पाकिस्तान के लिए मातम लेकर आएगा 9 मई का दिन, मिलेगा एक और बड़ा झटका! भारत की बड़ी स्ट्रैटेजी
India Pakistan Conflict: भारत के मिसाइल और ड्रोन हमले के बाद पाकिस्तान में तबाही आ गया है। पाकिस्तान में जबरदस्त खौफ है।

India Pakistan Conflict: भारत द्वारा मिसाइल और ड्रोन हमले के बाद पाकिस्तान में जबरदस्त खौफ है। भारत पाक में युद्ध जैस हालात के बीच आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान के लिए 9 मई का दिन अहम रहने वाला है। दरअसल, पाकिस्तान IMF से 1.3 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता चाहता है और भारत अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को जारी आर्थिक मदद को रोकने की बात कर रहा है। इसके लिए कल एक अहम बैठक होने वाली है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिए जाने वाले सहायता पैकेज का विरोध करेगा और 9 मई को होने वाली कार्यकारी बोर्ड बैठक में इसके खिलाफ वोट डाल सकता है। बता दें कि पाकिस्तान की इकोनॉमी आईएमएफ के कर्ज पर ही चल रहा है, ऐसे में अगर भारत इस कर्ज की अगली किस्त रोकने में सफल हो जाता है तो पाकिस्तान की आर्थिक हालत और बिगड़ जाएगी।
क्या है डिटेल
भारत ने औपचारिक रूप से IMF से पाकिस्तान को दिए गए कर्ज का पुनर्मूल्यांकन करने की अपील की है। भारत ने आईएमएफ के समक्ष पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि यह फंड अप्रत्यक्ष रूप से देश को अपने घरेलू संसाधनों को अपने सैन्य-खुफिया सिस्टम (जिसमें आईएसआई भी शामिल है) तथा लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे आतंकवादी समूहों की ओर मोड़ने में सक्षम बनाती है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने गुरुवार को बताया कि भारत 9 मई को होने वाली IMF बोर्ड की बैठक में पाकिस्तान के ऋणों के बारे में अपनी चिंताओं को प्रस्तुत करेगा। ब्लूमबर्ग के एक रिपोर्टर के एक प्रश्न के उत्तर में मिसरी ने कहा कि IMF में भारत के कार्यकारी निदेशक औपचारिक रूप से भारत की स्थिति प्रस्तुत करेंगे, जिसमें पाकिस्तान को दिए गए ऋणों की समीक्षा शामिल है।
आईएमएफ रिव्यू क्यों कर रहा है?
बता दें कि 9 मई को होने वाली आईएमएफ की अगली समीक्षा में यह वैल्यूएशन किया जाएगा कि क्या पाकिस्तान ने वित्तपोषण की अगली किश्त प्राप्त करने के लिए आवश्यक सुधार मानदंडों को पूरा किया है। 2023 में, पाकिस्तान को IMF से 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट मिला, इसके बाद मार्च 2024 में जलवायु लचीलापन का समर्थन करने के लिए 1.3 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त राशि मिली। लगभग 350 बिलियन डॉलर की मामूली अर्थव्यवस्था वाले देश के लिए ये महत्वपूर्ण रकम हैं।