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करतारपुर कॉरिडोर पर भी पहलगाम हमले का असर, आधे से भी कम हो गए श्रद्धालु

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का निधन यहीं पर हुआ था और उनकी स्मृति में ही यह गुरुद्वारा बना हुआ है। यह पाकिस्तानी पंजाब के नारोवाल जिले में पड़ता है। 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 पर्यटकों को आतंकियों ने धर्म पूछकर मार डाला था।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली, सुरजीत सिंह, हिन्दुस्तान टाइम्सThu, 1 May 2025 05:21 PM
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करतारपुर कॉरिडोर पर भी पहलगाम हमले का असर, आधे से भी कम हो गए श्रद्धालु

पहलगाम आतंकी हमले का असर करतारपुर कॉरिडोर से होकर गुरु नानक देव जी से जुड़े गुरुद्वारे श्री दरबार साहिब जाने वाले श्रद्धालुओं पर भी पड़ा है। श्री दरबार साहिब गुरुद्वारा जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 50 फीसदी तक की कमी आई है। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का निधन यहीं पर हुआ था और उनकी स्मृति में ही यह गुरुद्वारा बना हुआ है। यह पाकिस्तानी पंजाब के नारोवाल जिले में पड़ता है। 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 पर्यटकों को आतंकियों ने धर्म पूछकर मार डाला था। इसके जवाब में भारत सरकार ने अगले ही दिन सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया था। इसके अलावा कूटनीतिक संबंधों को भी डाउनग्रेड किया गया था। इसके तहत भारत में स्थित पाकिस्तान के राजनयिकों की संख्या कम की गई है।

इस हमले के तत्काल बाद भारत ने अटारी वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया था। लेकिन करतारपुर कॉरिडोर को दोनों देशों में से किसी ने भी बंद करने की पहल नहीं की है। फिर भी ऐतिहासिक गुरुद्वारे जाने वाले लोगों की संख्या आधे से भी कम हो गई है। यह गुरुद्वारा पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक कस्बे से महज 4.5 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। आतंकी हमले के अगले ही दिन करीब 408 श्रद्धालुओं ने सीमा पार की थी। लेकिन 24 अप्रैल से इसमें गिरावट आने लगी। उस दिन 493 श्रद्धालुओं को सीमा पार जाने की अनुमति मिली थी, लेकिन 333 लोग ही गए। फिर अगले ही दिन यह संख्या 308 हो गई। इसके बाद 26 अप्रैल को 208, 27 तारीख को 239 और 28 तारीख को 133 लोग ही गुरुद्वारे पर गए।

SGPC की अपील- सिखों को डरने की जरूरत नहीं, जारी रखें यात्रा

डेरा बाबा नानक में रहने बाबा सुखदीप सिंह बेदी ने कहा कि यह सामान्य बात है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव है और इसके चलते यात्रा से लोग बचना चाहते हैं। बेदी ने कहा, 'इससे पता चलता है कि लोगों में भय है। इसके बाद भी लोग जा रहे हैं। लेकिन आंकड़ा कम हुआ है। इस कॉरिडोर पर जाने वालों के लिए एक प्रोटोकॉल है और फिलहाल दोनों देशों की तरफ से इसका पालन हो रहा है।' वहीं एसजीपीसी के सचिव प्रताप सिंह ने कहा कि सिखों को अपनी यात्रा रद्द नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिखों को डरना नहीं चाहिए। चिंता की कोई बात नहीं है। सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं। सीमा के दोनों तरफ श्रद्धालुओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा है। बता दें कि इस कॉरिडोर की शुरुआत 9 नवंबर, 2019 को की गई थी, जब गुरुनानक का 550वां प्राकट्योत्सव था।

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