छठी जेपीएससी : नियुक्ति पर रोक के लिए हाईकोर्ट में याचिका दर्ज
छठी जेपीएससी के सफल उम्मीदवारों को नियुक्त करने की सिफारिश को सरकार की ओर से मंजूरी दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। अदालत से सफल उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए...

छठी जेपीएससी के सफल उम्मीदवारों को नियुक्त करने की सिफारिश को सरकार की ओर से मंजूरी दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। अदालत से सफल उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए प्रार्थी प्रदीप राम एवं अन्य की ओर से याचिका दायर की गयी है।
याचिका में कहा गया है कि छठी जेपीएससी के परिणाम जारी करने और नियुक्ति प्रक्रिया में कई गड़बड़ी की गयी है। मुख्य परिणाम पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट में कई याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। अदालत ने जारी परिणाम पर स्थगनादेश जारी करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए पांच अगस्त की तिथि पहले ही तय कर दी है और जेपीएससी और सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
ऐसे में सरकार ने बिना जवाब दिए जेपीएससी की सिफारिशों को ही मंजूरी दे दी जो उचित नहीं है। अदालत से सरकार को सफल उम्मीदवार की नियुक्ति नहीं करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
326 पदों पर होगी नियुक्ति: सरकार के अनुमोदन के बाद 326 पदों पर नियुक्ति की जाएगी। इसमें झारखंड प्रशासनिक सेवा के 143, झारखंड वित्त सेवा के 104, झारखंड शिक्षा सेवा के 36, झारखंड योजना सेवा के 18, झारखंड सहकारिता सेवा के नौ, झारखंड सूचना सेवा के सात, झारखंड पुलिस सेवा के छह और झारखंड सामाजिक सुरक्षा सेवा के तीन पदों पर नियुक्ति की जाएगी।
अनुशंसा भेजने में लग गए चार साल:छठी जेपीएससी के सफल उम्मीदवारों की अनुशंसा सरकार तक भेजने में आयोग को चार साल लग गए। दरअसल परीक्षा का विज्ञापन जारी होते ही विवाद हो गए।
पहले सरकार ने विज्ञान की शर्तों में बदलाव किया। इसके बाद कट ऑफ मार्कस के निर्धारण में भी बदलाव हुआ। इस बदलाव को लेकर भी हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई और सुनवाई की गयी। जेपीएससी का पहली बार परिणाम जारी हुआ तो उसका विरोध हुआ। इसके बाद सरकार ने नए नियम के अनुसार आयोग को रिजल्ट जारी करे का निर्देश दिया। सरकार के नए निर्देश के बाद जारी किए गए परिणाम को भी चुनौती दी गयी। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिणाम जारी किया गया। इस कारण अनुशंसा भेजने में चार साल लग गए।
30 से अधिक याचिका पर चल रही है सुनवाई : झारखंड हाईकोर्ट में छठी जेपीएससी की परीक्षा और परिणाम को लेकर करीब 30 याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। यह याचिकाएं अलग अलग हैं। किसी में विज्ञापन की शर्त को चुनौती दी गयी है, तो किसी में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने का मामला उठाया गया है। कुछ अभ्यर्थियों ने हिंदी और अंग्रेजी के कट ऑफ मार्क्स अधिक वाले नंबर को भी जोड़े जाने को चुनौती दी है, तो किसी का कहना है कि हर विषय में कट ऑफ मार्क्स निर्धारित किया जाना था। कुछ अभ्यर्थियों का कहना है कि सेवा के विभाजन में भी नियमों का पालन नहीं किया गया है। अधिक अंक लाने वालों को योजना सेवा दिया गया है और कम अंक लाने वालों को प्रशासनिक सेवा में नियुक्ति करने की सिफारिश आयोग ने की है। इन सभी मामलों पर हाईकोर्ट की एकलपीठ में सुनवाई लंबित है।
शुरू से ही विवाद में रहा : झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा छठी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए तीन बार रिजल्ट जारी करना पड़ा था। पहली बार 23 फरवरी 2017 को रिजल्ट जारी हुआ था, जिसमें 5138 अभ्यर्थी सफल हुए थे। इसके बाद आरक्षण को लेकर विवाद उठ गया। मुख्य परीक्षा में 990 उम्मीदवार सफल घोषित किये गये। कुल पद 326 के तीन गुना के आधार पर 978 उम्मीदवार होते हैं, लेकिन 12 उम्मीदवार को एक समान अंक आने के कारण सफल उम्मीदवारों की संख्या 990 पहुंच गयी। मुख्य परीक्षा 28 जनवरी से एक फरवरी 2019 तक ली गयी थी।