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बिहार में अपार्टमेंट की जमीन के दाखिल-खारिज पर रोक, राजस्व व भूमि सुधार विभाग का फैसला

  • आवंटित फ्लैट ‘प्रोपोर्सनेट ऑफ लैंड’ होता है। इसमें फ्लैट की भूमि चिह्नित नहीं होती है। उक्त भूमि अपार्टमेंट के किस भाग में है, ज्ञात नहीं होता। ऐसे में फ्लैटधारक के नाम से दाखिल-खारिज करने में दिक्कत हो सकती हैं।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाWed, 9 April 2025 05:43 AM
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बिहार में अपार्टमेंट की जमीन के दाखिल-खारिज पर रोक, राजस्व व भूमि सुधार विभाग का फैसला

बिहार में अपार्टमेंट की जमीन का फ्लैटधारियों के नाम फिलहाल दाखिल-खारिज, नामांतरण या जमाबंदी नहीं होगी। राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने तत्काल प्रभाव से फ्लैटधारियों के नाम से जमीन के दाखिल खारिज, नामांतरण या जमाबंदी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इसको लेकर विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त और सभी समाहर्ता को निर्देश भेजा है।

उन्होंने कहा है कि बिहार भूमि दाखिल-खारिज अधिनियम 2011 एवं बिहार भूमि दाखिल-खारिज नियमावली 2012 के प्रावधानों के तहत रैयतों या भू-धारियों से प्राप्त आवेदन पर दाखिल-खारिज की कार्रवाई अंचल स्तर पर की जाती है। सूचना मिली है कि अपार्टमेंट निर्माण के लिए क्रय की गई या समझौते से प्राप्त की गई भूमि का दाखिल-खारिज फ्लैटधारियों के नाम से कुछ अंचल कार्यालय द्वारा किया जा रहा है। जबकि इस जमीन का नामांतरण फ्लैटधारियों के नाम से करने का कोई प्रावधान नहीं है। विभागीय सॉफ्टवेयर में आवश्यक प्रावधान नहीं है।

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सॉफ्टवेयर में प्रावधान के बाद ही व्यवस्था होगी

आदेश के मुताबिक, अपार्टमेंट की जमीन और फ्लैटधारियों के नाम से भूमि दाखिल-खारिज के लिए विभागीय स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए सॉफ्टवेयर भी विकसित हो रहा है। इसलिए जब तक अपार्टमेंट की जमीन एवं फ्लैटधारियों के नाम से दाखिल-खारिज की प्रक्रिया निर्धारण के साथ सॉफ्टवेयर में प्रावधान नहीं किया जाता है, तब तक अपार्टमेंट की जमीन के नाम से दाखिल-खारिज, नामांतरण, जमाबंदी सृजन की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

इसलिए प्रक्रिया पर पाबंदी

भूमि पर निर्मित बहुमंजिली इमारत निबंधन के बाद बिल्डर या भूस्वामी से फ्लैटधारियों को मिलता है। आवंटित फ्लैट ‘प्रोपोर्सनेट ऑफ लैंड’ होता है। इसमें फ्लैट की भूमि चिह्नित नहीं होती है। उक्त भूमि अपार्टमेंट के किस भाग में है, ज्ञात नहीं होता। ऐसे में फ्लैटधारक के नाम से दाखिल-खारिज करने में दिक्कत हो सकती हैं।

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