Critical Cleanliness Issues at Sadar Hospital Patients Face Infections and Heat Problems मात्र 23 कर्मियों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्था, Nawada Hindi News - Hindustan
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मात्र 23 कर्मियों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्था

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। मात्र 23 कर्मियों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्थामात्र 23 कर्मियों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्थामात्र 23 कर्मियों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल...

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाSat, 3 May 2025 01:43 PM
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मात्र 23 कर्मियों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्था

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्था सिर्फ 23 कर्मियों के भरोसे चल रही है। आउटसोर्स से प्रदत्त 23 सफाई कर्मियों के जरिए नियमानुसार तीन शिफ्ट में सफाई की औपचारिकता जरूर निभाई जा रही है, लेकिन हासिल शून्य ही है। अस्पताल के कुछ भागों को छोड़ अन्य किसी भी भाग में सफाई का नामोनिशान नहीं दिखता। सफाई उपकरण के नाम पर सदर अस्पताल में बस झाड़ू ही उपलब्ध है। हालांकि एक डीजीएस मशीन भी है, जिससे लिक्विड का छिड़काव का काम लिया जाता है। फिनाइल और ब्लीचिंग पावडर समेत एसिड आदि भी उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग तो होता है लेकिन वह भी ठीक ढंग से काम नहीं करता।

मरीजों बेड कटे-फटे रहने से इंफेक्शन का खतरा मंडराता दिखा। इस भीषण गर्मी में भी पंखे और कूलर खराब पड़े थे, जिससे मरीज हलकान थे। सफाई के बुरे हाल के अलावा भी अन्य कई दुश्वारियां झेलने की नौबत है, जिससे पार पाना मरीजों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति शुक्रवार को आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान के पड़ताल में दिखी। भीषण गर्मी और उमस से त्रस्त हो कर लोग बीमार पड़ रहे हैं। सदर अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ पहुंच रही है, जहां उनका सामना असुविधाओं से हो रहा है। मंगलवार को पड़ताल किए जाने तक ओपीडी में लगभग 400 मरीज आए, जिनमें से 150 फीवर और गर्मी के कारण पीड़ित मरीज थे। ओपीडी में मौजूद डॉक्टर मरीज का इलाज करते मिले। समुचित दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही थीं। जरूरी होने पर स्लाइन आदि भी किया जा रहा था। जरूरत के अनुकूल मरीज भर्ती भी लिए जा रहे थे, लेकिन यहां उपलब्ध सुविधाएं दी जाने के बावजूद मरीज और उनके तीमारदारों की परेशानी कम नहीं हो रही थी। बरामदे में ही जहां-तहां सभी बैठे मिले। बरामदे में पंखों का हाल बेहद बुरा दिख रहा था। सबसे बड़ी मुसीबत अस्पताल में चारों तरफ फैली गंदगी साबित हो रही थी। इनदिनों सदर अस्पताल की सफाई व्यवस्था इतनी लचर दिख रही है कि बीमार पड़े मरीज की हालत सदर अस्प्ताल पहुंच कर और भी बुरी हो जा रही है जबकि उनकी तीमारदारी में आए परिजन भी बीमार जैसा ही हो कर लौट रहे हैं। स्वास्थ्य लाभ लेने के भरोसे के साथ सदर अस्पताल पहुंच रहे मरीज का भरोसा इस परिसर में प्रवेश करते ही टूट जा रहा है। सदर अस्पताल में रहती है नारकीय स्थिति आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने शुक्रवार को पड़ताल की तो सदर अस्पताल की स्थिति ठीक नहीं मिली। सर्जिकल वार्ड की बात हो या इमरजेंसी की, सभी जगह पर गंदगी पटी पड़ी थी। मरीजों के बुरे हाल की कौन कहे, वहां मौजूद नर्सों और चिकित्सकों को भी गन्दगी झेलते हुए काम करना पड़ रहा था। इमरजेंसी वार्ड में बेड पर पड़ी बाघी बरडीहा की एक महिला की परिजन शांति देवी और लोदीपुर के अजय कुमार ने बताया कि बेड के नीचे इतनी गंदगी बिखरी पड़ी है, जिसे कई दिनों से हटाने का प्रयास तक नहीं किया गया है। झाड़ू मारने तक कोई नहीं आया है जबकि अस्पताल प्रबंधन तीन शिफ्ट में सफाई का दवा करता मिल जाता है। जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अमित कुमार ने बताया कि आउटसोर्स किए गए 23 सफाई कर्मियों से तीन शिफ्ट में सफाई जारी है। शिकायतें हैं, जिसे दुरुस्त करने की कवायद जारी है। एक डीजीएस मशीन हउपलब्ध, जिससे इंफेक्शन दूर भगाने के लिए लिक्विड आदि का छिड़काव किया जा रहा है। अस्पताल परिसर में जगह-जगह मिलती है गंदगी अस्पताल परिसर में बिखरी पड़ी गंदगी ने मरीजों की बीमारी को दोहरा कर रखा है। हर तरफ की गंदगी और बदबू से एक पल भी किसी का ठहरना दुश्वार हो रहा है। नल पोस्ट के पास इतनी गंदगी पसरी थी कि वहां तक जाने की कोई हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा था और किसी ने नाक बंद कर पहुंचने की कोशिश भी की तो कई बार पानी तक नसीब नहीं होता। हाल इतना बुरा था कि सिविल सर्जन के कक्ष के समीप स्थित नल पोस्ट भी गंदगी से अटा पड़ा था। पानी की टंकी भर जाती है तब यह ओवरफ्लो हो कर इमरजेंसी कक्ष की पिछली दीवार की तरफ गिरता रहता है और आसपास को कीचड़मय बनाता रहता है, जिससे सड़ांध निकल कर मुसीबत का सबब बना रहता है। सदर अस्पताल के सेंको वार्ड के पीछे बड़ी संख्या में गंदगी पसरी दिखी तथा उसी के पीछे में कचरा भी काफी बड़ी मात्रा में जमा दिखा। सदर अस्पताल के महिला प्रसूति वार्ड में गंदगी सबसे ज्यादा दिखी। प्रसूति वार्ड में लगे पर्दे में रक्त काफी दिनों से लगे पड़े दिखे, जिस कारण मरीज और उनके परिजन इन्फेक्शन के डर के साये में दिखे। ----------------------- डीएम के निरीक्षण के बाद भी स्थिति ढाक के तीन पात वाली नवादा। अभी एक सप्ताह पूर्व डीएम रवि प्रकाश ने सदर अस्पताल की व्यवस्था का औचक निरीक्षण किया था। उनके आगमन के बाद निश्चित रूप से परिस्थितियों में थोड़ा-बहुत बदलाव देखने को मिला लेकिन दो-चार दिनों के बाद फिर से वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति बन गयी। परेशानियों का अंत होता नहीं दिख रहा है। डीएम के आदेश के बाद कुछ दिनों तक तत्परता बरतने का सिलसिला जारी रहा लेकिन फिर सब कुछ पुराने ढर्रे पर ही चलने लगा, आम मरीजों के लिए भारी कष्टकारी साबित हो रहा है। निराशाजनक तो यह है कि मरीज सारी परेशानियों को झेलने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कुछ भी बोलने से परहेज करते हैं। जब उन्हें फोर्स किया गया तो वह कहते हैं कि कौन परेशानी मोल ले। कहीं इलाज कराने में ही परेशानी न उठ जाए। ------------------------- आम लोगों की व्यथा : बेहद कठिन परिस्थितियों से गुजर कर सदर अस्प्ताल में इलाज कराना संभव हो पाता है। अस्पताल परिसर में प्रवेश करते हुए परेशानियों से दो-चार होने की नौबत बनी रहती है। सबसे पहले तो गेट के समीप की गंदगी से वास्ता पड़ता है और फिर पग-पग पर बेशुमार कूड़ा-कचरा परेशानी का कारण बनता है। मरीज के साथ आने वाले गंदगी के कारण बीमार पड़ जाते हैं। -राकेश कुमार, मरीज के सहयोगी, नवादा। सदर अस्पताल की सारी व्यवस्था कष्टकारी है लेकिन गंदगी की परेशानी बेहद संकट वाली है। शौचालय की गंदगी की कौन कहे, पेयजल के लिए उपलब्ध टैप के समीप भी इतनी गंदगी परसी रहती है कि सड़ांध से उबकाई आने लगती है। बीमार आदमी और भी बुरे हाल तक पहुंच जाता है। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी परिसर तक एकसमान बुरा हाल बना रहता है। -नीरज कुमार, मरीज, नवादा। सदर अस्पताल की व्यवस्था न जाने कब सुधरेगी। गाहे-बगाहे जांच की औपचारिकता पूरी कर डीएम से लेकर विधायक और सांसद अपने कर्तव्यों को पूरा कर लेते हैं लेकिन बाद में इसकी समीक्षा नहीं हो पाने के कारण सारी व्यवस्था दो-चार दिनों के बाद फिर से ध्वस्त हो कर रह जाती है। इसका स्थायी समाधान जब तक नहीं निकलता तब तक बेहतरी की उम्मीद बेकार है। -रंजीत कुमार, मरीज के सहयोगी, नवादा। सदर अस्पताल पर जिले भर के लोगों का भरोसा है लेकिन अस्पताल प्रबंधन लोगों का भरोसा खोता चला जा रहा है। परेशानियां और दुश्वारियां इतनी है कि एक बार आने के बाद कभी आने का मन नहीं करता है। शरीर में तकलीफ बढ़ती है तो आना मजबूरी बन जाती है लेकिन यहां हर जगह पसरी गंदगी से संकट से लेकर इलाज के क्रम में होने वाली परेशानी अब बर्दाश्त नहीं हो पाती है। -नूरजहां परवीन, मरीज, नवादा। ----------------------- वर्जन : 23 सफाई कर्मी डीजीएस मशीन से लिक्विड का छिड़काव करते हैं, जिससे इन्फेक्शन दूर किया जाता है। जबकि फिनाइल और ब्लीचिंग पावडर से गहन सफाई कराई जाती है। शौचालय आदि की सफाई जरूरत के अनुसार एसिड आदि से नियमित रूप से कराई जाती है। सेनार्जी बेस्ट मैनेजमेंट का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि मेडिकल कचरा का नुकसान झेलने की नौबत किसी भी हाल में न रहे। गर्मी के निदान के लिए जरूरतों के मुताबिक पंखे और एसी लगाए जाएंगे जबकि मरीजों के लिए खुली जगहों पर छावनी लगाने का आदेश दे दिया गया है। अभी पद संभाला हूं। स्थिति जैसे-तैसे वाली ही है। इसे दुरुस्त करना मेरी प्राथमिकता रहेगी। -डॉ.बिनोद कुमार चौधरी, सिविल सर्जन, सदर अस्पताल, नवादा।

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