वैदिक संस्कृति को आचरण में लाने की जरूरत - आचार्य शरच्चंद्र
लोहरदगा में आयोजित कार्यक्रम में आचार्य शरच्चंद्र आर्य ने बच्चों में आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास, साहस, लचीलापन, ईमानदारी और क्षमा जैसे गुणों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये गुण बच्चों को अच्छे...

लोहरदगा, संवाददाता।आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास, साहस, लचीलापन, ईमानदारी और क्षमा के गुण बच्चों में भरने की जरूरत है। घर, स्कूल और समुदाय में इन गुणों के साथ बड़े होनेवाले बच्चे ही देश के कर्मठ और राष्ट्रभक्त नागरिक बन सकते हैं। यही चरित्र निर्माण का लक्ष्य भी है। उक्त बातें गुरूवार को प्रांतीय आर्यवीर दल व गुरुकुल शांति आश्रम लोहरदगा के संयुक्त तत्वावधान में युवा चरित्र निर्माण के तीसरे दिन प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए आचार्य शरच्चंद्र आर्य ने कहीं। आचार्य ने कहा कि हमें अपने संस्कृति को जानने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। वैदिक संस्कृति को जीवन में आचरण में लाने की जरूरत है।
प्रतिभागी बालक-बालिकाओं को योग प्राणायाम, आसान, सूर्य नमस्कार, लाठी भाला, चाकू तलवार, दंड बैठक, कराटे का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रातः कालीन यज्ञ में आर्यवीरों ने बहुत श्रद्धा से आहूति प्रदान की। बौद्धिक कक्षा में विश्व हिंदू परिषद लोहरदगा के जिला अध्यक्ष रितेश कुमार ने कहा कि अनुशासन और कठिन परिश्रम से ही समाज सशक्त हो सकता है। आने वाला कल आपको ही देश और समाज को दिशा और दशा प्रदान करना है। कार्यक्रम का संचालन प्रांतीय आर्यवीर दल के प्रधान व्यायाम शिक्षक आचार्य आशीष कुमार शास्त्री ने किया। इस मौके पर भुनेश्वर आर्य देव कुमार आर्य महादेव आर्य अर्जुन आर्य किसन आर्य और कई जिलों के आर्य वीर बालक-बालिका उपस्थित रहे।
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