बच्चों को शर्मिंदा करती हैं मां-बाप की ये 5 आदतें, मन ही मन होने लगते हैं दूर
कई बार पैरेंट्स जाने-अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं तो बच्चों के लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकती हैं। ये बातें बच्चे को अंदर से इतना परेशान कर देती हैं कि बच्चा कहीं ना कहीं पैरेंट्स से दूर होना लगता है।

मां-बाप और बच्चे के बीच का रिश्ता बहुत खूबसूरत होता है। इस खूबसूरत रिश्ते को प्यार से सींच कर और भी मजबूत बनाने की पहली जिम्मेदारी पेरेंट्स की ही होती है। लेकिन कई बार अपने बच्चे को बेहतर बनाने की कोशिश में पेरेंट्स कुछ ऐसी आदतें अपना लेते हैं, जिसकी वजह से कभी-कभी बच्चे को शर्मिंदगी उठानी पड़ जाती है। आज की जेनरेशन जहां खुलकर सोचने और बोलने में विश्वास करती है, वहीं पेरेंट्स की कुछ पारंपरिक आदतें या सोशल बिहेवियर उन्हें पुराने जमाने का और ओवरप्रोटेक्टिव लगने लगता है। इसका नतीजा ये होता है कि बच्चे अपने ही माता-पिता के साथ बाहर जाना या उन्हें अपने दोस्तों से मिलाना अवॉइड करने लगते हैं। ऐसे में जरूरत खुद को जमाने के साथ अपडेट करने की और ऐसी गलतियों का दोहराने से बचने की।
सबके सामने बच्चे को डांटना
आजकल के बच्चे अपनी इमेज को लेकर बहुत ही कॉन्शियस रहते हैं। ऐसे में जब बच्चे अपने दोस्तों या रिश्तेदारों के साथ हैं, तब उन्हें सबके सामने डांटने या गलतियों पर टोकने से बच्चे बहुत ज्यादा शर्मिंदा हो सकते हैं। इसके अलावा पब्लिकली बच्चे को डांटने से उनका आत्मविश्वास भी डगमगाने लगता है और वे खुद को छोटा महसूस करने लगते हैं। ऐसे में बच्चे धीरे-धीरे पेरेंट्स से दूरी बनाना शुरू कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि अगर आपका बच्चा कोई गलती भी करता है तो उसे सबके सामने डांटने के बजाय अकेले में प्यार से उसकी गलती को समझाएं।
बच्चों को पसंद नहीं दूसरों से तुलना करना
ज्यादातर पेरेंट्स की आदत होती है कि वो अक्सर किसी ना किसी से अपने बच्चों की तुलना करते रहते हैं। कोई बच्चा क्लास में फर्स्ट आ गया, तो उससे अपने बच्चे की तुलना करना, या कोई कंपटीशन जीत गया तो उससे बच्चे की तुलना करना। लेकिन पेरेंट्स की यह आदत, बच्चों के मन पर बहुत बुरा इफेक्ट डालती है। जब बात-बात पर बच्चों की तुलना किसी से की जाती है, तो इससे बच्चा खुद को कमजोर समझने लगता है, और इसकी वजह से धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास कम होने लगता है।
बच्चों की प्राइवेसी में दखल देना
यूं तो पेरेंट्स को बच्चों की जिंदगी की हर छोटी-बड़ी बात में शामिल होने का पूरा अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद बच्चों की प्राइवेसी का ख्याल रखना भी जरूरी है। बार-बार बच्चे का फोन चेक करना, उनके दोस्तों से जुड़ी हर बात पूछना या उनके कमरे में बिना पूछे घुस जाना; कई पेरेंट्स इसे अपना अधिकार समझते हैं। लेकिन एक उम्र के बाद पेरेंट्स की इन आदतों से बच्चे असहज महसूस करने लगते हैं। हर इंसान की तरह बच्चों को भी थोड़ी प्राइवेसी की जरूरत होती है। पेरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चे की प्राइवेसी का ध्यान रखें और बात बात पर उनकी निगरानी करने से बचें।
संस्कार के नाम पर पुरानी सोच को थोपना
बच्चों को संस्कारवान बनाना, बड़े-छोटे का सम्मान करना सिखाना, पेरेंट्स की ही जिम्मेदारी होती है। लेकिन संस्कार के नाम पर बच्चों पर पुरानी सोच को थोपना, कहीं ना कहीं आपके और बच्चे के बीच दूरी की वजह बन सकता है। आज की जनरेशन के बच्चे खुलकर जीना पसंद करते हैं, उन्हें बात-बात पर रोक-टोक पसंद नहीं आती। लेकिन जब पेरेंट्स हर समय अपनी रूढ़िवादी सोच को बच्चों पर थोपते हैं, तो इससे बच्चे अपने पेरेंट्स से कटने लगते हैं।
जब पेरेंट्स होते हैं सोशल मीडिया पर ओवरएक्टिव
कई पेरेंट्स की आदत होती है कि वो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव होते हैं और छोटी बड़ी हर बात को सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं। लेकिन पेरेंट्स की यह आदत कई बार बच्चों की शर्मिंदगी की वजह बन जाती है। बिना पूछे बच्चे की फोटो, वीडियो या स्कूल की रिपोर्ट सोशल मीडिया पर डालना कई बार बच्चों को शर्मिंदा कर सकता है। खासतौर पर जब बच्चे के फ्रेंड्स भी आपसे सोशल मीडिया पर जुड़े हुए हैं, ऐसे में आपको बच्चे से जुड़ी कोई भी पोस्ट करने से पहले बच्चे की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
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