फिक्सरों पर सिक्सर वार, CM फडणवीस और PM मोदी की तारीफ में क्यों जुटी उद्धव सेना
संपादकीय में कहा गया है कि शिंदे के कार्यकाल में आर्थिक अनियमितता चरम पर पहुंच गई थी लेकिन फडणवीस ने उस पर नकेल कसी है और शिंदे के मंत्रियों से PAऔर OSD नियुक्त करने का अधिकार भी छीन लिया है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (UBT) ने अपने मुखपत्र 'सामना' में राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीराफ में कसीदे पढ़े हैं। हालांकि, इसी बहाने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी और राज्य के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को जमकर घेरा है। सामना के संपादकीय में मुख्यमंत्री फडणवीस के उस दम की तारीफ की ई है, जिसके जरिए उन्होंने शासन में अनुशासन लाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। संपादकीय में लिखा गया है कि पिछले तीन साल से राज्य में भ्रष्टाचार का गटर बह रहा था, जिसके चलते महाराष्ट्र जैसे राज्य की राजनीति सड़ गई थी लेकिन अब मुख्यमंत्री फडणवीस ने उसे साफ करने का तारीफ-ए काबिल फैसला किया है।
संपादकीय में कहा गया है कि शिंदे के कार्यकाल में आर्थिक अनियमितता चरम पर पहुंच गई थी लेकिन फडणवीस ने ना केवल उस पर नकेल कसी है बल्कि शिंदे के मंत्रियों से पीए और ओएसडी नियुक्त करने का अधिकार भी छीन लिया है। संपादकीय में लिखा गया है, "मुख्यमंत्री फडणवीस ने महाराष्ट्र में गंदगी फैलाने वाले इन सभी गंदे नालों को साफ करने का फैसला किया है। 500 करोड़ का टेंडर बढ़ाकर 3000 करोड़ कर बीच के हजार करोड़ काम शुरू होने से पहले ले लेना, उसमें से 100-200 करोड़ चेलों में बांट देना और सभी को प्रयाग तीर्थ में गंगा स्नान कराने ले जाना। इन सभी कारनामों को खत्म करने के पवित्र कार्य की फडणवीस ने शुरुआत कर दी है।"
सामना में कहा गया है कि पिछली शिंदे सरकार में 16 लोग मंत्रियों के ओएसडी बनकर दलाली और फिक्सिंग कर रहे थ लेकिन उन्हें दोबारा ओएसडी न बनाकर फडणवीस ने फिक्सर पर सिक्सर मारा है। संपादकीय में लिखा गया है, "इन सभी ‘फिक्सर्स’ को मुख्यमंत्री फडणवीस ने खारिज कर दिया। ‘फिक्सर’ की नियुक्ति नहीं होने देने की मुख्यमंत्री की भूमिका उचित है। अब यह बात सामने आई है कि इन 16 फिक्सरों में से 12 फिक्सरों का सुझाव शिंदे गुट के मंत्रियों ने दिया था। ऐसे ‘फिक्सर’ की जरूरत मंत्रियों को क्यों होनी चाहिए?"
शिवसेना ने संपादकीय के जरिए आोप लगाया है, "शिंदे काल में मंत्रालय दलालों और फिक्सरों का मेला बन गया था। कोई भी आए, ‘टक्का’ रखे और निधि एवं कार्यों की स्वीकृति करा ले जाए। खजाने में खनखनाहट करने पर काम दिया गया। चुनाव के सिर पर आते ही फटाफट विकास कार्यों को मंजूरी दी गई।" संपादकीय में यह सवाल भी उठाया गया है कि अगर मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के कोठे और कोठों के दलालों को खत्म करने का बीड़ा उठाया है, तो इन सभी फिक्सरों और दलालों का क्या होगा?
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की तारीफ करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में घोषणा की, ‘बस मुझे पैसे खाने वालों के नाम बताओ, हर एक को सीधा करता हूं।’ सामना में कहा गया है, "फडणवीस को प्रधानमंत्री मोदी को शिंदे और उनके फिक्सरों के नाम बताने में कोई आपत्ति नहीं होगी। तीन साल पहले महाराष्ट्र में शिंदे का राज ‘फिक्सिंग’ से ही अवतरित हुआ है। इससे राज्य में फिक्सरों और दलालों की भरपूर पैदावार हुई। मौजूदा मुख्यमंत्री ने इस फसल को काटने का निर्णय लिया है।"
सामना में आरोप लगाया गया है कि शिंद सरकार के दौरान मंत्रालयों में दलालों की भमार थी। तीन सालों में 90,000 करोड़ की योजनाओं में 25000 करोड़ रुपये दलाली के तौर पर लिए गए हैं। यह बात भी कही गई है कि शिंदे फडणवीस की शिकायत लेकर अमित शाह से मिले लेकिन वहां भी उन्हें झटका मिला क्योंकि मोदी की भूमिका भ्रष्टाचार मिटाने की है।