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बिहार चुनाव में ले ना डूबे वक्फ! नीतीश सहित सहयोगियों की मदद के लिए रणनीति बना रही भाजपा

  • पार्टी एक व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू करेगी, जिसमें नेता घर-घर जाकर लोगों को वक्फ कानून की खूबियों के बारे में बताएंगे और विपक्ष के दावों को खारिज करेंगे।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 10 April 2025 12:09 PM
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बिहार चुनाव में ले ना डूबे वक्फ! नीतीश सहित सहयोगियों की मदद के लिए रणनीति बना रही भाजपा

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों की वक्फ (संशोधन) एक्ट को लेकर बढ़ती चिंताओं को शांत करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने की योजना बनाई है। इस अभियान का उद्देश्य विपक्ष के दावों का खंडन करना और खासकर बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू) जैसे सहयोगियों पर पड़ रहे दबाव को कम करना है। बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और भाजपा का नीतीश कुमार की पार्टी के साथ केंद्र व राज्य में गठबंधन है।

घर-घर जाकर लोगों को वक्फ कानून की खूबियां बताएगी भाजपा

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा अब मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर इस कानून को लेकर फैली "गलतफहमियों" को दूर करने की तैयारी में है। पार्टी एक व्यापक जनसंपर्क अभियान शुरू करेगी, जिसमें नेता घर-घर जाकर लोगों को वक्फ कानून की खूबियों के बारे में बताएंगे और विपक्ष के दावों को खारिज करेंगे।

रिपोर्ट के अनुसार, यह पहल खासतौर पर बिहार में केंद्रित होगी, जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और भाजपा की सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) को अल्पसंख्यक समुदाय के समर्थन की जरूरत है। विपक्ष द्वारा वक्फ एक्ट को "अल्पसंख्यक विरोधी" करार देने के बाद एनडीए के सहयोगी दलों पर दबाव बढ़ा है।

बीजेपी का अभियान: घर-घर तक पहुंचने की तैयारी

इस अभियान को सुचारु रूप से चलाने के लिए भाजपा ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इसमें भाजपा के महासचिव दुष्यंत गौतम, राधा मोहन दास अग्रवाल, अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख जम्माल सिद्दीकी और भाजपा नेता अनिल एंटनी शामिल हैं। ये नेता पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगे कि वे वक्फ कानून से जुड़े मुद्दों को जनमानस के सामने किस तरह रखें।

भाजपा जल्द ही एक ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन भी करेगी, जिसमें केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और कई अन्य कैबिनेट मंत्री हिस्सा लेंगे। इस वर्कशॉप में भाजपा नेताओं को वक्फ कानून की प्रमुख बातें समझाई जाएंगी ताकि वे अल्पसंख्यक समुदाय के सवालों और शंकाओं का सही जवाब दे सकें।

बिहार के कई सांसद और भाजपा नेता राज्य में अलग से इसी विषय पर कार्यशालाएं आयोजित करेंगे। पार्टी की रणनीति है कि विपक्ष द्वारा फैलाई जा रही गलत धारणाओं को तथ्यों के आधार पर चुनौती दी जाए और मुस्लिम समुदाय में यह भरोसा पैदा किया जाए कि यह कानून उनके हितों के खिलाफ नहीं है।

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सहयोगियों पर दबाव और विपक्ष का हमला

वक्फ एक्ट ने बीजेपी के सहयोगियों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) जैसे दलों को मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि बनाए रखने में मुश्किल हो रही है, क्योंकि विपक्ष इसे "अल्पसंख्यक विरोधी" बताकर हमला बोल रहा है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश तेज कर दी है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो इस एक्ट को "कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा"। ऐसे में भाजपा का यह अभियान ना सिर्फ समुदाय को समझाने की कोशिश है, बल्कि अपने सहयोगी दलों के ऊपर से दबाव कम करने की भी रणनीति है।

जेडीयू के कई मुस्लिम नेताओं ने एक्ट के समर्थन के बाद पार्टी छोड़ दी है, जिससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल उठ रहे हैं। दूसरी ओर, लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के नेता चिराग पासवान ने मुस्लिम समुदाय से अपनी नाराजगी को समझने की अपील की है, लेकिन उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने इस एक्ट का खुलकर विरोध किया है।

नजर बिहार पर

बीजेपी का फोकस बिहार पर इसलिए भी है क्योंकि राज्य में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता हैं और जेडीयू जैसी पार्टी उनके समर्थन पर निर्भर है। ऐसे में बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि वक्फ कानून किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। भाजपा का यह अभियान आने वाले चुनावों के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि पार्टी इस "छवि सुधार अभियान" में कितनी कामयाब होती है।