निजी चौकीदारों के भरोसे रखवाली पैदल गश्ती दल तैनात करे पुलिस
समस्तीपुर के मारवाड़ी बाजार में व्यापारी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। यहां तंग गलियों में उचक्कों के सक्रिय होने की शिकायतें हैं। दुकानदारों ने पुलिस से 24 घंटे गश्ती दल की मांग की है ताकि उनकी दुकानों...
समस्तीपुर। मारवाड़ी बाजार का इलाका शहर का प्रमुख व्यवसायिक स्थल है। यहां दर्जनों गलियां हैं जिनमें हजारों दुकानें चलती हैं। यहां प्रतिदिन लाखों रुपये का थोक कारोबार होता है। इलाके की गलियां संकरी होने के कारण व्यापारी सुरक्षा को लेकर सशंकित रहते हैं। गलियों में व्यापार कर रहे दुकानदारों की शिकायत है कि यहां उचक्के सक्रिय रहते हैं, पुलिस को पैदल गश्ती दल को भेजना चाहिए। कई बार छिनतई की घटना हो चुकी है। कई गलियां ऐसी हैं जहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हैं। इलाके में कई बार चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। दुकानदारों की मांग है कि 24 घंटे इलाके में पैदल और बाइकवाले पुलिस गश्ती दलों की तैनाती की जाए।
ताकि व्यापारी चिंतामुक्त होकर व्यापार कर सकें। मारवाड़ी बाजार का इलाका शहर का प्रमुख व्यवसायिक स्थल है। यहां प्रतिदिन किराना का लाखों रुपये का थोक कारोबार होता है। इसके अलावा दवा से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान की भी थोक और खुदरा बिक्री होती है। इस इलाके की गलियां काफी संकरी है जिस कारण व्यापारी सुरक्षा को लेकर सशंकित रहते हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस ने गश्ती के लिए टीम नहीं बनायी है। समस्या यह है कि यहां की गलियां काफी संकरी है जिस कारण पुलिस की वैन यहां तक नहीं पहुंच पाती है। यहां के दुकानदारों की परेशानी है कि गलियों में गश्ती नहीं होने से असामाजिक तत्व सक्रिय रहते हैं। हर समय दुकानों में चोरी की आशंका बनी रहती है। इन दुकानदारों का कहना है कि तंग गलियों में सीसीटीवी भी नहीं लगे हैं। इस कारण किसी तरह के अपराध होने पर अपराधियों की पहचान भी मुश्किल होती है। गलियों के दुकानदारों की मांग है कि गलियों में सुरक्षा मानकों के साथ पुलिस की गश्ती टीम की सक्रियता रहनी चाहिये। दुकानदार राजीव कुमार ने कहते हैं कि सुरक्षा के मामले में प्रशासन का सहयोग अपेक्षित है। पहले चौकीदार सीटी बजाकर रातभर गलियों की सुरक्षा की जाती थी, लेकिन आज के आधुनिक समय में गश्त लगाने वाली टीम मुख्य चौक-चौराहों से नीचे नहीं उतरती है। मारवाड़ी बाजार, गोला रोड, स्टेशन चौक के आसपास की गलियों में अपना कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायियों की मांग है कि अगर पहले की तरह अलग-अलग गलियों की रात में सुरक्षा के लिए प्रहरियों की टीम बना दी जाए तो तंग गलियों में दुकान चलाने वाले भी पूरी तरह से सुरक्षित महसूस करेंगे। इनमें से कुछ ऐसे भी व्यवसायी हैं, जिनके यहां चोरी हो चुकी है। इसलिए ये हमेशा दहशत में रहते हैं। इन गलियों में दर्जी की दुकानें, स्टेशनरी की दुकानें, नाई की दुकान, छोटे-छोटे गिफ्ट हाउस, प्रिंटर्स, जूते-चप्पलों की दुकानें, रेडीमेड कपड़ों की दुकान अथवा किराने की अनगिनत दुकानें जो अभी भी तंग गलियों में संचालित होती हैं। इन कारोबारियों को हमेशा अपनी दुकानों की सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। जिला मुख्यालय में कई ऐसी तंग गलियां हैं जहां पर चोर बड़ी आसानी से अंधेरे का फायदा उठाकर दुकानें व प्रतिष्ठानों में चोरी की घटना को अंजाम देते हैं। एहतियातन इन दुकान वालों ने अपना निजी चौकीदार रख लिया है जो रात भर निर्धारित दुकान के आसपास मंडराता रहता है। निजी चौकीदार के पास दुकान वालों की ओर से मोबाइल भी उपलब्ध कराया गया है। इसमें सभी दुकान मालिकों का संपर्क नंबर दर्ज रहता है। रात दस बजे से लेकर सुबह छह बजे तक इन निजी चौकीदारों द्वारा रात्रि प्रहरी का काम करने के एवज में प्रति दुकान निर्धारित राशि इनको बतौर मेहनताना दिया जाता है। शहर में कई ऐसी गलियां है जहां पर चोर बड़ी आसानी से अंधेरे का फायदा उठाकर दुकानें व प्रतिष्ठानों में चोरी की घटना को अंजाम देते हैं। अगर पुलिस प्रशासन तंग गलियों की सुरक्षा के लिए विशेष मानव बल तैनात कर दे व बाइक गश्ती को भेजने की व्यवस्था हो जाए तो इससे छोटे दुकानदार व छोटे कारोबारियों को सुविधा मिल जाएगी। बोले-जिम्मेदार तंग गलियों की गश्ती को लेकर पुलिस ने प्लान तैयार कर रखा है। मुख्य मार्ग पर वाहन लगाने के बाद गश्ती में शामिल दल गलियों तक जाते हैं। वहीं टॉर्च जलाकर मुआयन भी करते हैं। हालांकि सीटी बजाने का काम नहीं होता है। अगर इसकी जरूरत होगी तो इसे भी किया जाएगा। -संजय कुमार पांडेय, एएसपी
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