बिहार के पहले एक्सप्रेस वे पर लगा ग्रहण, वन विभाग ने जता दी बड़ी आपत्ति; डिजाइन बदलने की नौबत
- वन विभाग ने टनल बनाने के लिए ब्लास्ट करने की अनुमति नहीं दी और टीबीएम से टनल बनाने का सुझाव दे दिया। लेकिन टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से टनल बनाने में दो-तीन गुना अधिक पैसा खर्च होगा। अधिक राशि खर्च होने को लेकर एनएचएआई ने आपत्ति जाहिर कर दी है।

बिहार के पहले एक्सप्रेस वे वाराणसी-कोलकाता के निर्माण में अब टनल निर्माण का मामला फंस गया है। वन विभाग की आपत्ति के बाद इस एक्सप्रेस वे के दो पैकेज (संख्या-चार व पांच) का नए सिरे से एलाइनमेंट बनाने की नौबत आ गई है। नए सिरे से जमीन अधिग्रहण करना होगा। सोन नदी पर प्रस्तावित पुल के लिए भी नई जगह का चयन करना होगा। इस परिस्थिति में इस छह लेन एक्सप्रेस वे का निर्माण देर से होना तय है। बिहार को उत्तरप्रदेश, झारखंड और बंगाल से जोड़ने वाला यह एक्सप्रेस वे 61वें एनएच के रूप में अधिसूचित है। इसका निर्माण बिहार में सात पैकेज के तहत होना है।
पैकेज एक के पांच किलोमीटर को मिलाकर बिहार में इसकी कुल लंबाई 161 किलोमीटर है। पैकेज एक का निर्माण चल रहा है। दो व तीन का टेंडर हो चुका है लेकिन आम लोगों द्वारा जमीन अधिग्रहण की राशि अधिक मांगे जाने के कारण निर्माण कार्य बाधित है। पैकेज छह व सात का भी टेंडर हो चुका है। मूल समस्या रोहतास जिले में स्थित पैकेज चार व पांच को लेकर हो रही है। पैकेज चार में टनल का निर्माण होना है। लेकिन वन विभाग ने टनल बनाने के लिए ब्लास्ट करने की अनुमति नहीं दी और टीबीएम से टनल बनाने का सुझाव दे दिया। लेकिन टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) से टनल बनाने में दो-तीन गुना अधिक पैसा खर्च होगा। अधिक राशि खर्च होने को लेकर एनएचएआई ने आपत्ति जाहिर कर दी है।
इस परिस्थिति में सड़क एवं परिवहन राजमार्ग मंत्रालय ने डिजाइन में संशोधन कर नए सिरे से एलाइनमेंट बनाने को कहा है। एलाइनमेंट बदले जाने पर इस एक्सप्रेस वे की लंबाई 40-50 किमी और बढ़ जाएगी। एलाइनमेंट में बदलाव के बाद पैकेज पांच में सोन नदी पर बनने वाले पुल का भी स्थान बदल जाएगा। पुराने डिजाइन में तिलौथू के समीप पुल बनना था। हालांकि राज्य सरकार की कोशिश है कि पुराने डिजाईन पर ही एक्सप्रेस वे का निर्माण हो।
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश के वाराणसी के रेवासा गांव के निकट एनएच 19 से यह सड़क शुरू होकर चंदौली होते हुए बिहार के चांद में प्रवेश करेगी। चैनपुर, रामपुर, तिलौथू, कुटुम्बा, इमामगंज, संग्रामपुर होते हुए झारखंड के हंटरगंज में प्रवेश करेगी। चतरा, पत्थलगढ़ा, सेमरिया, चुरचू, पेटरवार, कसमार, जयपुर, पुरुलिया, पुंछा, तलडंगरा, गहरबेटा, घाटल होते हुए पश्चिम बंगाल में बगनान के निकट एनएच 16 पर जाकर यह सड़क समाप्त होगी।
इस एक्सप्रेस वे के बनने से वाराणसी से कोलकाता की दूरी 14 घंटे के बदले मात्र सात घंटे में पूरी की जा सकेगी। यूपी, झारखंड व पश्चिम बंगाल के बीच बिहार से व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। विशेषकर हल्दिया बंदरगाह तक मालों की आवाजाही आसान होगी। 18 शहरों से गुजरने वाले इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर 35 हजार 228 करोड़ खर्च होने का अनुमान है।