हिमंत बिस्वा सरमा ने कुरेदा पाकिस्तान का जख्म, तनाव के बीच बलोचिस्तान पर खोली पोल
Himanta Biswa Sarma: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पाकिस्तान के ऊपर बलोचिस्तान को लेकर हमला बोला है। उनके इस पोस्ट के बाद बलोच लोगों ने उनका धन्यवाद करते हुए वैश्विक संस्थाओं पर इस ओर ध्यान देने की अपील की है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बलूचिस्तान के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान पर हमला बोला है। बलूच लिबरेशन आर्मी के कारण पाकिस्तान के लिए नासूर बने आजाद बलूचिस्तान के आंदोलन की बात करते हुए सरमा ने पाकिस्तानी जख्मों को कुरेद दिया है। हिमंत ने आजाद बलूचिस्तान के आंदोलन की सराहना करते हुए कहा कि इस क्षेत्र की स्वतंत्रता की जड़ें पाकिस्तान के पैदा होने से पहले की है। शुरुआती बातचीत में स्वतंत्रता के बाद भी पाकिस्तान ने बिना किसी उकसावे के इस राज्य पर कब्जा कर लिया था।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर पाकिस्तान पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री सरमा ने लिखा, "बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन की जड़ें 1947-48 की उथल-पुथल वाली घटनाओं की श्रृंखला में मिलती हैं। जब कलात रियासत के शासक (आज बलूचिस्तान का एक बहुत बड़ा हिस्सा ) ने ब्रिटिश शासन से बलोचिस्तान को अलग देश बनाए रखने की मांग की थी। ब्रिटिश प्रशासन भी इसके लिए लगभग तैयार था, शुरुआती तौर पर स्वतंत्रता की बातें हुई लेकिन आखिरकार पाकिस्तान ने बिना किसी उकसावे के 1948 में बलोचिस्तान पर कब्जा कर लिया। इसके बाद से ही बलूच लोगों में जबरदस्त नाराजगी देखने को मिलती रही।"
सरमा ने बलूचिस्तान की सोना उगलने वाली जमीन की बात करते हुए लिखा, "प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र में रहने के बावजूद.. बलूच लोगो लंबे समय से बिना किसी आधारभूत विकास के और केंद्र सरकार द्वारा थोपी गई शोषण कारी नीतियों से जूझ रहे हैं।"
सरमा ने लिखा कि यहां के लोगों को दशकों से राजनैतिक रूप से और आर्थिक रूप से हाशिए पर रखा गया है। पाकिस्तान ने बार-बार यहां पर सांस्कृतिक दमन किया है उसी का परिणाम है कि कई बार यहां पर विद्रोह पनपा है। खासतौर पर 1958,1962,1973 और 2000 की दशक की शुरुआत में। 2006 में तो पाकिस्तान ने हद ही कर दी। उन्होंने बलूचों के सम्मानित नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या कर दी। इस हत्या ने बलूची लोगों के एक विशेष दर्दनाक अध्याय का दिखाया, जिससे उनके भीतर एक बार फिर से आत्म निर्णय और न्याय की मांग ने जोर पकड़ लिया।
सरमा ने आंदोलन की तारीफ करते हुए लिखा, "आज, बलूचिस्तान आंदोलन स्थानीय लोगों की गरिमा, अधिकार और अपने भाग्य पर नियंत्रण की लंबे समय से उपजी आकांक्षा का प्रतीक है। यह एक ऐसा संघर्ष है जो अपार त्याग और दृढ़ता और स्वतंत्रता की अटूट भावना से चिह्नित है।
हिमंत के इस पोस्ट के ऊपर कई बलोच नागरिकों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्हें बलोच आंदोलन को आवाज देने के लिए धन्यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक संस्थाओं से अपील करते हुए आजाद बलोचिस्तान में मदद करने का आह्वान किया।