टाटा स्टील ने गम्हरिया में राख पर बनाया हरा-भरा कैलाश पर्वत
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर, टाटा स्टील ने गम्हरिया के 30 एकड़ के राख के टीले को कैलाश टॉप में बदलकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल की। इस क्षेत्र में 32,000 पौधे लगाए गए हैं,...
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर टाटा स्टील ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रेरणादायक पहल की है। गम्हरिया स्थित 30 एकड़ के राख के वीरान टीले को हरे-भरे कैलाश टॉप में बदलकर कंपनी ने सतत विकास का उदाहरण पेश किया है। यह क्षेत्र अब एक समृद्ध जैव विविधता पार्क में तब्दील हो चुका है। करीब छह महीने में विभिन्न विभागों की टीमों के सहयोग से इस राख के टीले को जीवन मिला। वर्षा जल के बहाव को नियंत्रित करने के लिए विशेष जल निकासी और गारलैंड ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया गया। 3,000 वर्गफुट क्षेत्र में मियावाकी पद्धति से 26 देशी झाड़ियों, घासों और अधस्तरीय पौधों का रोपण किया गया, जिससे एक आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हुआ।
प्रारंभ में लगाए गए 25,000 पौधों की संख्या अब बढ़कर 32,000 हो चुकी है और इसे जल्द ही 40,000 तक पहुंचाने की योजना है। इससे टाटा स्टील के सभी औद्योगिक क्षेत्रों में राख के टीले के पुनर्वास के लिए एक प्रभावी और दोहराने योग्य मॉडल स्थापित किया जा सकेगा। जैव विविधता और वन्यजीवों का सुरक्षित ठिकाना कैलाश टॉप अब केवल हरियाली का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र स्थानीय जैव विविधता का एक संरक्षित आश्रय भी बन गया है। यह वन्यजीवों के लिए भी एक महत्वपूर्ण हरित क्षेत्र प्रदान करता है।
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