फसल क्षति आकलन में शून्य क्षति बता रहा कृषि विभाग
मुंगेर जिले में बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। फसलों का नुकसान हो रहा है, जबकि कृषि विभाग ने कोई क्षति नहीं बताई है। गेहूं की कटाई में देरी और खेतों में पानी जमा होने से फसलें खराब हो...

मुंगेर, निज प्रतिनिधि। जिले में लगातार मौसम की बेरुखी चल रही है। दो दिनों पूर्व रात्रि में फसल क्षति के आंसू भी नहीं सूखे थे कि अचानक बारिश होने से किसानों की बेचैनी बढ़ गई है। बावजूद कृषि विभाग की ओर से कोई क्षति नहीं बताये जाने से किसानों की मायूसी बढ़ गई है। उधर बारिश से तापमान में भले ही गिरावट आयी है, परंतु लगातार फसलों का नुकसान होना जारी है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में खेतों में बारिश का पानी जमने से खेतों में कटनी कर रखे गए गेहूं की फसलें गिली हो गई। जबकि तीन बार पानी भरने के कारण खेतों में पड़ी गेहूं की फसलें काली हो गई है। कई जगहों पर कटी हुई गेहूं की फसल बारिश से पूरी तरह में भीग गयी। किसानों के लिए होने वाली बारिश किसी आपदा से कम नहीं है। किसानों ने खेत में जो फसल काटी थी वो फसल पड़ी थी, इसमें से भूसा भी अभी निकालना बाकी था। दौनी शुरू होने से पहले पानी में भीगने से गेहूं के दाने खराब होने का खतरा बढ़ गया है।
वहीं अगर दौनी हो भी गयी तो भूसे भी खराब ही आयेगा। बेमौसम बारिश जैसे ही होना शुरू हुआ ही किसान झटपट अपनी फसलों को तिरपाल से ढककर बचाने में जुट गये। वहीं जिनके पास बचाने के दूसरा कोई विकल्प नहीं था वे टकटकी लगाए खेतों के अलावा खलिहान में रखी गई गेहूं के फसलों की बर्बाद होते देखते रह गये। बीते दोनों दिन हुए बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान हुआ है।
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कृषि विभाग की ओर से कराए गए क्षति आकलन में नहीं हुआ है कोई नुकसान:
कृषि विभाग की ओर से कराए गए फसल क्षति आकलन में जिले को रबी फसलों में कोई नुकसान नहीं हुआ है। विभाग की ओर से सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी को अपने-अपने क्षेत्रों में क्षति आकलन का निर्देश दिया गया था। जिले भर में कराए गए क्षति आकलन में जिले को कोई नुकसान नहीं बताया गया है। विभागीय क्षति आकलन को किसानों नें हास्यापद बताया।
किसानों ने कहा कि किया गया विभागीय क्षति आकलन किसानों के साथ पूरी तरह से अन्याय है। संग्रामपुर के बट़टो झा, सहौरा के पुरुषोत्तम चौधरी, धोवई के बजरंगी मिश्रा ने कहा कि हमलोग धान काटकर गेहूं लगाते हैं, जिसके कारण गेहूं की बुवाई पिछात हो जाती है। हमलोगों के क्षेत्र में अब तक 20 से 25 प्रतिशत ही गेहूं व अन्य रबी फसल की तैयारी हुई है, जबकि 75 प्रतिशत खेतों में ही सड़ रहा है। बावजूद क्षति आकलन में काई क्षति नहीं बताया जाना पूरी तरह से आश्चर्यजनक है।
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बेमौसम बारिश ने बढ़ायी किसानों की चिंता अब कैसे चलेगा साल भर जीविका:
बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता काफी बढ़ा दी है। किसानों को यह चिंता सता रही है कि आखिर साल भर कैसे जीविका चलेगा, यह सोचने को किसान मजबूर है। वैसे जहां अगेतर गेहूं की बुवाई हुई थी, वहां तो गेहूं की अधिकांश दमाही हो चुकी थी लेकिन तारापुर व हवेली खड़गपुर अनुमंडल के अधिकांश क्षेत्रों में पिछात बुवाई होने के कारण गेहूं की कटनी शत प्रतिशत नहींहुआ था, जहां हुआ भी था वह फिलहाल खेतों में ही पड़ा हुआ है। दो से तीन बार बारिश होने के कारण खेतों में पड़े गेहूं की फसलें काली हो गई है। किसान उसे सुखाने में लगी हुई है। इन क्षेत्रों में किसानों को काफी नुकसान हुआ है।
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बेमौसम बारिश के बाद सभी बीएओ को क्षति आकलन कर जल्द रिपोर्ट देने को कहा गया था। सभी बीएओ से प्राप्त रिपोर्ट में जिले को वैसा कोई नुकसान नहीं हुआ है। सरकारी नियम के अनुसार 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर ही मुआवजे का प्रावधान है।
ब्रजकिशोर, जिला कृषि पदाधिकारी मुंगेर।
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