Is there a rift in NDA over Wakf law BJPs ally party MLA reaches Supreme Court वक्फ कानून पर NDA में दरार? BJP के साथी दल के विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, India Hindi News - Hindustan
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वक्फ कानून पर NDA में दरार? BJP के साथी दल के विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

  • मणिपुर में एनडीए के घटक एनपीपी के विधायक हसन ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी याचिका में वक्फ कानून में किए गए उस बदलाव पर चिंता जाहिर की है।

Nisarg Dixit हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 11 April 2025 08:06 AM
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वक्फ कानून पर NDA में दरार? BJP के साथी दल के विधायक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

एनडीए के घटक दल नेशनल पीपुल्स पार्टी इंडिया (एनपीपी) के नेता व मणिपुर के क्षेत्रगाओ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शेख नूरुल हसन ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। इसके अलावा टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए, इसे रद्द करने की मांग की है।

मणिपुर में एनडीए के घटक एनपीपी के विधायक हसन ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी याचिका में वक्फ कानून में किए गए उस बदलाव पर चिंता जाहिर की है, जिसमें इस्लाम का पालन करने वाले अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को अपनी संपत्ति वक्फ को देने से वंचित किया गया है। याचिका में कहा गया है कि यह उनके अपने धर्म का पालन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

याचिका में कहा गया वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की धारा 3ई अनुसूचित जनजाति के सदस्यों (पांचवीं या छठी अनुसूची के तहत) के स्वामित्व वाली भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने से रोकती है। एनपीपी विधायक ने अपनी याचिका में कानून में किए गए संशोधन न सिर्फ मनमाना है बल्कि मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों को नियंत्रित करने का प्रयास है।

याचिका में कहा गया है कि कानून में किए गए संशोधन मनमाने प्रतिबंध लगाता है और इस्लामी धार्मिक बंदोबस्तों पर राज्य नियंत्रण बढ़ाता है। याचिका में कहा कि वक्फ कानून में किए गए बदलाव वक्फ के धार्मिक चरित्र को विकृत करेंगे और साथ ही वक्फ और वक्फ बोर्डों के प्रशासन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपरिवर्तनीय रूप से नुकसान पहुंचाएंगे।

टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने संशोधन की प्रक्रिया पर उठाए सवाल

वहीं, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी कानून में संशोधन की प्रक्रिया पर सवाल उठाया है। उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि वक्फ कानून में किए गए संशोधन में न केवल गंभीर प्रक्रियात्मक खामियां हैं बल्कि संविधान में निहित कई मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है। उन्होंने याचिका में कहा है ‘कानून बनाने की प्रक्रिया के दौरान संसदीय प्रथाओं के उल्लंघन ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की असंवैधानिकता में योगदान दिया है।

टीएमसी नेता ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि ‘प्रक्रियात्मक रूप से, संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष ने वक्फ संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने और उसे अपनाने के चरण में तथा संसद के समक्ष उक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करने के चरण में संसदीय नियमों और प्रथाओं का उल्लंघन किया है।

टीएमसी नेता मोइत्रा ने कहा है कि विपक्षी सांसदों की असहमति वाले राय को 13 फरवरी, 2025 को संसद में पेश अंतिम रिपोर्ट से बिना किसी औचित्य के हटा दिया गया। साथ ही कहा गया है कि इस तरह की कार्रवाइयों ने संसद की विचार-विमर्श प्रक्रिया को कमजोर किया है तथा आधिकारिक संसदीय प्रक्रिया नियमावली में उल्लिखित स्थापित मानदंडों का उल्लंघन किया है।

याचिका में कहा गया है कि वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), 15(1) (भेदभाव न करना), 19(1)(ए) और (सी) (भाषण और संघ बनाने की स्वतंत्रता), 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), 25 और 26 (धर्म की स्वतंत्रता), 29 और 30 (अल्पसंख्यक अधिकार) और अनुच्छेद 300ए (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है।