बरियारडीह वन क्षेत्र कार्यालय में कर्मियों का घोर अभाव, जंगलों का अस्तित्व बचाने में करना पड़ रहा संघर्ष
बरियारडीह वन क्षेत्र के कार्यालय में कर्मचारियों की कमी से जंगलों का अस्तित्व खतरे में है। फॉरेस्टर का पद भी प्रभारी में चल रहा है, जिससे वन माफिया सक्रिय हो गए हैं। लकड़ी की तस्करी और आगजनी की घटनाएं...

मरकच्चो, निज प्रतिनिधि । प्रखंड के बरियारडीह वन क्षेत्र का कार्यालय कर्मियों का घोर आभाव का दंश झेल रहा है। यहां तक उक्त कार्यालय के फॉरेस्टर का पद भी प्रभारी में चल रहा है। उक्त कार्यालय वन क्षेत्रफल के अनुपात में यहां कर्मियों का आभाव है, जिसके कारण आज जंगलों का अस्तित्व को बचाये रखने के लिए विभाग को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। यदि ऐसे स्थिति मे जंगल बचाने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाये गए तो हरा भरा जंगल मैदान में सिमट जाएगा। बरियारडीह वन क्षेत्र कार्यालय अंतर्गत प्रखंड के जामू, पपलो, बेरहवा, बंदरचौकवा, सिमरकुण्डी, कटियो, बैदवर, देवीपूर, बिंडोमोह, असनातरी, झावातरी, लोहावर जैसे दर्ज़नो गांव के वन क्षेत्र की जिम्मेदारी इसी कार्यालय के भरोसे है। दुर्भाग्यपूर्ण है की इतने बड़े वन भू- भाग मे जंगल का देखरेख का जिम्मा गिनती के दो चार वनकार्मियों के भरोसे है, जिनमे से प्रभारी वनपाल सुनील कुमार दास के अलावे कुछ अन्य कर्मी हैँ। वनकर्मियों के आभाव के कारण लगातार जंगलों के बेशकीमती हरे भरे पेड़ो पर वन माफिया सक्रिय रहते हैं। यहां आए दिन क्षेत्र के जंगलों से लकड़ियों की तस्करी आम बात हो गयी है। वहीं जंगलों मे अगजनी की भी घटना होते रहती है। कर्मियों के आभाव के कारण आग पर जल्दी काबू नहीं पाया जाता और हजारों पेड़ पौधे के अलावे जीव जंतु इसके चपेट मे आ जाते हैं। वन विभाग में कर्मियों के कमी के कारण कर्मचारियो पर काम का दबाव रहता है। अवैध खनन और पेड़ों के कटाई की रोकथाम आदि कार्यों मे भी दिकक्त आ रही है। वन विभाग यदि वनों की रक्षा के लिए कर्मियों को बहाल नहीं करती है तो जंगलो का अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।