वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर पुलिस पदाधिकारियों को बनाया जा रहा सबल
सीवान में वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। भारतीय रिजर्व बैंक ने 100 से अधिक पुलिस अधिकारियों को वित्तीय साक्षरता, उपभोक्ता संरक्षण...

सीवान, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। अब वित्तीय धोखाधड़ी को लेकर पुलिस पदाधिकारियों को सबल बनाने की कवायद शुरू हो गई है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पुलिस अधिकारियों के लिए वित्तीय धोखाधड़ी पर एक वृहद प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। गुरुवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीवान सहित अन्य जिलों के उप पुलिस अधीक्षको सहित विभिन्न श्रेणी के 100 से अधिक पुलिस अधिकारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसमें कार्यक्रम में बढ़ते वित्तीय अपराधों के युग में भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका और वित्तीय साक्षरता एवं उपभोक्ता संरक्षण के महत्व के बारे में बात की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पुलिस कर्मियों को वित्तीय अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने और नागरिकों को धोखाधड़ी की गतिविधियों का शिकार होने से बचाने के लिए आवश्यक जान और कौशल से लैस करना है।
प्रतिभागियों को एनबीएफसी, अनिगमित निकायों और जमा लेने की गतिविधियों से संबंधित नियमों दिशा निर्देशों से परिचित कराने से पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक के विभिन्न क्रियाकलापों और कार्यप्रणाली के बारे में बताया गया। इसके उपरांत घोटालेबाजों द्वारा भोले-भाले लोगों को ठगने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले विभिन्न नवीनतम तरीकों के बारे में विस्तार से बताया गया। प्रशिक्षण में डिजिटल गिरफ्तारी, एमएलएम योजनाएं, वित्तीय साइबर अपराध पर हुई चर्चा प्रशिक्षण के दौरान पुलिस पदाधिकारियों को डिजिटल गिरफ्तारी, एमएलएम योजनाएं, वित्तीय साइबर अपराध, प्रतिरूपण, ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी, ट्रेडिंग घोटाला, अबैध ऋण देने बाले ऐप आदि शामिल हैं। इन घोटालेबाजों से ठगे जाने से स्वयं को बचाने के लिए विभिन्न उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की गयी। कार्यक्रम में अविनियमित जमा योजनाओं के खिलाफ भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा की गई विभिन्न पहलों और वित्तीय धोखाधड़ी करने वाले लोगों के खिलाफ जमाकर्ताओं के लिए उपलब्ध उपायों के बारे में बात की गयी। फर्जी सिम कार्ड के माध्यम से किए जाने वाले विभिन्न साइबर अपराधों की कार्यप्रणाली को बताया गया फर्जी सिम कार्ड के माध्यम से किए जाने वाले विभिन्न साइबर अपराधों की कार्यप्रणाली के बारे में भी बताया गया। इस बात पर भी विस्तार से चर्चा की गई कि पिछले कुछ वर्षों में सिम जारी करने की प्रक्रिया कैसे विकसित हुई है तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल एवं डिजिटल इंटेलिजेंस का उपयोग करके इस तरह के साइबर अपराधों को रोकने में दूरसंचार विभाग की क्या भूमिका है। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) द्वारा वित्तीय धोखाधड़ी करने वाले लोगों से निपटने के लिए उपलब्ध कानूनी ढांचे और ऐसे मुद्दों से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका के बारे में बताया गया। प्रतिभागियों में से कुछ उप पुलिस अधीक्षकों द्वारा वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों से निपटने से संबंधित अपने कार्य अनुभव भी साझा किए गए, जो अन्य प्रतिभागियों के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा केस डायरी तैयार करने के विभिन्न सूक्षम पहलुओं की दी गई जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा केस डायरी तैयार करने के विभिन्न सूक्षम पहलुओं के बारे में बताया गया। हाल के दिनों में भारत सरकार और राज्य सरकार के द्वारा पुलिस विभाग के सशक्तिकरण के लिए किए गए विभिन्न प्रयासों और नए पोर्टल्स की भी जानकारी दी गयी, जिसे प्रतिभागिओं ने काफी सराहा। पुलिस अधिकारियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक की इस अद्वितीय पहल की भरपूर सराहना की। क्योंकि इससे उन्हें विनियामक और कानूनी ढांचे की बारीकियों को समझने और वित्तीय धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ाई में कानून प्रवर्तन एजेंसियों एवं वित्तीय संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए एक अभूतपूर्व मंच मिला। सभी प्रतिभागियों ने यह विश्वास व्यक्त किया की आज का कार्यक्रम उनके कौशल और क्षमता में काफी योगदान देगा और बिहार में साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने में काफी सहायता मिलेगी। कार्यक्रम का आयोजन और संचालन भारतीय रिजर्व बैंक के उप महाप्रबंधक नीरज कुमार के नेतृत्व में किया गया। मौके पर भारतीय रिजर्व बैंक, पुलिस विभाग और आर्थिक अपराध इकाई के अधिकारियों ने सत्र का संचालन किया और उत्साह पूर्वक उपस्थित रहे।
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