'चाचा हमारे बड़े …' होली के बहाने नीतीश पर लालू की बेटी रोहिणी का बिग अटैक
- विधान परिषद में राबड़ी देवी के साथ नीतीश कुमार की नोक झोंक पर रोहिणी आचार्या ने बिहार सीएम पर बड़ा हमला किया है।

रंगो का त्योहार होली करीब है। पूरा बिहार होली की मस्ती में सराबोर है। नेताओं पर भी होली का रंग चढ़ चुका है। होली मिलन समारोह में रंगों के साथ सियासी गुलाल की बरसात हो रही है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने होली के बहाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला किया है। बुधवार को विधान परिषद में मां राबड़ी देवी पर नीतीश कुमार के तल्ख तेवर पर आपत्ति जताई है। सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर रोहिणी ने अपनी बात कही है।
अपने एक्स हैंडल पर रोहिणी आचार्या ने नीतीश पर सियासी गोले दागे हैं। उन्होंने शायराना अंदाज में लिखा है-
कभी किसी के नाम की रेल चलाएं , कभी चलाएं तीर फुस्सफुसिया। अब बात - बात पर खीज दिखाएं फिर भी चाचा हमारे रहे बड़े रंगरसिया। बुरा न मानो होली है.. वैसे बुरा मानने की भी पूरी छूट है।
एक पोस्ट में रोहिणी आचार्या ने बुधवार को विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान नीतीश कुमार और राबड़ी देवी के बीच हुई नोक झोंक को लेकर भी टिप्पणी की है जिसमें नीतीश कुमार को दिमारी बीमारी और मानसिक अवसाद से पीड़ित बताया है। रोहिणी आचार्या ने लिखा है कि मानसिक अवसाद, दिमागी बीमारी, वैचारिक कुंठा से ग्रस्त मुख्यमंत्री के हाथों में बिहार है। ऐसे व्यक्ति से मर्यादित वक्तव्यों, बयानों की उम्मीद बेमानी है।
ऐसा नहीं कि जारी बजट सत्र में माननीय पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी और विपक्ष की अन्य माननीय महिला विधायकों, विधान पार्षदों के साथ जारी बहस के दौरान मुख्यमंत्री के द्वारा भाषाई सीमा लांघने की बदजुबानी की घटना पहली है। महिलाओं के प्रति मुख्यमंत्री आदतन कुंठा ग्रस्त रहे हैं और पूर्व में भी दर्जनों दफा महिलाओं को सन्दर्भ में रख कर उनके/इनके द्वारा की गयीं मर्यादित टिप्पणियों - बयानों की लिस्ट बड़ी लम्बी है। सदन में , सार्वजनिक मंचों से दिए गए मुख्यमंत्री के कई बयान तो ऐसे रहे हैं जिनकी इजाजत सभ्य समाज नहीं देता है।
महिलाओं के प्रति ओछी सोच रखने वाले ऐसे मुख्यमंत्री से बिहार की महिलाओं की बेहतरी , सुरक्षा , सम्मान की उम्मीद रखना बिल्ली से दूध की रखवाली की उम्मीद रखने जैसा है। वैसे भी महिलाओं के सन्दर्भ में मुख्यमंत्री जी का व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन अनेकों तरह की चर्चाओं से जुड़ा रहा है।