बिहार के चर्चित अलकतरा घोटाले में 28 साल बाद फैसला, ट्रांसपोर्टर को जेल; इंजीनियर बरी
- अलकतरा घोटाले के यह मामला 1995 से 1996 के बीच जहानाबाद जिले से संबंधित है। इस मामले में सबसे पहले जहानाबाद नगर थाने में 1995 में केस दर्ज किया गया था। इसके बाद सीबीआई ने साल 1997 में प्राथिमकी दर्ज की थी। सीबीआई ने अनुसंधान के बाद वर्ष 2000 में तीन आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।

करोड़ों के अलकतरा घोटाले के एक मामले में पटना सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 वर्ष बाद फैसला सुनाया। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार-2 ने बुधवार को अलकतरा घोटाले के आरोपित और ट्रांसपोर्टर डीएन सिंह को तीन वर्ष कैद और 1.10 लाख के जुर्माना की सजा सुनायी है। गवाहों के बयान और उपलब्ध साक्ष्य के आधार विशेष अदालत ने आरोपित ट्रांसपोर्टर को जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक षड़यंत्र के दोषी पाया था।
जेई साक्ष्य के आभाव में बरी
दूसरी ओर इसी मामले के एक आरोपित व जहानाबाद पथ निर्माण कार्यालय के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर अनिल कुमार सिंह को साक्ष्य का अभाव पाते हुए बरी कर दिया गया है। इस मामले के ही एक अन्य आरोपित रामानुज प्रसाद की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो गई थी।
अलकतरा की फर्जी आपूर्ति दिखाकर 13 करोड़ से अधिक का गबन
अलकतरा घोटाले के यह मामला 1995 से 1996 के बीच जहानाबाद जिले से संबंधित है। इस मामले में सबसे पहले जहानाबाद नगर थाने में 1995 में केस दर्ज किया गया था। इसके बाद सीबीआई ने साल 1997 में प्राथिमकी दर्ज की थी। सीबीआई ने अनुसंधान के बाद वर्ष 2000 में तीन आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक सत्यजीत कुमार सिंह ने 16 अभियोजन गवाहों को पेश किया। अलकतरा घोटाले का यह मामला 13 करोड़ों 50 लाख रुपए से अधिक का है। आरोप है कि हल्दिया से बरौनी और हल्दिया से जहानाबाद अलकतरा का आपूर्ति की गई थी। फर्जी आपूर्ति दिखा कर सरकारी पैसे की निकासी कर ली गई थी।