एईएस के लिए टैग की बैंक से जब्त, खराब पड़ी गाड़ियां
मुजफ्फरपुर में एईएस के लिए टैग की गई गाड़ियों में बड़ी खामी पाई गई है। कंट्रोल रूम के सत्यापन में कई गाड़ियां खराब पाई गईं या बैंक द्वारा उठाई गईं। गाड़ी मालिकों को पता नहीं था कि उनकी गाड़ी एईएस के...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। जिले में एईएस के लिए गाड़ियां टैग किए जाने में बड़ी खामी सामने आई है। कंट्रोल रूम से किए गए सत्यापन में इनमें कई गाड़ियां ऐसी मिली जो खराब हैं या लोन की किस्त नहीं भरने के कारण बैंक द्वारा उठा ली गई हैं। सत्यापन के दौरान गाड़ी मालिकों ने यह जानकारी दी। कई मालिकों ने यहां तक बताया कि उन्हें नहीं पता ही नहीं कि उनकी गाड़ी एईएस के लिए टैग है।
विभाग के सूत्रों ने बताया कि टैग गाड़ियों में 30 फीसदी ऐसी हैं जो सड़क पर नहीं चल रही हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि गाड़ियां प्रखंडों से टैग होकर मिली हैं। इनका सत्यापन कराया जा रहा है। सत्यापन की पूरी रिपोर्ट कंट्रोल रूम से ली जाएगी। डीएम का निर्देश है कि टैगिंग के अलावा जो भी गाड़ी मिल जाए, उससे ही लेकर मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाना है।
जिले में 2381 गाड़ियां की गई हैं टैग
एईएस के लिए जिले में 2381 गाड़ियां टैग की गई हैं। इनमें ज्यादातर ऑटो हैं। इसके अलावा कई बड़ी गाड़ियां भी टैग की गई हैं। एईएस को लेकर हर साल गाड़ियों की टैगिंग होती है। इनका इस्तेमाल एईएस पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने के लिए होता है। विभाग का गाड़ियों की टैगिंग में मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना से मिली एंबुलेंस को प्राथमिकता देने का निर्देश है। मरीजों को एंबुलेंस की कमी नहीं हो, इसलिए ज्यादातर एंबुलेंस को ही प्राथमिकता दी गई थी। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी का कहना है कि एईएस के मरीज को गाड़ी से तुरंत अस्पताल पहुंचाने का निर्देश है। इसके लिए किलोमीटर के अनुसार राशि तय की गई है।
कंट्रोल रूम से हर दिन हो रही है निगरानी
एईएस के लिए बने कंट्रोल रूम से हर दिन एईएस मरीजों की ट्रैकिंग हो रही है। जिले में अब तक एईएस के 10 मरीज मिले चुके हैं। यह सभी एसकेएमसीएच से स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। कंट्रोल रूम से एईएस के मरीजों के अलावा हर दिन संध्या चौपाल की भी निगरानी की जा रही है। एईएस कंट्रोल रूम में 24 घंटे कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है।
दवा व उपकरण की भी ली जा रही जानकारी
एईएस से जुड़ी दवाओं की उपलब्धता और जरूरी उपकरण की स्थिति की निगरानी भी कंट्रोल रूम से की जा रही है। हर दिन पूछा जा रहा है कि चमकी के लक्षण वाला कोई बच्चा भर्ती हुआ या नहीं। पीएचसी ने रिपोर्ट दी है कि उनके यहां सभी तरह की दवाएं हैं और उपकरण भी काम कर रहे हैं।
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