Empowered Women in Gumla 30 Women Start Successful Dairy Farm महिला सशक्तिकरण की मिसाल है बम्बियारी की 30 महिलाओं का डेयरी फॉर्म, Ghumla Hindi News - Hindustan
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महिला सशक्तिकरण की मिसाल है बम्बियारी की 30 महिलाओं का डेयरी फॉर्म

गुमला जिले के बसिया प्रखंड के बम्बियारी गांव की 30 महिलाओं ने आत्मनिर्भरता का संकल्प लिया और प्रयास डेयरी फार्म की स्थापना की। यह फार्म प्रतिदिन 250-300 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है। महिलाओं ने 50...

Newswrap हिन्दुस्तान, गुमलाWed, 9 April 2025 01:51 AM
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महिला सशक्तिकरण की मिसाल है बम्बियारी की 30 महिलाओं का डेयरी फॉर्म

बसिया, हिमांशु। गुमला जिले के बसिया प्रखंड के बम्बियारी गांव की 30 महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया और अपनी मेहनत से एक नई पहचान बनाई। उन्होंने प्रयास डेयरी फार्म की स्थापना कर दूध उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता हासिल की। 20 फरवरी 2023 को शुरू हुआ यह फार्म आज प्रतिदिन 250 से 300 लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है। जिससे न केवल इन महिलाओं की आजीविका में सुधार हुआ है। इस महिला मंडल ने 50 लाख रुपये का ऋण लेकर अपने सपने को हकीकत में बदला। उन्होंने अनुमंडल मुख्यालय से पांच किमी दूर बम्बियारी में लीज पर जमीन लेकर 30 गायों के साथ यह सफर शुरू किया। आज फार्म में 34 गायें, एक भैंस और कुल 62 गाय-बछड़े हैं। जिनमें से वर्तमान में 22 गायें दूध दे रही हैं। इन महिलाओं ने बताया कि दूध उत्पादन मौसम और चारे की उपलब्धता पर निर्भर करता है। फिर भी हर परिस्थिति में वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। समूह से जुड़ी दशमी कुल्लू, शबनम बीबी, रजनी केरकेट्टा,छूनू देवी, राजकुमारी देवी, मुक्ता सोरेन बताती है कि प्रयास डेयरी फार्म का अधिकांश दूध मेधा डेयरी को बेचा जाता है। जहां प्रति लीटर 32-33 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है, साथ ही पांच रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी मिलती है। वहीं,स्थानीय बाजार में दूध 50 रुपये प्रति लीटर बिकता है, लेकिन समय पर भुगतान न मिलने की समस्या बनी रहती है।

डेयरी संचालन में कई चुनौतियां सामने आईं। डेयरी की शुरुआत में प्रशासन और पशुपालन विभाग से सहायता का आश्वासन मिला था,लेकिन दो साल बाद भी कोई अनुदान या सरकारी सहायता नहीं मिली। बिजली की समस्या बनी हुई है,और फार्म को जनरेटर के सहारे चलाना पड़ रहा है। साथ ही पशु आहार की बढ़ती कीमतों के कारण लागत में भी बढ़ोतरी हुई है,जबकि दूध की कीमतों में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है। दशमी कुल्लू, शबनम बीबी, रजनी केरकेट्टा,छूनू देवी, राजकुमारी देवी, मुक्ता सोरेन समेत समूह की सभी महिलाओं का लक्ष्य न केवल खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है,बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित करना है। फिलहाल वे अपने फार्म के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। उनकी योजना में पैकिंग मशीन और दूध की शुद्धता जांचने वाली मशीन जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं को जोड़ना शामिल है। उन्होंने प्रशासन से गाय शेड निर्माण, नियमित बिजली आपूर्ति, और सौर ऊर्जा की सुविधा की मांग की है। वर्तमान में उनकी आय अस्थिर है,लेकिन गायों की बढ़ती संख्या को वे अपनी बचत के रूप में देख रही हैं।जब इन महिलाओं से पूछा गया कि क्या वे चाहेंगी कि अन्य महिलाएं भी इस क्षेत्र में कदम रखें, तो पहले वे चुप रहीं, लेकिन फिर मुस्कुराते हुए कहा कि वे चाहती हैं कि और भी महिलाएं आत्मनिर्भरता की इस राह पर आगे बढ़ें।

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