बालू लदे ट्रैक्टर को सीओ ने किया जब्त,
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प्रतापपुर, प्रतिनिधि। थाना क्षेत्र के घोरीघाट से गुरुवार को अंचलाधिकारी द्वारा एक बालू लदे ट्रैक्टर को पकड़ कर घोरीघाट पुलिस पिकेट के हवाले किया गया है। इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी विकास कुमार टुड्डू ने कहा कि सुबह आठ साढ़े आठ बजे मिले सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए घोरीघाट सिलदाहा मार्ग पर बालू लदे एक ट्रैक्टर को जब्त कर घोरीघाट पिकेट को सौंप दिया गया है। इसके साथ ही मालिक का नाम पता कर प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है। बताते चलें कि प्रखंड में बालू माफिया के आगे प्रखंड प्रशासन घुटने टेकने पर मजबूर है। चाहे प्रशासन लाख दावे कर ले परंतु हकीकत यही है कि दो चार दिन बालू की ढुलाई बंद होती है और तीसरे चौथे दिन बालू की ढुलाई पुन: शुरू हो जाती है। ग्रामीणों दावा है कि सारा खेल कमीशनखोरी का है। प्रतापपुर में उपायुक्त द्वारा आयोजित जनता दरबार में भी अवैध बालू उत्खनन को लेकर मामला उठाया गया था तब उपायुक्त द्वारा इस पर अंकुश लगाने की बात कही गई थी। परंतु बालू ढुलाई पर अंकुश तो नहीं लगा हां यह और तेजी से फलने फूलने जरूर लगा। ग्रामीणों का कहना है कि पूरे प्रतापपुर क्षेत्र में बरसात के दिनों में तीन चार महीने छोड़ कर लगभग पूरे साल बालू की अवैध उत्खनन और परिवहन होता है अगर इसपर समय रहते अंकुश नहीं लगाया गया तो इस क्षेत्र का लाइफ लाइन कहे जाने वाले मोरहर नदी सहित अन्य नदियों का अस्तित्व समाप्त होने की स्थिति में है।
अभी गर्मी की आहट से ही ऐसी स्थिति है कि क्षेत्र में पानी का जल स्तर ताल-तलैया चला गया है जो आने वाले समय की भीषण जल संकट की आहट सुना रहा है। परंतु आश्चर्य इस बात की है कि पदाधिकारियों को कई बार संज्ञान में मामला देने के बाद भी अवैध बालू पर लगाम नहीं लगाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरह कमीशन के इस खेल के कारण गरीबों को मिलने वाले पीएम आवास तथा अबूआ आवास आदि के लिए बालू भी महंगी दामों में खरीदना पड़ रहा है। लाभुकों का कहना है कि जो बालू एक वर्ष पहले 1100 से 1200 सौ रुपए ट्रैक्टर मिलता था वो अब 1800 से 2000 रुपए मिल रहा है। महंगे बालू के कारण गरीबों को अतिरिक्त बोझ का भी सामना करना पड़ रहा है। वहीं आम लोग भी इससे काफी प्रभावित हो रहे हैं। अब देखना यह है कि आखिर कब प्रशासन की नींद खुलती है । सबसे मजे की बात यह है कि मोरहर नदी का क्षेत्रफल 70 से 75 प्रतिशत बिहार के क्षेत्र पड़ता है इसके बावजूद अवैध बालू खनन के नाम पर बालू को पकड़ कर पैसे वसूली करने का गोरखधंधा पिछले डेढ़-दो साल से अधिक समय से चल रहा है। और बालू से सोना निकालने का काम फल-फूल रहा है। इसमें जनप्रतिनिधियों का भी अहम भूमिका है।
इस संबंध में पिकेट प्रभारी मोहन तिर्की से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बालू अंचलाधिकारी के द्वारा पकड़ा गया है और पिकेट में खड़ा करवा दिया गया है। समाचार लिखे जाने तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी।
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