बिहार में बर्ड फ्लू: लॉकडाउन के कारण बर्ड फ्लू सैंपल की जांच रुकी
बिहार के विभिन्न हिस्सों में कौवों की मौत के मामले में बर्ड फ्लू संक्रमण को लेकर होने वाली जांच इन दिनों ठहर गई है। सूत्रों के मुताबिक कौवों की मौत के बाद उनके सैंपल इकट्ठा करके कोलकाता और भोपाल के...

बिहार के विभिन्न हिस्सों में कौवों की मौत के मामले में बर्ड फ्लू संक्रमण को लेकर होने वाली जांच इन दिनों ठहर गई है। सूत्रों के मुताबिक कौवों की मौत के बाद उनके सैंपल इकट्ठा करके कोलकाता और भोपाल के लैब भेजे जाते थे। लेकिन करोना आपदा के बाद लॉक डाउन के कारण अब यह सैंपल नहीं भेजे जा रहे हैं। सारे सैंपल या तो पटना में इकट्ठा करके लाए जाते हैं या स्थानीय तौर पर जिला पशुपालन अधिकारियों की देखरेख में उनको डिस्पोजल किया जाता है।
हाल ही में वैशाली में एक स्थान पर बगीचे में 42 कौवे की एक साथ मौत हो गई। इसके बाद काफी विचार-विमर्श के बाद डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने उनका स्थानीय स्तर पर ही निष्पादन कराया। कारण था कि हवाई सेवा और ट्रेन सेवा बंद रहने के कारण वे सैंपल लैब नहीं भेजे जा सके। इन डॉक्टरों का मानना व आशंका यही है कि बर्ड फ्लू आदि बीमारियों के संक्रमण ही कौवों जंगली पक्षियों को मौत हो रही है।
इनको समुचित जगह वैज्ञानिक तरीके से दफनाना इसलिए भी जरूरी हो गया था, क्योंकि उसका संक्रमण मुर्गी आदि दूसरी पक्षियों में नहीं हो जाए। अच्छी बात यह है कि कौवों में पाई जाने वाली बीमारी दूसरे पक्षियों या अन्य जिलों के पोल्ट्री फार्म में नहीं फैल सकी है। लेकिन जांच में भेजने की समस्या के कारण उन मरे हुए पक्षियों को वहीं गाड़ दिया जाएगा।
इसका एक साइड इफेक्ट यह है कि लॉक डाउन के बाद मरे हुए कोवों की मौत के कारणों का पता नहीं चलेगा। लेकिन चिकित्सकों का कहना है की अभी सरकार की हिदायत के बाद पहला लक्ष्य बर्ड फ्लू के संक्रमण के फैलाव को रोकना ही है। राज्य में बर्ड फ्लू के फैलाव को सफलतापूर्वक रोक दिया गया है।