बेटी विदेश जाकर पढ़ना चाह रही तो कैसे समझाएं फैसला सही है या गलत?
हम सबके पास ढेरों सवाल होते हैं, बस नहीं होता जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। इस कॉलम केजरिये हम एक्सपर्ट की मदद से आपके ऐसे ही सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बार मनोविशेषज्ञ देंगी आपके सवालों के जवाब। हमारी एक्सपर्ट हैं, डॉ. गगनदीप कौर

एक महिला के जीवन में कई सारे सवाल होते हैं। करियर, परिवार, घर की जिम्मेदारी और कई बार बच्चों के भविष्य को लेकर भी। इन सवालों के जवाब पाने के लिए अक्सर वो परेशान रहती है। ऐसे ही दो महिलाओं के सवाल के जवाब मनोविशेषज्ञ ने दिए हैं। जो उनके मन की उलझन को सुलझाने में मदद करेंगे।
मेरी बेटी ग्यारहवीं में है। वह बारहवीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहती है। पर, मेरा मन उसे इतनी दूर भेजने के लिए मान नहीं रहा। मुझे अपने मन को समझाना चाहिए या फिर अपनी बेटी को?
-लतिका वर्मा, रांची
यह सवाल वाकई बहुत मुश्किल है। हर माता-पिता एक तरफ चाहते हैं कि उनका बच्चा अपने पैरों पर खड़ा हो। अपनी जिम्मेदारी खुद उठाए। अपने भविष्य के लिए देश-विदेश जाए। पर, दूसरी ओर मन में यह डर भी रहता है कि अभी तक वह पूरी तरह से सुरक्षित माहौल में रहा है, ऐसे में अकेले जब कुछ कैसे मैनेज करेगा, भटक तो नहीं जाएगा, किसी गलत संगत में तो नहीं पड़ जाएगा...ऐसे कई विचार अभिभावक के मन में आते हैं और यह गलत नहीं है। और यहां आप गलत नहीं है। पर, यहां मायने यह रखता है कि आपको अपनी बेटी पर कितना विश्वास है। बच्ची उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाए या नहीं जाए, यह फैसला लेने से पहले कुछ बातों पर ध्यान दें। पहला, जिस कोर्स की पढ़ाई के लिए वह बाहर जाना चाह रही है, उस पर इतना समय और पैसा लगाना ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए सही है या नहीं? दूसरा, यह कोर्स उसकी करिअर या जानकारी में कितनी वृद्धि करेगा? अगर बच्ची बाहर जाना ही चाह रही है तो आप इस बारे में उनसे स्पष्ट बात कर सकती हैं। बच्ची को हिदायत दे सकती हैं कि बाहर रहकर उसे किन-किन बातों का जरूर ध्यान रखना है। इस बात को भी दिमाग में रखें कि जिस बच्चे को बिगड़ना होता है, वह अपने अभिभावक के साथ रहकर भी बिगड़ जाता है। बारहवीं के बाद अमूमन बच्चे में इतनी समझ होती है कि वह अपना ध्यान रख सकें। अगर आप नियमित रूप से बच्चे से फोन आदि से संपर्क में रहेंगी, उनकी दिनचर्या और दोस्तों के बारे में बात करती रहेंगी तो आपको पता चल जाएगा कि बच्चा सही राह पर चल रहा है या नहीं। आपको यह भी देखना है कि आपका बच्चा इतना मेच्योर है कि वह अपनी जिंदगी के निर्णय खुद ले सकता है या नहीं। बच्चे से स्पष्ट तौर से बात करने के बाद निर्णय लें।
मैं कभी भी अपने किसी काम के लिए किसी पर निर्भर नहीं रही हूं। अपने निर्णय खुद लेती आई हूं। हाल ही में मेरी शादी हुई है। यह अरेंज्ड मैरिज है, पर शादी से पहले कई दफा आपस में मिलने के बाद हमने शादी का निर्णय लिया था। मेरे पति के स्वभाव में कोई दिक्कत नहीं है। पर, बिना कहे मेरा हर काम कर देना, मेरी जिंदगी को आसान बनाने के लिए हमेशा अतिरिक्त प्रयास करने की उनकी आदत से मुझे खीज होने लगी है। मैं नहीं चाहती कि उन्हें ऐसा करने से सीधे मना करूं क्योंकि उनका उद्देश्य गलत नहीं। पर, मुझे उनकी इस आदत से परेशानी हो रही है। क्या करूं कि उन्हें खराब भी ना लगे और जिंदगी जीने के अपने पुराने तौर-तरीकों को भी मैं बरकरार रख पाऊं?
- राधिका साह, नई दिल्ली
अधिकांश आत्मनिर्भर लोगों को यह पसंद नहीं आता है कि कोई बिना मदद मांगे उनकी मदद करे। मैं आपकी मन की व्यथा को बहुत अच्छी तरह से समझ पा रही हूं। इससे यह भी पता चलता है कि आप बहुत ही स्वाभिमानी हैं। आपकी नई-नई शादी हुई है और आपके सवाल से ऐसा लग रहा है कि आपकी मदद करना और आपकी जिंदगी को आसान बनाने की कोशिश करना, अपना प्यार जताने का आपके पति का तरीका है। यह उनका लव लैंग्वेज है। अगर पति की इस आदत से आपको परेशानी हो रही है, तो बेहतर होगा कि आप स्पष्ट रूप से इस बारे में अपने पति से बात करें। उन्हें बताइए कि आपका लव लैंग्वेज क्या है। वो ऐसा क्या करें, जिससे आपको अच्छा महसूस हो। इस बात से खुश रहें कि आपको एक ऐसा जीवनसाथी मिला है, जो आपकी इतनी परवाह करता है क्योंकि आज के युग में ऐसा जीवनसाथी मिल पाना आसान नहीं है। पहले साथी की इस आदत की तारीफ कीजिए और फिर उन्हें कहें कि आप हमेशा से आत्मनिर्भर रही हैं। आप समझ रही हैं कि वो आपकी जिंदगी को आसान बनाने की कोशिश कर रहे हैं, पर इसकी जगह वो अगर आपकी पसंद के कुछ और काम करें, तो आपको ज्यादा अच्छा लगेगा। जो व्यक्ति दूसरों की छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान रखता है, वह कहीं-न-कहीं यह भी चाहता है कि सामने वाला भी उसका ऐसे ही खयाल रखे। तो आप भी उनकी छोटी-छोटी जरूरतों का ध्यान रखना शुरू कर दीजिए ताकि उन्हें भी यह महसूस हो कि आप उनसे प्यार करती हैं। साथी को बताएं कि चूंकि आपने हमेशा अपने काम खुद ही किए हैं, तो कोई और आपका काम करे तो आपको संतुष्टि नहीं होती है। आपको जब भी जरूरत होगी तो आप आगे बढ़कर उनसे मदद मांग लेंगी।
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