बातचीत के लिए तैयार पर…; नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ सरकार के सामने रख दी ये डिमांड
- अब नक्सलियों ने एक और प्रेस नोट जारी कर सुरक्षाबलों के ऑपरेशन 'कगार' को तुरंत रोकने और वार्ता के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की मांग की है।

छत्तीसगढ़ में मार्च-2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने की मियाद तय होने के बाद माओवादी संगठन में दहशत है। एनकाउंटर में मारे जाने के डर से नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़ कर लगातार सरेंडर कर रहे हैं तो वहीं मुठभेड़ में कई बड़े कैटर के माओवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। गोली की भाषा बोलने वाले नक्सली कुछ दिनों पहले बोली पर आए थे और शांति वार्ता की अपील की थी,लेकिन सरकार ने शर्तों पर बातचीत करने से मना कर दिया था। अब नक्सलियों ने एक और प्रेस नोट जारी कर सुरक्षाबलों के ऑपरेशन 'कगार' को तुरंत रोकने और वार्ता के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की मांग की है।
नक्सलियों के उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश के नाम से जारी प्रेस नोट में शांति वार्ता के लिए एक अनुकूल माहौल बनाने की अपील की गई है। नक्सली नेताओं ने प्रेस नोट में सीजफायर की मांग भी की है,ताकि वार्ता की प्रक्रिया को सहज और प्रभावी रूप से शुरू किया जा सके। इसके लिए स्थानीय कैडर के नेतृत्वकारियों से मिलने और आने-जाने की बात भी कही गई है। एनकाउंटर होने से बातचीत नहीं हो पाएगी। प्रेस नोट में नक्सलियों ने गृहमंत्री विजय शर्मा का जिक्र किया है और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर बातचीत के लिए एजेंडा तय कर सकते हैं। नक्सलियों ने जारी प्रेस नोट में शांति वार्ता के लिए अनुकूल माहौल मिलने के बाद बातचीत के लिए आगे बढ़ने की बात कही है।
एनकाउंटर से बैकफुट पर माओवादी संगठन
बता दें कि इससे पहले नक्सलियों के प्रवक्ता ने एक पत्र लिखा था,जिसमें सशर्त शांति वार्ता की मांग की गई थी। नक्सलियों का यह नया प्रेस नोट शांति प्रक्रिया के लिए एक कदम आगे बढ़ाने का संकेत देता है, लेकिन सुरक्षा बलों के ऑपरेशनों के मुद्दे पर स्पष्टता का इंतजार किया जा रहा है। सुरक्षाबलों और सरकार की ओर से प्रेस नोट पर बयान जारी किया गया था,जिसमें गृहमंत्री विजय शर्मा ने सशर्त वार्ता की पेशकश को ठुकराते हुए सरेंडर की बात कही थी। नक्सलियों का यह बयान गृहमंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे के पहले आई थी। इसके बाद तेलंगाना में 86,दंतेवाड़ा में 26 और बीजापुर में 22 नक्सलियों ने सरेंडर किया था। एनकाउंट से माओवादी संगठन बैकफुट पर आ गया है।
अनुकूल माहौल के बिना वार्ता कैसे संभव
उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश पत्र में कहा गया है कि हमारे केंद्रीय कमेटी तरफ से हाल ही में शांति वार्ता को लेकर एक बयान जारी हुआ। उस बयान में भी यही अनुरोध किया गया कि वार्ता के लिए अनुकूल माहौल चाहिए। छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने हमारी केंद्रीय कमेटी के ‘अनुकूल माहौल बनाने की मांग से इनकार किया था, लेकिन अनुकूल माहौल के बिना वार्ता संभव नहीं होगी, यह सभी जानते हैं। फिर इसका मतलब यह है कि सरकार ने अभी जो तरीका अपनाया है उसे ही जारी रखना चाहती है, तो इसका विरोध होना चाहिए। सरकार की आत्मसमर्पण नीति को समस्या का पूर्ण परिष्कार के रूप में बताने का भी विरोध होना चाहिए।
(रिपोर्ट- संदीप दीवान)
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