आईजीआईएमएस की तर्ज पर पूर्णिया में भी आई केयर रीजनल सेंटर खोले जाएं
-हिन्दुस्तान फॉलोअप : पूर्णिया, वरीय संवाददाता। बिहार में लगभग 1.7 मिलियन लोग ब्लाइंडनेस के शिकार हैं। बिहार सबसे अधिक ब्लाइंडनेस वाले राज्यों में एक

पूर्णिया, वरीय संवाददाता। बिहार में लगभग 1.7 मिलियन लोग ब्लाइंडनेस के शिकार हैं। बिहार सबसे अधिक ब्लाइंडनेस वाले राज्यों में एक है। उसमें मिथिलांचल और सीमांचल में इनका घनत्व सबसे ज्यादा है। लगभग 40 वर्षों से सागरमाथा, लाहन और विराटनगर में उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल के आंख के मरीज इलाज के लिए जाते रहे हैं। ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अंधापन के मुख्य कारण, कैटरेक्ट, मोतियाबिंद, 60 प्रतिशत आई केयर फेसिलिटी का अभाव, शहरी और ग्रामीण असमानता, अशिक्षा, आर्थिक सामाजिक दुर्दशा आदि प्रमुख कारण है। सरकार लगातार अंधेपन की रोकथाम और सफल इलाज के लिए सतत प्रयत्नशील है।
सभी जिला अस्पताल में कैटरेक्ट के मुफ्त इलाज, मुफ्त चश्मा वितरण, अंधापन सोसाइटी द्वाराआयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना द्वारा मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। आईजीआईएमएस में रीजनल आई सेंटर, राजेंद्र नगर हास्पिटल को डेडीकेटेड आई हास्पिटल, एम्स पटना में स्पेशल आई यूनिट की स्थापना के बावजूद आंख की इलाज के लिए लोग नेपाल की रुख कर रहे हैं। पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज में भी आईकेयर के लिए अलग यूनिट है। पूर्णिया में लगभग 10 उच्च कोटि के आई केयर सेंटर है जहां आयुष्मान स्वास्थ्य योजनाएं भी चलती हैं। उच्च कोटि के आई सर्जन हैं। बावजूद इसके अंधेपन की विकराल समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। पूर्णिया आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु का मानना है कि सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षणिक जागरूकता अभियान चलाकर सामान्य जनता को सरकार की योजनाओं से अवगत कराया जाए। अंधेपन से बचाव के संदेश दिए जाएं। पूर्णिया में भी आईजीआईएमएस की तर्ज पर स्वतंत्र आई केयर रीजनल सेंटर खोले जाएं। आई बैंक के लिए जीएमसीएच पूर्णिया और यहां की स्वयं सेवी संस्थाओं की मांग काफी पुरानी है। उस पर ध्यान देते हुए शीघ्र आई बैंक खोले जाएं।
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