ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन में पहला खुफिया मंथन! ड्रैगन के दरबार में होंगे पाक और तालिबान
ऑपरेशन सिंदूर में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान के डिप्टी पीएम इशाक डार पहली बार चीन का दौरा कर रहे हैं। उनके अलावा चीन ने तालिबान के विदेश मंत्री को भी बुलाया है। भारत और पाक तनाव के बीच चीन में यह पहली मीटिंग है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सैन्य कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने अब चीन का रुख किया है। पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार तीन दिवसीय दौरे पर सोमवार को बीजिंग पहुंच रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि इस दौरे में पाकिस्तान के अफगानिस्तान मामलों के विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद सादिक भी उनके साथ हैं, जबकि 20 मई को चीन में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के भी पहुंचने की खबर है।
भारतीय खुफिया एजेंसियां इस दौरे को भारत-पाक हालिया संघर्ष और ऑपरेशन सिंदूर के बाद की रणनीतिक बैठक के तौर पर देख रही हैं। इस बैठक में चीन, पाकिस्तान और तालिबान के विदेश मंत्रियों के बीच दक्षिण एशिया की बदलती सुरक्षा स्थिति और आगे की रणनीति पर चर्चा होनी है। सूत्रों के अनुसार, यह एक त्रिपक्षीय बैठक होगी जिसमें सीमा पार आतंकवाद, सुरक्षा सहयोग और आर्थिक गतिविधियों के बहाने रणनीतिक समीकरण साधे जा सकते हैं।
भारत-पाक संघर्ष और ऑपरेशन सिंदूर
यह पूरी कूटनीतिक कवायद ऐसे वक्त हो रही है जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। इस सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें 100 से अधिक आतंकी मारे गए। इनमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के आतंकी, ट्रेनिंग सेंटर और ठिकाने शामिल थे।
पाकिस्तान ने इसके जवाब में एलओसी पर गोलीबारी और ड्रोन हमलों की कोशिश की, जिसके बाद भारत ने जवाबी हमला करते हुए पाकिस्तानी रडार, संचार केंद्रों और एयरबेस को क्षति पहुंचाई। 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम पर सहमति बनी।
बैठक का एजेंडा
बीजिंग में होने वाली इस बैठक में भारत-पाक संघर्ष की पृष्ठभूमि में क्षेत्रीय शांति और स्थिरता पर चर्चा हो सकती है। सुरक्षा सहयोग और व्यापारिक साझेदारी को लेकर त्रिपक्षीय विचार-विमर्श किया जा सकता है। पाकिस्तान और तालिबान के साथ मिलकर चीन सुरक्षा समीकरणों को साधने की कोशिश कर सकता है। उधर, भारत ने इस बैठक पर अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इस घटनाक्रम पर कड़ी नजर रख रही हैं। जानकार मानते हैं कि चीन, पाकिस्तान और तालिबान का यह गठजोड़ आने वाले दिनों में कूटनीतिक और सुरक्षा चुनौतियां पैदा कर सकता है।
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