Make English compulsory no parking space for speaking Hindi said google techie अंग्रेजी ही जरूरी कर दो, हिंदी बोलने पर नहीं मिली पार्किंग की जगह; इंजीनियर की पोस्ट पर छिड़ी बहस, India News in Hindi - Hindustan
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अंग्रेजी ही जरूरी कर दो, हिंदी बोलने पर नहीं मिली पार्किंग की जगह; इंजीनियर की पोस्ट पर छिड़ी बहस

बेंगलुरु में गूगल के एक इंजीनियर ने दावा किया कि हिंदी बोलने की वजह से उसे पार्किंग की जगह नहीं दी गई। उसने कहा कि पूरे देश में अंग्रेजी को अनिवार्य कर देना चाहिए।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानFri, 23 May 2025 10:16 AM
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अंग्रेजी ही जरूरी कर दो, हिंदी बोलने पर नहीं मिली पार्किंग की जगह; इंजीनियर की पोस्ट पर छिड़ी बहस

भाषा विवाद के बीच बेंगलुरु के एक वायके ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है। गूगल के एक इंजीनियर ने दावा किया है कि उन्हें पार्किंग का स्पेस इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि वह कन्नड़ की जगह हिंदी भाषा में बोल रहे थे। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा कि कम से कम अंग्रेजी को पूरे देश में अनिवार्य कर देना चाहिए। इससे भाषा की समस्या ही खत्म हो जाएगी और कम्युनिकेशन आसान हो जाएगा।

अर्पित भायानी ने अपनी लिंक्डइन आईडी पर लिखा, आज मुझे केवल इसलिए पार्किंग की जगह नहीं दी गई क्योंकि मैंने हिंदी में बात की थी। उन्होंने कहा, हर जगह भाषा और संस्कृति को बचाने की बात हो रही है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य राज्यों में खूब बहस हो रही है। लेकिन क्या आप अपने बच्चों का ऐडमिशन क्षेत्रीय भाषा वाले स्कूल में करवा रहे हैं।

उन्होंने दावा किया कि आज की पीढ़ी अंग्रेजी में बात करने में ज्यादा सहज महसूस करती है। बहुत सारे लोग अंग्रेजी में ही सोचते हैं और टाइप अंग्रेजी में ही करते हैं। उन्होंने कहा, हम अंग्रेजी से घिरे हुए हैं। ऐसे में अंग्रेजी को ही अनिवार्य भाषा क्यों नहीं बना दिया जाता। मैं ज्यादा बहस नहीं करना चाहता लेकिन अंग्रेजी ऐसी भाषा है जिसमें सबको आसानी होती है और बातचीत में आसानी होगी। हमारा जीवन इससे काफी आसान हो जाएगा।

भायानी ने कहा कि अगर इस तरह के मुद्दों का हल निकाल आए तो लोगों का ध्यान असली समस्याओं पर जाएगा जिसमें रोजगार, शिक्षा, शोध, इनोवेशन और सफाई शामिल है। सोशल मीडिया पर एक यूजर ने पूछा, आपने फिर उस शख्स से अंग्रेजी में बात क्यो नहीं की? भायानी ने जवाब दिया, मैंने बात की थी लेकिन उससे पहले मैं हिंदी बोल चुका था। मैं इस मामले को बहुत बढ़ाना नहीं चाहता था। काम बहुत है भाई लाइफ में। मैंने अपनी गाड़ी 15 मीटर दूर खड़ी कर दी और अपना काम कर लिया।

एक अन्य यूजर ने कहा, भारत में लोग फ्रेंच या जर्मन बोलने को तो कहते नहीं हैं। वे तो केवल स्थानीय भाषा की वकालत करते हैं। इसमें इतना बवाल क्यों करना। इसपर भायानी ने कहा, मैंने उसे कब हिंदी बोलने के लिए मजबूर किया था। मैंने हिंदी में बोला और उसने नहीं जाने दिया। उसने मुझसे कन्नड़ में बोलने को कहा। मैंने हिंदी में निवेदन किया और उसने इनकार कर दिया। उसने कन्नड़ में गुस्से में कुछ कहा मैं चुपचाप हट गया। बिल्कुल रिस्क नहीं लेने का।

बता दें कि इससे पहले एसबीआई अधिकारियों के कथित ट्रांसफर को लेकर भी मामला सामने आया था। एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें एसबीआई का अधिकारी ग्राहक से कन्नड़ में बात करने से इनकार कर रहा था। वीडियो वायरल होने के बाद कर्मचारी का ट्रांसफर दूसरी ब्रांच में कर दिया गया।

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