीमा कराया जाता है। यही कारण है कि अन्य संस्थानों से कम एलआईसी का बीमा लैप्स करता है। बीमा अभिकर्ताओं का कहना है कि प्रबंधन को अभिकर्ताओं के हित में निर्णय लेना चाहिए। ताकि उत्साहपूर्वक पर काम कर सकें। इसका लाभ भारतीय जीवन बीमा निगम को ही होगा।
अभिकर्ताओं के हित में वापस होनी चाहिए क्लॉबैक की पॉलिसी
भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता संघ भागलपुर शाखा दो के अध्यक्ष निखिल चन्द्र झा ने बताया कि क्लॉबैक की पॉलिसी वापस होनी चाहिए, जिससे अभिकर्ताओं को बड़ी राहत मिले। क्लॉबैक नियम के कारण बीमा कंपनी को यह अधिकार होता है कि समय से पूर्व बीमाधारक द्वारा पॉलिसी सरेंडर करने पर कंपनी अभिकर्ता के अर्जित कमिशन को वापस ले सकती है। ऐसा करने से अभिकर्ताओं को आर्थिक रूप से काफी नुकसान होता है। पुरानी कमिशन पद्धति लागू करने से अभिकर्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी। कंपनी द्वारा बीमाधारक की उम्र सीमा में वृद्धि की जानी चाहिए, जिससे एक निश्चित आयुवर्ग के लोगों को इसका लाभ मिल सके। वर्ष 2013 तक बीमाधारक की अधिकतम उम्र सीमा 65 वर्ष थी। जिसे घटाकर 50 वर्ष कर दिया गया है।
बीमाधारकों को जीएसटी से मुक्त किया जाए
भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता संघ भागलपुर शाखा दो के सचिव सच्चिदानंद रजक ने बताया कि सामान्य बीमा और टर्म प्लान में प्रीमियम से जीएसटी पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए। अभी सामान्य बीमा के फर्स्ट इंस्टॉलमेंट और टर्म प्लान में 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है। इसके अलावा बीमा लोन की ब्याज दर कम की जानी चाहिए। इससे बीमाधारकों को राहत मिलेगी। अभिकर्ताओं का ग्रुप इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस की राशि में वृद्धि कर 25 लाख रुपये करना चाहिए। फिलहाल अलग-अलग क्लब मेंबर के अनुसार बीमा का लाभ दिया जाता है। कंपनी और बीमाधारक के बीच की कड़ी अभिकर्ताओं के भविष्य को देखते हुए उनके लिए पेंशन के स्वरूप में कोई प्रावधान किया जाना चाहिए।
बीमाधारकों के हित में बढ़ाया जाय बीमा का बोनस
भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता संघ भागलपुर शाखा दो के पूर्व अध्यक्ष शंकर प्रसाद साह ने बताया कि बीमाधारक के बीमा का बोनस बढ़ाया जाना चाहिए। इससे बीमाधारकों में उत्साह होगा और इसका लाभ कंपनी को मिलेगा। बीमाधारकों के प्रीमियम से जीएसटी की व्यवस्था को खत्म करना चाहिए। इसके अलावा बीमाधारकों से ऋण पर जो ब्याज लिया जा रहा है, उसका रेट कम करना चाहिए। बीमाधारक अपनी जमाराशि पर ही ऋण लेते हैं। ऐसे में कंपनी को बीमाधारकों के हितों का ध्यान रखना चाहिए। बीमा अभिकर्ता दिन-रात कंपनी के विकास के लिए काम करते हैं। बीमा कराने से अभिकर्ताओं को भी आर्थिक लाभ होता है। लेकिन वृद्ध होने पर अभिकर्ताओं के आय का कोई साधन नहीं रहता है। बीमा अभिकर्ताओं को पेंशन देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
न्यूनतम बीमाधन की सीमा बढ़ाए जाने से परेशानी
भारतीय जीवन बीमा अभिकर्ता संघ शाखा दो के संयुक्त सचिव प्रकाश कुमार चौधरी ने बताया कि न्यूनतम बीमाधन पहले की तरह एक लाख होना चाहिए। जबकि अभी इसे बढ़ाकर दो लाख कर दिया गया है। इसके कारण बीमा अभिकर्ता को नया बीमा करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीमाधन बढ़ जाने से गरीब तबके के बीमाधारक बीमा कराने से कतराते हैं। जिसके कारण अभिकर्ता, बीमा कंपनी और बीमाधारकों का नुकसान हो रहा है। प्रीमियम की रकम में भी काफी बढ़ोतरी कर दी गई है, जबकि कमिशन कम कर दिया गया है। बीमा धन के साथ अभिकर्ताओं को मिलने वाला कमिशन पहले की तरह ही मिलते रहना चाहिए। बड़े व्यवसायी, नौकरीपेशा लोग और छोटे व्यवसाय से जुड़े लोग अपनी क्षमता के अनुसार बीमा कराते हैं। प्रबंधक को इस पर ध्यान देना चाहिए।
पांच साल के अंदर पॉलिसी सरेंडर करने पर अभिकर्ता का कमिशन वापस लेने का प्रावधान है। ऐसा नियम लागू होने से अभिकर्ताओं को आर्थिक नुकसान होगा। प्रबंधन को बीमा अभिकर्ताओं के हित में इस तरह के प्रावधान को नहीं लागू करना चाहिए।
रंजीत कुमार पांडेय
बीमाधारकों से विलंब शुल्क कम लेने की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे बीमाधारकों पर आर्थिक बोझ कम होगा। बीमाधारक अपने बीमा को जारी रखने में सहज महसूस करेंगे। कई बार समय सीमा खत्म हो जाने के बाद लगने वाले अधिक जुर्माना राशि के कारण भी बीमाधारक पैसे जमा नहीं करा पाते हैं।
यमुना चौधरी
बीमाधारक की उम्र सीमा बढ़ाई जानी चाहिए। पहले 65 वर्ष उम्रसीमा थी। अक्टूबर 2024 में इसे घटाकर 50 वर्ष कर दिया गया है। बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगने से परेशानी होती है, इसलिए इसे हटाया जाना चाहिए।
संतोष गुप्ता
पुरानी कमिशन पद्धति लागू की जानी चाहिए। जिससे अभिकर्ताओं को आर्थिक रूप से नुकसान नहीं हो। कमिशन की राशि कम किए जाने से बीमा अभिकर्ताओं को नुकसान होता है। बीमाधारक और अभिकर्ता इस कंपनी की रीढ़ हैं।
एपीएस कमल
न्यूनतम बीमाधन एक से बढ़ाकर दो लाख कर दिया गया है। इससे ग्राहकों की परेशानी बढ़ गई है। माइक्रो बचत प्लान का बीमाधारकों को कोई खास फायदा नहीं मिल पाता है। इसके कारण माइक्रो बचत सेल नहीं हो रहा है। अभिकर्ताओं के द्वारा शिकायत के लिए एक विभाग होना चाहिए।
राजेश कुमार
बीमाधारक को पॉलिसी पर जो लोन दिया जाता है, उसमें 9.50 से 10 प्रतिशत तक ब्याज लिया जाता है। इस ब्याज दर में कमी की जानी चाहिए। ब्याज दर में कमी होने से बीमाधारक बीमा कराने के प्रति उत्साहित होंगे।
धर्मेन्द्र गोस्वामी
बीमाधारकों से पॉलिसी का किस्त लिया जाता है। उसे जीएसटी से मुक्त करना चाहिए। बीमा के माध्यम से सुरक्षा दे रहे हैं तो उसमें जीएसटी का प्रावधान नहीं होना चाहिए। बीमाधारकों के बोनस में वृद्धि होनी चाहिए। इससे बीमाधारकों को लाभ होगा।
गणेश चन्द्र झा
बीमा अभिकर्ताओं के कमिशन में कमी कर दी गयी है। इससे अभिकर्ताओं को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। भारतीय जीवन बीमा निगम पूर्व के कमिशन पद्धति को लागू करे। अभिकर्ता बीमा कराने के लिए दिन-रात लगे रहते हैं।
राकेश कुमार
अभिकर्ता किसी तरह की असुविधा होने पर वे अपनी शिकायत या सुझाव दर्ज करा सकें, इसके लिए एक फोरम होना चाहिए। किसी दूसरी शाखा में अभिकर्ता को काम कराने में दिक्कत होने पर अपनी शिकायत दर्ज नहीं करा सकते हैं।
राज कुमार सुमन
बीमा के क्षेत्र में लोगों का भरोसा जीतने वाली कंपनी को अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए बीमाधारक के साथ अभिकर्ताओं की सुविधा और आय को ध्यान में रखकर नीति बनानी चाहिए। ग्राहकों और अभिकर्ताओं का नुकसान होने से इसका सीधा असर कंपनी के व्यवसाय पर पड़ता है।
कुमोद कुमार सिंह
बीमाधारकों की उम्र सीमा लगातार कम किया जा रहा है। इससे बीमाधारक ही नहीं, बीमा अभिकर्ताओं को भी नुकसान हो रहा है। बीमाधारकों की उम्र सीमा को बढ़ाने की जरूरत है। प्रबंधन को इस पर निर्णय लेना चाहिए। इससे भारतीय जीवन बीमा निगम और अभिकर्ताओं को भी लाभ होगा।
मुकेश कुमार आचार्य
बीमाधारक के लिए उम्र सीमा बढ़ायी जानी चाहिए। अभिकर्ताओं के लिए पेंशन की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए, ताकि एक उम्र पार करने और शारीरिक रूप से अधिक सक्षम नहीं रहने पर एक निश्चित राशि का लाभ मिल सके।
युवराज कुमार
समस्या
1.न्यूनतम बीमाधन एक से बढ़ाकर दो लाख कर दिया गया है। इससे ग्राहकों की परेशानी बढ़ गई है।
2.बीमा की अधिकतम आयु सीमा को 65 वर्ष से कम कर 50 वर्ष कर दिया गया है। इससे अभिकर्ता के साथ आमलोगों को भी परेशानी होगी।
3.पांच साल के पहले पॉलिसी सरेंडर करने पर बीमा अभिकर्ता का कमिशन वापस लेने के निर्णय से अभिकर्ताओं को नुकसान हो रहा है।
4.प्रीमियम की राशि बढ़ा दिए जाने से बीमा कराने वालों की संख्या में कमी आ रही है।
5.बीमा अभिकर्ता का कमिशन 25 से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है, इससे आर्थिक रूप से परेशानी बढ़ गई है।
सुझाव
1.भविष्य को ध्यान में रखते हुए अभिकर्ताओं के लिए सरकार को पेंशन की व्यवस्था लागू करने की घोषणा करनी चाहिए।
2.बीमा में जीएसटी व्यवस्था को खत्म करना चाहिए। इससे बीमाधारकों में बीमा करने के प्रति उत्साह बढ़ेगा।
3.प्रीमियम की न्यूनतम सीमा में की गई बढ़ोतरी को वापस लिया जाना चाहिए। इससे अभिकर्ताओं को बीमा करने में परेशानी नहीं हो।
4.अभिकर्ताओं के ग्रुप इंश्योरेंस, टर्म इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस की राशि बढ़ाकर 25 लाख तक की जानी चाहिए।
5.बीमाधारक की बोनस दर में वृद्धि की जानी चाहिए। बीमा कंपनी द्वारा क्लो बैक की नीति को वापस लेना चाहिए।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।