1000 किमी दूर चंद्रगिरी तीर्थ नगरी से पदयात्रा कर पारसनाथ पहुंचे पांच जैन मुनि
हजारीबाग में संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के शिष्य आचार्य श्री 108 समयसागर महाराज के समतासागर जी महाराज का भव्य मंगल प्रवेश 18 मई को हुआ। 42 वर्षों बाद वे श्री सम्मेद शिखरजी के दर्शन...

हजारीबाग वरीय संवाददाता संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य आचार्य श्री 108 समयसागर महाराज के आज्ञानुवर्ती समतासागर जी महाराज, मुनिश्री पवित्रसागर जी महाराज, ऐलकश्री 105 निश्चयसागर जी महाराज, ऐलकश्री निजानंदसागर जी महाराज, छुल्लक श्री संयमसागर जी महाराज का भव्य मंगल प्रवेश शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखरजी की धारा पर 18 मई रविवार को हुआ। 42 वर्षों के बाद निर्यापक मुनिश्री 108 समतासागर जी महाराज पुनः श्री सम्मेद शिखरजी के दर्शन वंदना के लिए पधारे है। लगभग 1000 किलोमीटर चंद्रगिरी तीर्थ डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ से पद विहार करते हुए राजनंदगांव, कोरबा, जशपुर, बिलासपुर, रांची, रामगढ़, हजारीबाग बगोदर, डुमरी, ईसरी होते हुए शाश्वत तीर्थराज सम्मेद शिखरजी गुणायतन में भव्य मंगल प्रवेश हुआ।
मंगल प्रवेश में झारखंड के विभिन्न शहरों के एवं छत्तीसगढ़, एमपी महाराष्ट्र, के श्रावक गण उपस्थित थे। मधुबन मोड़ से भव्य प्रवेश यात्रा मधुबन की ओर प्रारंभ हुई जिसमें कईलोग के चल रहे थे। प्रवेश के मध्य में मुनिश्री पूज्य सागर जी महाराज, पूज्य मुनिश्री अतुलसागर जी महाराज ज्येष्ठ श्रेष्ठ आर्यिका रत्न 105 गुरुमति माता जी आर्यिका रत्न 105 दृढ़मति माता जी ससंघ एवं अन्य साधु संघ ने निर्यापक मुनिश्री समतासागर जी महाराज के संघ की अगवानी की।
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