Promoting Wushu and Fencing in Bhagalpur Athletes Achieve State and National Medals बोले भागलपुर: वुशू और फेंसिंग के खिलाड़ियों को सुविधा मिले तो जीतेंगे ओलंपिक पदक, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले भागलपुर: वुशू और फेंसिंग के खिलाड़ियों को सुविधा मिले तो जीतेंगे ओलंपिक पदक

भागलपुर में वुशू और फेंसिंग खेलों को बढ़ावा देने के लिए संघों की स्थापना की गई है। खिलाड़ियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर 35 मेडल जीते हैं, लेकिन प्रशासनिक सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे हैं।...

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 10 May 2025 09:01 PM
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बोले भागलपुर: वुशू और फेंसिंग के खिलाड़ियों को सुविधा मिले तो जीतेंगे ओलंपिक पदक

वुशू दो शब्दों के मेल से बना है, जिसमें वु का मतलब मार्शल, और शू का मतलब आर्ट होता है। इसका पारम्परिक एवं प्रचलित नाम कुंग फू है। वहीं फेंसिंग का मतलब तलवारबाजी होता है। भागलपुर जिले में इन खेलों को बढ़ावा देने के लिए भागलपुर वुशू संघ और भागलपुर फेंसिंग संघ की स्थापना कर खिलाड़ियों को तैयार किया गया, जो आज भी निरंतर अपने प्रयासों से राज्यस्तरीय, राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल और उपलब्धियां अर्जित कर रहे हैं। अगर प्रशासन सुविधा उपलब्ध कराए तो ये खिलाड़ी ओलंपिक पदक भी जीत सकते हैं।

भागलपुर में वुशू खेल की शुरुआत वर्ष 1998 से हुई। इसके प्रशिक्षण के लिए शहर के लाजपत पार्क का चयन किया गया। इसके कुछ दिनों बाद बालिका वर्ग के खिलाड़ियों के लिए भागलपुर बैडमिंटन इंडोर स्टेडियम में प्रैक्टिस की व्यवस्था की गई। वहीं वर्ष 2022 तक इस खेल का प्रशिक्षण और अभ्यास का सिलसिला लाजपत पार्क में जारी रहा। इसके बाद से भागलपुर के खरमनचक स्थित मारवाड़ी व्यायामशाला के नंद किशोर पोद्दार के सहयोग से व्यायामशाला परिसर में वुशू और फेंसिंग के खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और अभ्यास की व्यवस्था की गई। जहां प्रैक्टिस करते हुए भागलपुर के खिलाड़ियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में मेडल जीता जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भी शामिल होकर अर्पितो दास ने अपनी अलग पहचान बनाई है। एक ओर जहां प्रशिक्षक और खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत से भागलपुर और बिहार को इस खेल में राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है, वहीं प्रशासनिक स्तर से सुविधाओं के नहीं मिल पाने से खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

भागलपुर वुशू संघ के महासचिव राजेश कुमार साह ने बताया कि अब तक भागलपुर के कई खिलाड़यों ने वुशू में कुल 35 मेडल जीतकर देश भर में भागलपुर और बिहार का नाम रोशन किया है। जिसमें 4 स्वर्ण पदक, 5 रजत पदक और 26 कांस्य पदक शामिल है। उन्होंने बताया कि भागलपुर फेंसिंग संघ की ओर से बच्चों को तलवारबाजी की अलग-अलग कला का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस खेल में भागलपुर के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अब तक 6 मेडल प्राप्त किये है। खेलो इंडिया जोनल चैम्पियनशिप में भागलपुर के फेंसिंग खिलाड़ियों ने 5 स्वर्ण पदक, 2 रजत पदक और 4 कांस्य पदक प्राप्त किये हैं। खेलो इंडिया वीमेन लीग में भी भागलपुर के खिलाड़ियों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। इस खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार एवं जिला प्रशासन से आर्थिक मदद और जरूरी उपकरण उपलब्ध कराने की जरूरत है। भागलपुर खेल भवन में वुशू के लिए जगह दी गई है, लेकिन एक हॉल में वहां खिलाड़ियों के लिए प्रशिक्षण या अभ्यास करना काफी मुश्किल है। अगर सभी खेल के लिए अलग-अलग और पर्याप्त जगह मुहैया कराई जाय तो खिलाड़ी एकाग्रचित होकर बेहतर ढंग से प्रैक्टिस कर सकेंगे। जिसका लाभ उन्हें विभिन्न प्रतियोगिताओं में मिलेगा।

सहायक कोच राजीव रंजन ने बताया कि अगर उनलोगों को प्रैक्टिस के लिए मैट, बॉक्सिंग ग्लब्स, हेड गार्ड, चेस्ट गार्ड, सीन गार्ड, एबडोमेन गार्ड, किकिंग पैड, बॉक्सिंग पैड समेत तमाम जरूरी उपकरण मुहैया करायी जाय तो बच्चों को और बेहतर प्रशिक्षण का लाभ मिल सकेगा। तलवारबाजी के लिए तालू ग्रुप, डंडा माला, तलवार, नान चाकू, डबल डायगर जैसे अन्य उपकरण पर्याप्त मात्रा में जिला संघ को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अन्य खेलों की तरह वुशू और फेंसिंग को भी समान रूप से महत्व दिया जाय। स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर इस खेल से जुड़े सबसे अधिक भागलपुर के खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है। इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण बच्चों को अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल प्राप्त नहीं हो सका है। अभाव के कारण मैच नहीं करा सकते हैं, लेकिन सुविधा मिले तो भागलपुर के वुशू और फेंसिंग के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगितो में मेडल जीतने में सक्षम हैं। वुशू को यूथ ओलंपिक, सैफ गेम्स, साउथ एशियन गेम्स, एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी में भी शामिल किया गया है।

अर्पिता दास ने बताया कि एक खिलाड़ी के रूप में उनके लिए आवश्यक उपकरण और उपयुक्त मंच उपलब्ध होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सभी खिलाड़ियों के पास आवश्यक उपकरणों की लागत वहन करने की आर्थिक क्षमता नहीं है। इसलिए प्रशासन से सहयोग की आवश्यकता है। ब्यूटी कुमारी और यस्मित राणा ने समेत कई खिलाड़ियों ने बताया कि सरकार खिलाड़ियों की उपलब्धियों को दरकिनार कर प्रोत्साहित करें तो आने वाले दिनों में आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में उनके आत्मविश्वास और प्रदर्शन में और अधिक सुधार होगा।

खिलाड़ियों को मिले ग्राउंड और बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा

भागलपुर वुशू संघ और फेंसिंग संघ के महासचिव राजेश कुमार साह ने बताया कि 1998 में भागलपुर के लाजपत पार्क में वुशू प्रशिक्षण की शुरुआत हुई। इसके बाद से उनका प्रयास निरंतर जारी है। जबकि कुछ कारणों से वर्ष 2022 में यह प्रशिक्षण बंद हो गया, जिसके बाद मारवाड़ी व्यायामशाला प्रबंधन की ओर से इसके लिए जगह उपलब्ध कराई गई, जहां प्रशिक्षण और बच्चों की प्रैक्टिस जारी है। सरकार से उनलोगों को खिलाड़ियों के प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड एवं सुरक्षा किट के साथ हर तरह के उपकरण उपलब्ध कराया जाय। जिससे खिलाड़ियों को बेहतर प्रशिक्षण की सुविधा मिल सके। भागलपुर से वुशू की खिलाड़ी निकिता कुमारी ने खेलो इंडिया नेशनल वुशू के दो कांस्य पदक एक रजत पदक जीता, जबकि एक बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया है। इसके कारण वर्ष 2019 में सचिवालय खेल कोटा से नौकरी भी लेने में सफलता हासिल की। वुशू एवं फेंसिंग के खिलाड़ियों ने भागलपुर समेत बिहार को कई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गर्व करने का अवसर प्रदान किया है। बावजूद वुशू और तलवारबाजी खेल से जुड़े खिलाड़ी कई तरह की सुविधाओं से वंचित हैं।

शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप लगा बच्चों को किया जाय प्रशिक्षित

भागलपुर फेंसिंग संघ के अध्यक्ष डॉ. तपन कुमार घोष ने बताया कि सरकार संघों को खेल उपकरण उपलब्ध कराने के साथ विभिन्न खेलों के लिए अलग-अलग अभ्यास स्थल उपलब्ध कराया जाय। इससे खिलाड़ियों को बेहतर प्रैक्टिस का अवसर मिलेगा। उन्होंने बताया कि फेंसिंग काफी प्राचीन मार्शल आर्ट है जो ओलंपिक के साथ एआईयूजी में भी शमिल है। इसमें तीन प्रकार के इवेंट होते हैं। इसके लिए प्रिस्ट की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे खिलाड़ियों को प्रैक्टिस में सहूलियत मिल सके। खिलाड़ियों के लिए फेंसिंग के पोशाक के साथ कोर्ट और मैट की व्यवस्था होने के साथ राज्य और जिला स्तर पर प्रशिक्षण कैंप आयोजित किया जाना चाहिए। छोटे बच्चे तक इस खेल की पहुंच के लिए शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में भी कैंप लगाकर बच्चों को चयनित किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अब तक खिलाड़ियों ने जो भी सफलता प्राप्त की है, उसके लिए खिलाड़ियों के साथ संघ ने भी पूरी मेहनत की है।

अभावों के बीच वुशू और फेंसिंग के खिलाड़ियों ने जीता मेडल

भागलपुर वुशू संघ के उपाध्यक्ष डॉ. शाहिद रजा जमाल ने बताया कि वुशू और तलवारबाजी पुरानी चायनिज युद्ध कला है। जिसमें खिलाड़ी अब बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी कैलेंडर में शामिल है। आत्मरक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी यह आवश्यक है। भागलपुर के खिलाड़ियों ने इन खेलों में लगातार हिस्सा लेकर जिला के साथ राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में बेहतर स्थान प्राप्त करने के साथ दर्जनों मेडल भी अपने नाम किये। उन्होंने बताया कि जो बच्चे जिलास्तरीय, राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता या कैंप में शामिल होते हैं, उन्हें उनके मेडल या परफॉमेंस के अनुसार उनके रिजल्ट में क्रेडिट स्कोर जोड़ा जाना चाहिए। कई स्कूलों के खिलाड़ियों ने मेडल जीतकर भागलपुर के साथ बिहार का भी नाम रोशन किया। उन्होंने बताया कि शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न स्कूल एवं कॉलेजों को भी इससे जोड़ना चाहिए। खेल को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोलना चाहिए।

खेलकूद की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए फंड मुहैया करायी जाय

वुशू और फेंसिंग के प्रशिक्षण केंद्र मारवाड़ी व्यायामशाला के सचिव नन्द किशोर पोद्दार ने बताया कि समय-समय पर वुशू और तलवारबाजी की प्रतियोगिता आयोजित होनी चाहिए। जिससे बच्चों को अधिक से अधिक मैच प्रैक्टिस मिलने के साथ उनका उत्साह भी बढ़ेगा। प्रशिक्षण से मानसिक विकार बाहर आता है और खिलाड़ी बेहतर प्रैक्टिस कर आगे बढ़ सकते हैं। किसी भी खेल से जुड़े खिलाड़ियों को मेडल मिलने या उनकी सफलता पर उनका उत्साहवर्धन एवं पुरस्कृत किया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि जिला संघ को सरकार या जिला प्रशासन की ओर से खेलकूद की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए फंड मुहैया कराया जाना चाहिए। जिससे जिला संघ द्वारा बेहतर खिलाड़ी तैयार कर कैंप और प्रतियोगिता आयोजित की जा सके। जबतक पर्याप्त समय और जरूरी उपकरण उपलब्ध नहीं कराया जाएगा जब तक खिलाड़ी अपनी योग्यता और क्षमता का सही उपयोग नहीं कर सकेंगे।

इनकी भी सुनिए

अन्य खेलों की तरह वुशू और फेंसिंग को भी समान रूप से महत्व दिया जाय। कम सुविधा के बावजूद खिलाड़ी हर स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर मेडल जीतने में कामयाब हो रहे हैं। खिलाड़ियों का मनोबल ऊंचा हो और दूसरे बच्चे भी इस खेल से जुड़कर अपना कॅरियर बना सकें। खासकर लड़कियों के लिए सेल्फ डिफेंस एवं स्वास्थ्य को लेकर भी लाभदायक है।

-राजीव रंजन, संयुक्त सचिव

जिस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने पर खिलाड़ियों को नौकरी का प्रावधान है। उसी तरह से राज्य एवं जिलास्तरीय प्रतियोगिता में भी मेडल लाने पर सरकार से आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। उपकरण के साथ खिलाड़ियों के लिए कैंप लगाने के लिए जिला संघों को प्रशासन द्वारा फंडिंग होनी चाहिए।

-एसपी कुमार, प्रशिक्षक तलवारबाजी

वर्ष 2021 से वुशू खेल की विभिन्न राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय चैंपियनशिप में खिलाड़ियों ने कई राष्ट्रीय पदक प्राप्त किया है। पिछले वर्ष 2024 में मुझे ब्रुनेई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर मिला। नेशनल में अब तक मैंने 5 स्वर्ण पदक, 3 रजत पदक और 7 कांस्य पदक हासिल किये हैं। जिला और राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में भी कई स्वर्ण पदक प्राप्त हुए हैं।

-अर्पिता दास

खेलने के लिए बच्चों के बाहर जाने पर कक्षा छूट जाती है। स्कूल में अटेंडेंस और रिजल्ट पर असर पड़ता है। इसको देखते हुए खिलाड़ियों को अलग से लाभ मिलना चाहिए। ताकि बच्चे खेल में आगे बढ़ने का प्रयास कर सकें। संसाधन की काफी कमी है। बच्चों की सुरक्षा के साथ हेल्थ इंश्योरेंस भी होनी चाहिए। महंगे उपकरण सभी बच्चे नहीं खरीद सकते हैं।

-मधु सिंह

वुशू खेल में जिला और राज्य के साथ कई राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर भागलपुर और बिहार के लिए मेडल प्राप्त किया। लेकिन किसी भी स्पोर्ट्स इवेंट में जाने के पूर्व फुल बॉडी चेकअप की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे डॉक्टर के पास चक्कर लगाने में उनकी प्रैक्टिस बाधित होती है।

-जिया कुमारी

मेंटल हेल्थ का ख्याल रखना जरूरी है, जिससे पढ़ाई या किसी भी अन्य गतिविधि के बाद दिमाग को रिलेक्स मिल सके। किसी तरह की तनावपूर्ण बातों को आसानी से दिमाग से बाहर निकाला जा सकता है। मेंटल हेल्थ के लिए शारीरिक खेल का काफी महत्व है। कई बार जूनियर वुशू राष्ट्रीय चैंपियनशिप और खेलो इंडिया महिला लीग में भाग लेने का मौका मिला, जिसमें कई पदक भी हासिल हुआ।

-कृतिका आनंद

वुशू और तलवारबाजी खेल के लिए कोच की व्यवस्था प्रखंड स्तर पर होनी चाहिए, जिससे शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ी भी अधिक संख्या में इस खेल से जुड़ सकें। ताकि जिला एवं राज्य के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भागलपुर के अधिक खिलाड़ी मेडल जीतकर अपने जिले और राज्य का सम्मान बढ़ा सकते हैं।

-ऋषभ राज

जिला लेवल पर बच्चों को आगे बढ़ना आसान नहीं होता है। वुशू और तलवारबाजी गेम अन्य ग्लैमर वाले खेल के सामने कमजोर दिखाई देता है। जबकि बात जब मेडल की होती है इन खेलों में भागलपुर के खिलाड़ियों का अभी दबदबा है। लेकिन प्रचार-प्रसार और उपकरण की कमी के कारण खिलाड़ियों को तैयार करना मुश्किल है।

-आद्या

तलवारबाजी के प्रचार-प्रसार की जरूरत है, जिससे कम उम्र से ही बच्चे इस विधा को सीख कर आत्मरक्षा के साथ कॅरियर को भी बना सकते हैं। लड़कियों के लिए मेडल जीतने के साथ यह सेल्फ डिफेंस में भी सहायक है। भागलपुर में फेंसिंग के लिए काफी संभावनाएं हैं, लेकिन संघ के साथ प्रशासनिक मदद भी जरूरी है।

-आर सी आनंद

तलवारबाजी और वुशू खेल के विकास और अधिक बच्चों को इससे जोड़ने के लिए इफ्रास्ट्रक्चर की कमी बड़ी परेशानी का कारण है। सरकारी स्कूलों में भी अगर इसे बढ़ावा दिया जाय तो जिले से बेहतर खिलाड़ी तैयार होंगे। पढ़ाई के साथ खेल के प्रति भी छात्र छात्राओं में रुझान बढ़े इसके लिए काम किया जाए।

-अनन्या चौधरी

सरकारी स्कूलों में वुशू और फेंसिंग को शामिल कर इसके लिए अलग से व्यवस्था कर इसे लागू कराया जाना चाहिए। जिससे यह विधा केवल कुछ विद्यालयों तक ही सीमित नहीं रहकर व्यापक स्तर पर फैले और नेशलन एवं इंटरनेशनल लेवल में भागलपुर के खिलाड़ी अपना परचम लहरा सकें।

-तृषा चटर्जी

भागलपुर फेंसिंग संघ की ओर से बच्चों को तलवारबाजी की विभिन्न कला का प्रशिक्षण दिया जाता है। भागलपुर के खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में 6 मेडल प्राप्त किये है। खेलो इंडिया जोनल चैम्पियनशिप में भागलपुर के फेंसिंग खिलाड़ियों ने 5 स्वर्ण पदक, 2 रजत पदक और 4 कांस्य पदक प्राप्त किये हैं।

-माही सिंह

शिकायतें

1. तलवारबाजी और वुशू खेल के विकास और अधिक बच्चों को इससे जोड़ने के लिए इफ्रास्ट्रक्चर की कमी बड़ी परेशानी का कारण है।

2 .जिला लेवल पर बच्चों को आगे बढ़ना आसान नहीं होता है। वुशू और तलवारबाजी गेम अन्य ग्लैमर वाले खेल के सामने कमजोर दिखाई देता है।

3. किसी भी स्पोर्ट्स इवेंट में जाने के पूर्व फुल बॉडी चेकअप की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे डॉक्टर के पास चक्कर लगाने में उनकी प्रैक्टिस बाधित होती है।

4. अन्य खेलों की तरह वुशू और तलवारबाजी के खिलाड़ियों को दर्जनों मेडल जीतने के बाद भी सरकार, प्रशासन और अन्य संगठनों द्वारा अधिक महत्व नहीं दिया जाता है।

5. प्रचार-प्रसार की कमी के कारण लोग इस खेल के बारे में नहीं जान पाते हैं। सरकार से सम्मानित होने के बाद भी स्थानीय स्तर पर कोई प्रोत्साहन नहीं मिल पाता है। इससे मनोबल कमजोर होता है।

सुझाव

1. वुशू और फेंसिंग के उपकरण महंगे होते हैं, जो सभी नहीं खरीद पाते हैं। खेल भवन में जरूरी संसाधनों के साथ प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त जगह मिलनी चाहिए।

2. प्रैक्टिस और किसी भी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। खिलाड़ियों को हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा मिलनी चाहिए।

3. वुशू और तलवारबाजी के खिलाड़ियों को प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त जगह मिलनी चाहिए। सरकारी स्कूलों में भी प्रशिक्षण और प्रैक्टिस की सुविधा मुहैया करानी चाहिए।

4. खिलाड़ियों को प्रैक्टिस या किसी भी प्रतियोगिता में शामिल होने पर परीक्षा के समय बच्चों को छूट मिलनी चाहिए। रिजल्ट में खेल से जुड़ा क्रेडिट स्कोर जोड़ा जाना चाहिए।

5. जिला संघों को खेल को बढ़ावा देने के लिए सरकार से आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। उपकरण के साथ समय-समय पर प्रशिक्षण कैंप का आयोजन होना चाहिए।

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