अन्नदाता के साथ अपनी भूमिका का विस्तार करें किसान : गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने किसान कुंभ में कहा कि भविष्य में किसानों की भूमिका अन्नदाता, ऊर्जादाता और हाइड्रोजनदाता होनी चाहिए। उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि वे गेहूं, चावल और मक्का का उत्पादन...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। भविष्य में किसानों की भूमिका अन्नदाता, ऊर्जादाता, ईंधनदाता और हाइड्रोजनदाता के रूप में होनी चाहिए। उक्त बातें केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कृषि अनुसंधान केंद्र पूसा के एपी शिंदे सभागार में आयोजित किसान कुंभ के आयोजन के अवसर पर कहीं। यह आयोजन आईआईटी दिल्ली के उन्नत भारत अभियान के तहत आयोजित काउट्रिशन फाउंडेशन एवं एग्रीटेक इनोवेशन सोशल फाउंडेशन के तत्वाधान में किया गया था। गडकरी भारत के विभिन्न राज्यों और पड़ोसी देश नेपाल से आए किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत के किसानों को गेहूं, चावल और मक्का का उत्पादन करना चाहिए, मगर यह भी समझना होगा कि भारत 22 लाख करोड़ रुपये पेट्रोल डीजल पर खर्च कर रहा है। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वह अपनी भूमिका का और विस्तार करें। उन्होंने कहा कि मैं जिस राज्य से आता हूं उस राज्य में दस हजार से ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं की। मेरे पिता भी किसान थे। उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में जरूर हूं, लेकिन मैं लगभग राजनीति करता ही नहीं, मैं सेवा करता हूं और राजनीति का सही अर्थ यही है। उन्होंने कहा कि किसानों को तय करना होगा कि हमें किस दिशा में जाना है और किस दिशा में जाने से लाभ होगा। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले जब महात्मा गांधी गांव की बात करते थे उस समय गांवों में 90 प्रतिशत लोग रहते थे, लेकिन अब 65 प्रतिशत रहते हैं। आज सबसे बड़ी आवश्यकता है, गांव के किसान मजदूर को आत्मनिर्भर बनाने की है। इस पर सरकार का पूरा फोकस है।
कार्यक्रम आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि नितिन गडकरी प्रयोगधर्मी पुरुष हैं। उन्होंने कहा कि वह कुशल किसान, उद्योगपति और आमजन के मुद्दों को समझने वाले कुशल राजनेता हैं। इस अवसर पर गडकरी ने वरिष्ठ पत्रकार रामबीर श्रेष्ठ की पुस्तक नए भारत के किसान का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि जब भारत का किसान सुखी, समृद्ध होगा, तभी हमारा देश विश्व गुरु के साथ दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनेगा। जब किसान सामर्थ्यवान, समृद्ध और संपन्न होगा, तभी आत्महत्याओं पर भी विराम लगेगा। पुस्तक के लेखक रामबीर श्रेष्ठ ने बताया कि इस पुस्तक में सात वर्षों में देशभर के रचनात्मक किसानों के कार्यों को कवर किया गया है, जिसे उन्होंने पुस्तक के रूप में भी प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। इस पुस्तक में 80 से ज्यादा रचनात्मक खेती की कहानियां शामिल हैं, जिनसे कुल मिलाकर लाखों लोग जुड़े हैं।
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