Ambedkar Jayanti Speech In Hindi : बाबासाहेब अंबेडकर जयंती पर 2 मिनट का दमदार भाषण
- Ambedkar Jayanti Speech In Hindi : अंबेडकर जयंती के मौके पर उनकी याद में बहुत से कार्यक्रम होते हैं। अगर आप किसी कार्यक्रम में भाषण देने या निबंध लिखने की योजना बना रहे हैं तो नीचे दी गई शानदार स्पीच से उदाहरण ले सकते हैं।

Ambedkar Jayanti Speech In Hindi : आज भारतीय संविधान निर्माता, महान समाज सुधारक, सामाजिक समानता के प्रबल पक्षधर, भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती है। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने न सिर्फ दलितों, वंचितों, पिछड़ों और गरीबों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि वे महिलाओं के अधिकारों के भी बहुत बड़े हिमायती थे। डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महू में एक महार परिवार में हुआ था जिसे उन दिनों समाज में निचली जाति माना जाता था। ऐसे में अंबेडकर ने समाज में असमानता और भेदभाव का सामना किया। स्कूल में उन्हें अन्य बच्चों से अलग बैठाया जाता था। दलितों की इतनी बुरी स्थिति देखकर उन्होंने अपना पूरा जीवन पिछड़े वर्गों के उत्थान में लगा दिया। वह दलितों, शोषित और पिछड़ों की आवाज बन गए।
अंबेडकर जयंती के मौके पर उनकी याद में बहुत से कार्यक्रम होते हैं। अगर आप किसी कार्यक्रम में स्पीच देने या निबंध लिखने की योजना बना रहे हैं तो फिर नीचे दिए गए भाषण से उदाहरण ले सकते हैं।
Ambedkar Jayanti speech in hindi : अंबेडकर जयंती पर भाषण
आदरणीय अध्यापक गण, प्रिंसिपल सर एवं मेरे प्यारे साथियों
आज 14 अप्रैल को हम यहां भारत के संविधान के रचयिता भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती मनाने के लिए जुटे हैं। 14 अप्रैल ही वह दिन है जिन दिन उस महामानव का जन्म हुआ था, जिसने सदियों से चली आ रही गैर बराबरी, असमानता और छुआछूत जैसी हजारों कुप्रथाओं को समाप्त करने का भरसक प्रयास किया। आज हमारा देश इस महापुरुष की 135वीं जयंती मना रहा है। मैं बाबासाहेब को कोटि कोटि नमन करता हूं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। डॉ बाबासाहेब अंबेडकर एक उत्कृष्ट बुद्धिजीवी, प्रकाण्ड विद्वान, न्यायविद, सफल राजनीतिज्ञ, कानूनविद् , अर्थशास्त्री और जनप्रिय नायक थे।
बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती पर आज भारत सरकार ने सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया है। केंद्र सरकार 135वीं डॉ. अंबेडकर जयंती का समारोह नई दिल्ली में संसद भवन लॉन के प्रेरणा स्थल में आयोजित करेगी।
अंबेडकर का स्वतंत्रता आंदोलन के समय जो प्रभाव था, आज उससे कई गुना ज्यादा हो गया है। उन्होंने न सिर्फ संविधान निर्माण में सबसे अहम रोल अदा किया बल्कि समाज में दलितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। बाबा साहेब ने अपना सारा जीवन भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष में बिता दिया। वे सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष के प्रतीक हैं।
बाबा साहेब अंबेडकर का परिवार महार जाति से संबंध रखता था, जिसे अछूत माना जाता था। वह दलित थे। वह उस वक्त समाज में व्याप्त भेदभाव से लड़कर अपनी काबिलियत के दम पर आजाद भारत के पहले कानून मंत्री के पद तक पहुंचे। 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न भी दिया गया।
अंबेडकर अपने समय के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कुछेक लोगों में से एक थे। उनके पास 32 डिग्रियां थीं। उन्होंने अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में एमए व पीएचडी की। इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इंकोनॉमिक्स से एमएससी, डीएससी डिग्री ली। ग्रेज इन बैरिस्टर एट लॉ किया और कानून के महान विद्वान भी बन गए। अंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। अंबेडकर ने दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए 'बहिष्कृत भारत', 'मूक नायक', 'जनता' नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकाले।
बाबासाहेब अर्थशास्त्र के भी बड़े विद्वान थे। भारतीय अर्थव्यवस्था को चलाने वाले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की परिकल्पना उन्हीं के विचारों पर आधारित थी। इतना ही नहीं बाबासाहेब ने महिलाओं को समाज में बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए भी लड़ाई लड़ी। वह कहते थे कि वह किसी समाज की प्रगति यह देखकर आंकते हैं कि उस समाज में महिलाओं की स्थिति कैसी है। आज हमारा संविधान जो पुरुषों और महिलाओं को बराबर अधिकार देता है, उसमें डॉ. अंबेडकर की सबसे बड़ी भूमिका है।
इसके अलावा वह श्रमिकों के हक के लिए भी लड़े। वह श्रम सुधारों के भी नायक थे। रोजगार कार्यालयों की स्थापना का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। श्रमिक संघों को बढ़ावा दिया।
आजादी की लड़ाई जब चल रही थी, तब एक तरफ महात्मा गांधी उसका प्रतिनिधित्व कर रहे थे, तो दूसरी तरफ, अंबेडकर भी अलग स्तर पर सक्रिय थे। वह आजादी को व्यापक स्वरूप में देख रहे थे। उनका यह कहना था कि आजादी मिले, तो दलित मुक्ति भी हो, यह नहीं कि आजाद तो हम हो जाएं, लेकिन वंचितों की स्थिति जस की तस रहे।
अंबेडकर को हम देखें, तो वह अपने समय में चुनाव हार गए थे, लेकिन आज अंबेडकर इतने सशक्त हैं कि उनके नाम पर सत्ता परिवर्तन हो सकता है। उनके नाम पर सरकार जा सकती है और बन भी सकती है।
आज अंबेडकर से बहुत कुछ सीखा जा सकता है, पर उनमें दो गुण ऐसे हैं, जो हर भारतीय में होने चाहिए। समानता के प्रति वह प्रतिबद्ध थे, वह हर चीज को समानता की दृष्टि से देखते थे और हर भारतीय में समानता के प्रति आग्रह आज बहुत जरूरी है। दूसरा गुण यह है कि आंबेडकर पढ़ते बहुत थे, उनमें ज्ञान की आकांक्षा बहुत थी। यह एक ऐसा गुण है, जिसकी कमी को आज भारतीय राजनीति में भी सबसे ज्यादा महसूस किया जा रहा है। एक अच्छे लोकतंत्र के लिए ज्ञान की आकांक्षा हर किसी में होनी ही चाहिए। साथियों आज के दिन हमारा दायित्व है कि हम उनके विचारों का प्रचार प्रसार करने का संकल्प लें। जन जन तक पहुंचाएं। उनके कहे कथनों को मानें और अपने जीवन में उतारें।
अपने भाषण का अंत मैं कुछ लाइनों से करना चाहूंगा।
'औरों को जो मिला हैं वो मुक्कदर से मिला होगा
हमें तो मुक्कदर भी तेरे संविधान से मिला है।''
बाबासाहेब अंबेडकर को उनकी जयंती पर शत् शत् नमन। जय भीम, जय भारत! जय हिन्द।