मिड-डे मील में हरी सब्जियां परोसना किया गया अनिवार्य
मेनू में सहजन, नेनुआ, बोरो, परवल, भिंडी, बीन्स जैसी सब्जियां होंगी शामिल सप्ताह में तीन

भागलपुर, वरीय संवाददाता। मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना निदेशालय ने बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। फरवरी में जारी किए गए नए मेनू के बाद, अब मुख्यालय से एक बार फिर निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बच्चों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील में हरी साग-सब्जियां अनिवार्य रूप से शामिल हों। डीपीओ एमडीएम आनंद विजय ने बताया कि एमडीएम के तहत बच्चों को मिलने वाले भोजन में हरी सब्जियों की उपलब्धता को अब अनिवार्य कर दिया गया है। यह निर्णय बच्चों के शारीरिक विकास और समग्र स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
डीपीओ ने बताया कि प्रति बच्चा मानक के अनुसार हरी साग-सब्जियों, खाद्यान्न और मसालों की मात्रा निर्धारित की गई है। इस संशोधित मेनू के तहत, सप्ताह के तीन दिन जिसमें सोमवार, गुरुवार और शनिवार को हरी साग-सब्जियों को मध्याह्न भोजन में अनिवार्य रूप से शामिल करना आवश्यक होगा। यह नियम इस बात को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है कि बच्चों को नियमित रूप से आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। इसके अतिरिक्त, स्कूलों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे मौसम के अनुसार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी साग-सब्जियों का ही उपयोग करें। इससे न केवल ताजी सब्जियां उपलब्ध होंगी बल्कि स्थानीय किसानों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। प्रमुख रूप से शामिल की जाने वाली सब्जियों में धनिया पत्ता, सहजन या सहजन पत्ता, नेनुआ, बोरो, परवल, भिंडी, सीम और बीन्स जैसी सब्जियां शामिल होंगी। यह सूची स्थानीय विविधता को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। हालांकि, कद्दू (लौकी) के उपयोग को लेकर भी विशेष निर्देश दिए गए हैं। यदि किसी विद्यालय में कद्दू का उपयोग करना हो, तो उसे केवल अतिरिक्त सब्जी के रूप में ही जोड़ा जा सकता है, मुख्य सब्जी के तौर पर नहीं। यह सुनिश्चित करेगा कि भोजन में विविधता बनी रहे और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियां भी शामिल हों। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि मुख्यालय द्वारा यह व्यवस्था राज्य स्तर पर बच्चों को संतुलित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के लिए लागू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों के बीच कुपोषण की समस्या को कम करना और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना है। शिक्षा विभाग और एमडीएम योजना निदेशालय इस नई व्यवस्था के सुचारु क्रियान्वयन के लिए स्कूलों और संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है। निर्देशों का अनुपालन नहीं कराये जाने पर आवश्यक कार्रवाई करने की भी बात कही गयी।
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