इनसाइडर ट्रेडिंग मामले में इंडसइंड बैंक को सेबी से मिली बड़ी राहत, शेयर के उछले भाव
Indusind Bank Share Price: सेबी ने इंडसइंड बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कथपलिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना के खिलाफ चल रही इनसाइडर ट्रेडिंग की जांच को बंद कर दिया है। इसके बाद के बाद इंडसइंड बैंक के शेयरों में तेजी दर्ज की जा रही है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इंडसइंड बैंक के पूर्व सीईओ सुमंत कथपलिया और डिप्टी सीईओ अरुण खुराना के खिलाफ चल रही इनसाइडर ट्रेडिंग की जांच को बंद कर दिया है। सेबी को इनके शेयर बेचने के लेन-देन में कोई गड़बड़ी नहीं मिली। इस राहतभरी खबर के बाद इंडसइंड बैंक के शेयरों में सवा दो फीसद की तेजी दर्ज की जा रही है। इंडसंड बैंक के शेयर शुरुआती कारोबार में 857 रुपये के आसपास थे।
मार्च 2024 में बैंक ने फॉरेक्स डेरिवेटिव्स में ₹1,960 करोड़ के लेखा घोटाले का खुलासा किया, जिससे शेयर कीमतों में गिरावट आई। इसी दौरान, कथपलिया और खुराना ने मई 2023 से जून 2024 के बीच क्रमशः ₹134 करोड़ और ₹82 करोड़ के शेयर बेचे थे।
लाइव मिंट की खबर के मुताबिक फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के मैनेजिंग पार्टनर संदीप पारिख ने कहा, 'इनसाइडर ट्रेडिंग को साबित करने के लिए विशिष्ट सबूतों के साथ विशिष्ट आरोप लगाने की जरूरत है। कंपनी के अधिकारियों के लिए अपने निहित एसॉप्स को फंड देने और टैक्स का भुगतान करने के लिए शेयरों को बेचना नियमित है। जब तक यह साबित नहीं हो जाता है कि जानकारी सार्वजनिक होने से ठीक पहले शेयरों की एक बड़ी मात्रा बेची गई थी, तब तक यह नहीं कहा जा सकता है कि इनसाइडर ट्रेडिंग हुई थी।'
इस बारे में सेबी, इंडसइंड बैंक, आरबीआई और दोनों पूर्व कार्यकारियों को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।
सेबी ने क्या कहा
ये शेयर बिक्री कर्मचारी स्टॉक ओनरशिप प्लान (Esops) के तहत वेस्ट होने के बाद की गई थी। सभी ट्रांजैक्शन बाजार को पहले ही बता दिए गए थे। इसलिए, इनसाइडर ट्रेडिंग का कोई सबूत नहीं मिला।
लेखा घोटाले की जांच: बैंक ने फॉरेक्स डेरिवेटिव्स को गलत तरीके से "मार्क टू मार्केट" नहीं किया, जिससे बड़ा वित्तीय नुकसान हुआ। ग्रांट थॉर्नटन की फॉरेंसिक ऑडिट में पाया गया कि पूर्व डिप्टी CEO खुराना इस गलत लेखांकन के बारे में जानते थे। RBI के सितंबर 2023 के निर्देश के बावजूद, बैंक ने अप्रैल 2024 तक MTM नियम लागू नहीं किए। घोटाले का पता अक्टूबर 2024 में चला, लेकिन फरवरी 2025 तक शेयरधारकों को सूचित नहीं किया गया।
सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग के मामले को बंद कर दिया, लेकिन बैंक को लेखा घोटाले और प्रबंधन में उथल-पुथल (CEO-डिप्टी CEO का इस्तीफा) से जूझना पड़ रहा है। निवेशकों के लिए सतर्कता जरूरी है, क्योंकि बैंक का शेयर प्रदर्शन घोटाले और नए नेतृत्व पर निर्भर करेगा।