Ranchi University Stops Intermediate Enrollment Employees Protest Job Loss Amid New Education Policy-2020 बोले रांची: इंटर प्रभाग बंद होते ही सड़क पर आ गए शिक्षकेतर कर्मी, Ranchi Hindi News - Hindustan
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बोले रांची: इंटर प्रभाग बंद होते ही सड़क पर आ गए शिक्षकेतर कर्मी

रांची विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई शिक्षा नीति-2020 का हवाला देते हुए इंटर प्रभाग में नामांकन बंद कर दिया है, जिससे कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। झारखंड के शिक्षकेतर कर्मचारियों...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीFri, 11 April 2025 05:35 PM
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बोले रांची: इंटर प्रभाग बंद होते ही सड़क पर आ गए शिक्षकेतर कर्मी

रांची, हिटी। नई शिक्षा नीति-2020 का हवाला देते हुए रांची विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपने अंगीभूत कॉलेजों से इंटर प्रभाग में नामांकन बंद कर दिया। प्रभाग बंद होने से वहां कार्यरत कर्मचारियों पर रोजगार का संकट खड़ा हो गया। इसे लेकर झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय शिक्षकेतर कर्मचारी मोर्चा ने आवाज उठाई। शिक्षक व सदस्य राजभवन के समक्ष धरने पर बैठ गए। आंदोलन आज भी जारी है। उनकी समस्याओं पर हिन्दुस्तान का ‘बोले रांची कार्यक्रम हुआ। इनमें कर्मियों ने कहा कि उनके सामने परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है। 10-15 साल की सेवा का कोई मोल नहीं रखा गया। एक तो वे बेहद अल्प मानदेयभोगी हैं, वहीं अचानक उन्हें बेरोजगार कर दिया जा रहा है। राज्य में झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय शिक्षकेतर कर्मचारी मोर्चा के सदस्य अपनी मांगों को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे हैं। लेकिन, उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता। हिन्दुस्तान के ‘बोले रांची कार्यक्रम में संयोजक नीतिख कुमार ने कहा, राज्य के 65 अंगीभूत महाविद्यालयों में महाविद्यालयों के सभी कार्यों को संपादन करने के लिए कर्मचारियों की बहाली की गई थी। कर्मचारी 15-20 वर्षों से लगातार महाविद्यालयों का चाहे इंटरमीडिएट, स्नातक या स्नातकोत्तर का कार्य हो करते आ रहे हैं। लाइब्रेरी, साफ-सफाई, प्रयोगशाला के कार्यों को भी करते आ रहे हैं। अब नई शिक्षा नीति 2020 के तहत महाविद्यालय से इंटर की शिक्षा को यूजीसी गाइडलाइन के तहत समाप्त किया जा रहा है।

बताया, 2022 में झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों द्वारा एक पत्र जारी कर सभी महाविद्यालय के अनुबंध व संविदा कर्मचारियों की सेवा नियमितीकरण की अनुशंसा के आलोक में 5 वर्षों से अधिक समय से संविदा पर कार्यरत शिक्षकेतर कर्मचारियों के दस्तावेज विवि को प्राचार्यों के द्वारा भेजे गए थे, लेकिन इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। नियमित करना तो दूर अब रोजगार ही छीन लिया जा रहा है।

मोर्चा के सदस्य विश्वंभर कुमार और सुनाल कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2022 में एक पत्र जारी करके सभी विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय को निर्देश दिया गया था कि इंटरमीडिएट की शिक्षा को फेज वाइज सभी संकाय में नामांकन कम करते हुए समाप्त करना है और नई शिक्षा नीति लागू करना है, लेकिन इसे जल्द समाप्त किया जा रहा है। कर्मियों का कहना है कि जब बच्चों का नामांकन प्लस टू स्कूल में होगा तो कर्मचारियों का भी समायोजन किया जा सकता है।

उनका कहना है कि इस पत्र के जारी होने के बाद रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने महाविद्यालयों में नामांकन नहीं लेने का आदेश हाईकोर्ट के दिशा निर्देश पर जारी कर दिया। जैक द्वारा जो हाईकोर्ट का दिशानिर्देश दिखाया गया है, उसमें किसी भी कर्मचारी को नौकरी से हटाने की बात नहीं है।

कर्मियों का कहना था कि हमारी राज्य सरकार से मांग है कि रांची विवि द्वारा जो पत्र जारी किया गया है, उसे जल्द से जल्द निरस्त किया जाए और हम सभी कर्मचारियों को महाविद्यालय में ही समायोजित किया जाए, ताकि उनकेे परिवार का भरण-पोषण हो सके। साथ ही कॉलेजों में कार्यरत सभी कर्मचारी बेरोजगार होने से बच सके।

कर्मियों ने कहा है कि उनका भी ईपीएफ कटे। उन्हें स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ भी मिले। साथ ही सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ भी मिले। कर्मियों का कहना था कि सभी कर्मी अल्प वेतन पर कार्य कर रहे हैं। तीसरे ग्रेड को 8000 और चौथे ग्रेड को 6000 ही मिलते हैं। कर्मियों ने कहा की तीसरे और चौथे ग्रेड के कर्मियों का मानदेय वृद्धि प्रतिवर्ष सभी संवर्ग की तरह किया जाए। इतनी मंहगाई में भी वर्ष 2018 के बाद अभी तक मानदेय में बढ़ोतरी नहीं हुई है। सभी कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी कर वापस उन्हें कॉलेज में ही काम दिया जाए। पिछले कई वर्षों से राज्य में शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई है। इसे जल्द से जल्द कराने की जरूरत है। कहा, जिस तरह से हमलोगों को काम से हटाया गया है, उसी तरह तुरंत वापस बुलाया जाए।

महिला कर्मियों को मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं

झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय शिक्षकेतर कर्मचारी मोर्चा के सदस्यों ने हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में कहा कि कॉलेजों में शिक्षकेतर कर्मचारी पद पर कार्य कर रहीं महिलाओं को कभी भी मातृत्व अवकाश का लाभ नहीं मिला। जबकि अन्य सभी जगहों पर छह माह तक का अवकाश दिया जाता है। कहा, सेवा शर्त की नियमावली सरकार द्वारा तैयार की जाए। हम कर्मचारियों को भी अन्य कर्मियों की तरह सभी लाभ और वेतन मिले, जिससे हम भी समान रूप से सभी के साथ मिलकर आसानी से कार्य कर सकें। साथ ही मांग रखी की अब सभी शिक्षकेतर कर्मचारियों को नियमित रूप से स्थाई किया जाए।

आउटसोर्सिंग से नियुक्ति बंद हो

कर्मचारियों ने कहा कि जिस तरह से सरकार बाहरी कंपनियों के द्वारा लगातार नियुक्तियां कर रही है, उसे बंद किया जाना चाहिए। इससे हम अनुभवी लोग पीछे ही रह जाते हैं। सरकार इस तरह की नियुक्तियों पर जल्द से जल्द रोक लगाए। हम जैसे कार्यरत और अनुभवी कर्मियों को पहले प्राथमिकता दे, जिससे हमलोग भी अपनी आजीविका का निर्वहन सही से कर सकें।

समस्याएं

1. कर्मी अल्प वेतन पर कार्य कर रहे हैं। तीसरे ग्रेड को 8 और चौथे ग्रेड को 6 हजार मिलते हैं।

2. अल्प मानदेय वालों का ईपीएस भी नहीं कटता है, जिससे भविष्य भी सुरक्षित नहीं है।

3. आउटसोर्सिंग के माध्यम से कर्मचारियों को रखा जा रहा है, कार्यरत कर्मी पर ध्यान नहीं।

4. कर्मियों से विश्वविद्यालय तक का कार्य लिया जाता है। त्रुटि होने पर शोकॉज किया जाता है।

5. कर्मियों को छुट्टी लेने में काफी परेशानी हो होती है, महिलाओं को मातृत्व अवकाश भी नहीं।

सुझाव

1. तीसरे और चौथे ग्रेड के कर्मियों के मानदेय में वृद्धि प्रतिवर्ष सभी संवर्ग की तरह किया जाए।

2. ईपीएफ की सुविधा कर्मियों को मिले और भविष्य को सुरक्षित करने पर ध्यान दिया जाए।

3. सरकार आउटसोर्सिंग से नियुक्ति बंद करे। कंपनियों की मनमानी पर रोक लगे।

4. इंटर कर्मियों से विश्वविद्यालय का कार्य लिया जाता है तो उनके लिए सुविधा भी बढ़ाई जाए।

5. छुट्टी का प्रावधान हो, महिला कर्मियों को सरकारी प्रावधान के तहत मातृत्व अवकाश मिले।

सेवा शर्त नियमावली बनाई जाए सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले

हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में कर्मियों ने कहा कि आउटसोर्स में बहाल किए गए महाविद्यालय के कर्मियों के लिए सेवा शर्त नियमावली बनाई जाए। इससे बेरोजगारी का संकट खत्म होगा और अन्य संवर्गों के कर्मियों की तरह मानदेय वृद्धि सहित अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा। उनका कहना था कि नियमावली बनाते हुए हम सभी कर्मियों का समायोजन महाविद्यालय में किया जाए।

बढ़ रही महंगाई में भी कर्मचारियों का मानदेय मात्र 8 से 15 हजार

बीते कई वर्षों से राज्य में शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई है। राज्य सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। जो कार्यरत हैं, उनपर भी जॉब संकट है। लगातार बढ़ रही महंगाई में भी कर्मचारियों को मात्र आठ से 15 हजार रुपए ही मानदेय दिया जाता है। कर्मचारियों ने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान दे। इतनी महंगाई में घर चलाना और बच्चों को पढ़ाना बेहद मुश्किल भरा हो गया है।

सरकारी काम में लगाया जाता है नियमित करने पर जवाब नहीं

कर्मचारियों ने कहा कि सरकार की ओर से हमलोगों को किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है। हालांकि, अक्सर हमलोगों से सरकार के सभी कार्य जैसे लोकसभा, विधानसभा और नगर निकाय चुनाव में भी काम कराए जाते हैं। कहा, मांगों को लेकर कई बार आंदोलन और प्रदर्शन भी हमलोगों ने किया, लेकिन 15-20 वर्षों से काम करने के बावजूद भी आजतक हमलोगों को नियमित नहीं किया गया है।

:: बोले कर्मी ::

नई शिक्षा नीति-2020 के तहत कॉलेजों से इंटर की पढ़ाई बंद की जा रही है। कॉलेजों में बीते कई वर्षों से कार्य कर रहे अनुबंध एवं संविदा कर्मचारियों को हटाया जा रहा है। पूछने पर हाइकोर्ट का आदेश बता दिया जाता है। अब उम्र भी बीत चुकी है। कहीं और नौकरी के लिए आवेदन तक नहीं दे सकते हैं।

- विश्वंभर कुमार

यूजीसी के नियमों के तहत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई नहीं होगी। इस कारण कॉलेजों में लगभग 20 वर्षों से काम कर रहे हम सभी शिक्षाकेतर कर्मचारियों को काम से हटा दिया जा रहा है। हम कर्मचारी आज पूर्ण रूप से बेरोजगार हो चुके हैं। रांची विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा जो पत्र जारी किया गया है, उसे निरस्त किया जाए।

- शानू

पिछले कई वर्षों से राज्य में शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई है। इसे जल्द शुरू कराने की जरूरत है।

-सुनीता डुंगडुंग

हम लोगों ने अपनी मांगों को लेकर कई बार आंदोलन और धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन केवल आश्वासन ही मिलता रहा।

-अनु कुमारी

हम कर्मचारी शुरू से ही काफी कम वेतन पर काम कर रहे थे, कई बार आंदोलन भी किया, लेकिन हमारी मांगों पर कुछ नहीं हुआ।

-नीतीश

2018 के बाद से अभी तक मानदेय में बढ़ोतरी नहीं हुई है। सभी के मानदेय में बढ़ोतरी कर वापस कॉलेज में काम दिया जाए।

-अंगद मांझी

इस आशा के साथ काम करती रही कि हमें भी पूर्ण रूप से कर्मचारियों का दर्जा मिलेगा। लेकिन नौकरी से ही निकाल दिया।

-नसरीन परवीन

हम महिला कर्मचारियों को आजतक कभी भी मातृत्व अवकाश नहीं मिला। सही से काम किया, आज नौकरी पर ही संकट है।

-मीरा राम

कर्मचारियों को किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है। मांगों के लिए सभी ने आंदोलन तक किया,कोई लाभ नहीं मिला।

-रंजीत कुमार

हम कर्मचारियों को हटाकर आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्ति की जा रही है। बिना अनुभव वालों को रखा जा रहा है।

-सोनी कुमारी

हमलोग कॉलेजों में एक कर्मचारी के रूप में काम करते थे, लेकिन आज तक किसी भी प्रकार का कोई लाभ हमें नहीं मिल पाया।

-विकास सिंह

लोकसभा, विधानसभा और निकाय चुनाव के समय भी हम कर्मियों से काम लिया गया। अब काम से निकाल दिया जा रहा।

-सुनील कुमार श्रीवास्तव

इतनी महंगाई में भी काफी कम वेतनमान में सभी कामों को करते रहे। हमारे समायोजन की जगह काम से ही हटाया जा रहा।

-कविता देवी

हमसे कॉलेज के अलावा विश्वविद्यालय का भी कार्य लिया जाता है। भूल से कोई गलती रह जाने पर शोकॉज तक किया जाता है।

-कुमार सौरभ मिश्रा

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