Fact Check: लेफ्टिनेंट जनरल को काला पानी की सजा, पाकिस्तानी मीडिया लगातार कर रहा बकवास
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की में आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकियों ने 26 पर्यटकों और एक स्थानीय नागरिक की निर्मम हत्या कर दी। एनआईए की जांच में पाकिस्तान और आईएसआई की साजिश के सबूत मिले।

पाकिस्तानी मीडिया भारत के खिलाफ लगातार झूठी खबरें फैलाने में लगा है। कई प्रो-पाकिस्तान सोशल मीडिया अकाउंट्स से भी फर्जी खबरें फैलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में कहा गया कि रक्षा खुफिया एजेंसी के डायरेक्टर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा को उनके पद से हटा दिया गया है। साथ ही, उन्हें अंडमान व निकोबार भेजे जाने का भी दावा किया गया। मगर, सच्चाई क्या है? क्या सच में भारतीय सेना की ओर से ऐसी कोई कार्रवाई की गई है? इस तरह के सवाल सोशल मीडिया पर लगातार उठाए जा रहे हैं। चलिए फैक्ट के जरिए हम आपको बताते हैं...
एआरवाई न्यूज की महिला एंकर का एक वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है। इसमें वह कहती है, 'भारतीय डिफेंस इंटेलिजेंस के डायरेक्टर को काला पानी की सजा दी गई है। मोदी सरकार ने डीएस राणा को तुरंत उनके पद से हटा दिया गया और जबरन उन्हें अंडमान निकोबार भेज दिया गया। दूर-दराज का यह इलाका काला पानी के नाम से मशहूर है, जहां ब्रिटिश शासनकाल में लोगों को कैद किया जाता था। डीएस राणा के तबादले को खुफिया विभाग रॉ से जोड़ा जा रहा है। रॉ का खुफिया दस्तावेज लीक हो गया और इसका दुनियाभर में मजाक बन रहा है।'
PIB फैक्ट चेक में क्या आया सामने
फैक्ट चेक में यह साफ हो गया कि डीएस राणा को लेकर ऐसी बातें पूरी तरह से बकवास हैं। पाकिस्तानी मीडिया का यह दावा एकदम फर्जी है और उसकी ओर से भारत के खिलाफ चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा का हिस्सा है। पीआईबी फैक्ट चेक की ओर से एक्स पर इसे लेकर एक पोस्ट किया गया। इसमें साफ तौर पर कहा गया, 'यह दावा फर्जी है। लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा को प्रतिष्ठित कमांडर-इन-चीफ, अंडमान व निकोबार कमांड के पद पर प्रमोट किया गया है। वह रक्षा खुफिया के पहले प्रमुख हैं जिन्हें कमांडर-इन-चीफ के पद पर प्रमोशन मिला है। अंडमान व निकोबार कमांड पहला त्रि-सेवा कमांड है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय सशस्त्र बल के लिए काफी सामरिक महत्व रखता है। ऐसे में आपको पाकिस्तानी मीडिया की फर्जी खबरों से सतर्क रहने की जरूरत है।