एलियंस ने किया हमला, पत्थर में बदल गए 23 सोवियत सैनिक; CIA की खुफिया फाइल ने मचाया हड़कंप
- सीआईए का यह सिंगल पेज दस्तावेज कथित तौर पर सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में प्राप्त एक 250 पेज की सोवियत खुफिया एजेंसी फाइल पर आधारित है।

एक हाल ही में सार्वजनिक की गई सीआईए (केंद्रीय खुफिया एजेंसी) की गोपनीय फाइल ने दुनियाभर में सनसनी फैला दी है। इस दस्तावेज में दावा किया गया है कि शीत युद्ध के दौरान (1989 या 1990 में) साइबेरिया में सोवियत सैनिकों और एक अज्ञात उड़न तश्तरी (यूएफओ) के बीच भयावह मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 23 सैनिक पत्थर में बदल गए थे। यह दस्तावेज मूल रूप से 2000 में गोपनीयता से मुक्त किया गया था। इसे हाल ही में सीआईए की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया जिसके बाद यह वायरल हो गया है।
क्या हुआ था उस घटना में?
रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब सोवियत सैन्य टुकड़ी साइबेरिया में एक नियमित प्रशिक्षण अभ्यास कर रही थी। अचानक, एक कम ऊंचाई पर उड़ने वाली "तश्तरी के आकार की उड़न वस्तु" सैनिकों के ऊपर मंडराने लगी। अज्ञात कारणों से, सैनिकों में से एक ने इस यूएफओ पर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल दाग दी, जिसके परिणामस्वरूप यूएफओ पास ही में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
दस्तावेज में दावा किया गया है कि दुर्घटनाग्रस्त यूएफओ से पांच छोटे कद के प्राणी बाहर निकले, जिनके सिर बड़े और आंखें काली थीं। ये प्राणी, जो कथित तौर पर एलियंस थे, एक साथ आए और एक गोलाकार वस्तु में विलीन हो गए। इसके बाद, इस गोलाकार वस्तु ने एक तेज भनभनाहट की आवाज के साथ एक चमकदार सफेद रोशनी का विस्फोट किया। इस विस्फोट में 23 सैनिकों के शरीर तुरंत पत्थर के खंभों में बदल गए। केवल दो सैनिक इस हमले में बच पाए क्योंकि वे छाया में खड़े थे और पूरी तरह से इस रोशनी के संपर्क में नहीं आए।
केजीबी की 250 पेज की रिपोर्ट
सीआईए का यह सिंगल पेज दस्तावेज कथित तौर पर सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में प्राप्त एक 250 पेज की केजीबी (सोवियत खुफिया एजेंसी) फाइल पर आधारित है। इस फाइल में घटना के चश्मदीद गवाहों के बयान, तस्वीरें और चित्र शामिल हैं। केजीबी की रिपोर्ट के अनुसार, "पत्थर बने सैनिकों" और यूएफओ के अवशेषों को मॉस्को के पास एक गुप्त वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में ले जाया गया। सोवियत वैज्ञानिकों ने पाया कि सैनिकों के जीवित ऊतकों को एक अज्ञात ऊर्जा स्रोत ने तुरंत चूना पत्थर जैसे पदार्थ में बदल दिया था, जिसकी आणविक संरचना सामान्य चूना पत्थर से मेल खाती थी।
सीआईए का आकलन
सीआईए की रिपोर्ट में एक अनाम प्रतिनिधि के हवाले से कहा गया है, "यदि केजीबी की फाइल वास्तविकता से मेल खाती है, तो यह एक अत्यंत खतरनाक मामला है। एलियंस के पास ऐसी हथियार और तकनीक हैं जो हमारी सभी धारणाओं से परे हैं। वे हमला होने पर अपनी रक्षा कर सकते हैं।" यह बयान उस समय की मानसिकता को दर्शाता है, जब शीत युद्ध के दौरान दोनों महाशक्तियां (अमेरिका और सोवियत संघ) अज्ञात उड़न वस्तुओं को लेकर सतर्क थीं।
विशेषज्ञों की संदेहास्पद प्रतिक्रिया
हालांकि यह दस्तावेज जनता के बीच उत्साह और जिज्ञासा का कारण बन रहा है, कई विशेषज्ञों ने इसकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाए हैं। पूर्व सीआईए एजेंट माइक बेकर ने फॉक्स न्यूज को बताया, "मुझे यकीन है कि अंतरिक्ष में कुछ न कुछ है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि एलियंस दशकों पहले आए, सोवियत सैनिकों को चूना पत्थर में बदला और हम अब जाकर इसके बारे में सुन रहे हैं।" उन्होंने सुझाव दिया कि यह कहानी कई बार दोहराए जाने के बाद बदली हुई हो सकती है।
इसके अलावा, यह दस्तावेज मूल रूप से कनाडा के वीकली वर्ल्ड न्यूज और यूक्रेन के होलोस उक्रायिनी अखबार में प्रकाशित लेखों का सारांश है, जिन्हें 1993 में छापा गया था। वीकली वर्ल्ड न्यूज को अक्सर सनसनीखेज और काल्पनिक कहानियों के लिए जाना जाता था, जिसके कारण कुछ आलोचकों का मानना है कि यह कहानी शीत युद्ध के दौरान दुष्प्रचार या सामूहिक भ्रम का हिस्सा हो सकती है।
वैश्विक रुचि और यूएफओ का बढ़ता आकर्षण
यह दस्तावेज ऐसे समय में फिर से चर्चा में आया है जब यूएफओ और अनपहचानी हवाई घटनाओं (यूएपी) में वैश्विक रुचि बढ़ रही है। 2020 में, अमेरिकी रक्षा विभाग ने यूएपी टास्क फोर्स की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य अज्ञात वस्तुओं का पता लगाना, विश्लेषण करना और सूचीबद्ध करना है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती हैं। इसके अलावा, 2025 की शुरुआत में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएफओ से संबंधित दशकों पुरानी सरकारी फाइलों को गोपनीयता से मुक्त करने का आदेश दिया था, जिसने इस विषय पर और अधिक अटकलों को जन्म दिया।
क्या यह सत्य है या मिथक?
क्या यह वास्तव में एलियंस के साथ एक मुठभेड़ थी, या शीत युद्ध के दौरान की गई गलतफहमी और दुष्प्रचार का नतीजा? इस प्रश्न का उत्तर अभी भी अस्पष्ट है। दस्तावेज में जीवित बचे सैनिकों के प्रत्यक्ष बयानों का अभाव और पत्थर बने अवशेषों की कोई वैज्ञानिक पुष्टि न होना इस कहानी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। फिर भी, यह कहानी मानवता के उस शाश्वत प्रश्न को फिर से जीवंत करती है: क्या हम इस विशाल ब्रह्मांड में अकेले हैं?
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