तापमान बढ़ने के साथ ही पहाड़ी क्षेत्र में गहराने लगा पेयजल संकट
अप्रैल माह की शुरुआत में टेटियाबंबर प्रखंड क्षेत्र में जल संकट गहराने लगा है, विशेष रूप से पहाड़ की तराई व जंगल से सटे गांवों में। नोनाजी और बनहरा पंचायत के कई गांवों में नल-जल योजना के तहत पानी की...

टेटियाबंबर, एक संवाददाता। अप्रैल माह के आरंभ में ही प्रखंड क्षेत्र में जल संकट गहराने लगा है। विशेष कर पहाड़ की तराई व जंगल से सटे गांवों में स्थिति और भी गंभीर है। प्रखंड के सात पंचायतों बनहरा, भुना, टेटिया, केसौली, बनगामा, धौरी एवं नोनाजी में गर्मी के आरंभिक दिनों में ही पेयजल संकट गहराने लगा है। खासकर नोनाजी एवं बनहरा पंचायत की पहाड़ की तराई में बसे कई गांव में अभी से ही जल संकट की स्थिति भयावह है। सरकार की ओर से नल-जल योजना के तहत हर घर पानी उपलब्ध कराने के प्रयास तो किए गए लेकिन विभाग द्वारा इसके सही क्रियान्वयन नहीं किए जाने से लोगों के बीच पेयजल का संकट बना हुआ है।
नोनाजी पंचायत में नलजल की स्थिति को देखा जाए तो सबसे अधिक खराब है। वार्ड संख्या 10 महादलित टोला छाता, वार्ड नंबर 9 देवघरा गांव , वार्ड नंबर 8 डंगरा , वार्ड नंबर 2 नोनाजी गोसाई टोला एवं वार्ड नंबर 12 में नलजल का कनेक्शन कई घरों को नहीं मिला है। कहीं कनेक्शन है तो पानी नहीं आ रहा है। जिससे इन सभी वार्डों के लोग पेयजल संकट से जूझने को मजबूर हैं। पंचायत के मुखिया सुरेश यादव ने बताया कि कई बार पीएचईडी को जानकारी दी गई लेकिन अबतक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है।
वहीं बनहरा पंचायत की वार्ड संख्या 9 के लगभग 40 परिवार ऐसे हैं जहां नलजल का पाइप-लाइन बिछाया ही नहीं गया है। इसी तरह पंचायत की वार्ड संख्या 10 में पाइप तो बिछाया गया है लेकिन आधे घरों तक पानी पहुंच नहीं पा रहा है। भुना पंचायत की कुकड़ाहा गांव जहां लगभग 40 परिवार रविदास जाति के हैं वहां जलनल की सुविधा अबतक नहीं हो पायी है। टेटिया पंचायत की फरसा गांव के लोगों को भी नलजल योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। मुखिया प्रतिनिधि संजय सिंह ने कहा कि इस ओर ना तो विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। प्रखंड के धौरी पंचायत की वार्ड संख्या 4, वार्ड संख्या 13 धौरी , वार्ड संख्या 7 एवं वार्ड संख्या एक में भी जलनल का पानी नहीं पहुंच रहा है। पंचायत के मुखिया धर्मेंद्र बिंद ने बताया कि पाइप ज्यादा नीचे रहने से ऊपरी सतह पर बसे घरों तक पानी ही नहीं पहुंच पा रहा है। गंगटा पंचायत में भी पेयजल की स्थिति भयावह है। इस पंचायत की दलित आदिवासी बहुल गांव मोथीतरी में वर्ष 2020 से जलनल पूरी तरह बंद है। ग्रामीण विगत 5 वर्षों से जल संकट से जूझ रहे हैं।
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