NDA ally Pawan Kalyan jumped into the language controversy said India should not get two but भाषा विवाद में कूदे NDA के सहयोगी पवन कल्याण, बोले- भारत को दो नहीं बल्कि..., India Hindi News - Hindustan
Hindi Newsदेश न्यूज़NDA ally Pawan Kalyan jumped into the language controversy said India should not get two but

भाषा विवाद में कूदे NDA के सहयोगी पवन कल्याण, बोले- भारत को दो नहीं बल्कि...

  • पवन कल्याण ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि देश को दो नहीं बल्कि कई भाषाओं की जरूरत है। तमिलनाडु के नेताओं पर पाखंड करने का आरोप लगाते हुए कल्याण ने कहा कि वह पैसा कमाने के लिए तमिल फिल्मों को हिंदी में डब करने की अनुमति देते हैं लेकिन हिंदी को स्वीकार नहीं करते।

Upendra Thapak लाइव हिन्दुस्तानSat, 15 March 2025 10:38 AM
share Share
Follow Us on
भाषा विवाद में कूदे NDA के सहयोगी पवन कल्याण, बोले- भारत को दो नहीं बल्कि...

केंद्र और तमिलनाडु के बीच चल रहे भाषा विवाद में अब आंध्रप्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण भी कूद पड़े हैं। डिप्टी सीएम ने शुक्रवार को इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि भारत की भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए हमें एक या दो नहीं बल्कि बहुत सारी भाषाओं को संरक्षित करने की जरूरत है। इससे भारतीय लोगों के बीच में न केवल प्रेम बढ़ेगा बल्कि और भी ज्यादा एकता और समावेशिता दिखाई देगी।

कल्याण जिले के पीथापुरम शहर में जनसेना पार्टी के 12वें स्थापना दिवस समारोह में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कल्याण ने कहा, "भारत को तमिल समेत कई भाषाओं की जरूरत है न कि सिर्फ दो की.. हमें भाषाई विविधता को अपनाना चाहिए.. यह देश की अखंडता को बनाए रखने के लिए जरूरी है।"

एनडीए के सहयोगी कल्याण की यह टिप्पणी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के आरोपों के बीच आई है। स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषा अपनाने से इनकार करते हुए केंद्र पर हिंदी को थोपने का आरोप लगाया था।

कल्याण ने डीएमके का नाम लिए बिना निशाना साधते हुए तमिलनाडु के नेताओं पर पाखंड करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "वे हिन्दी का विरोध करते हैं लेकिन पैसे कमाने के लिए अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करने की अनुमति दे देते हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि आखिर ऐसा क्यों हैं? वे बॉलीवुड से पैसा तो चाहते हैं लेकिन हिंदी को स्वीकार करने से इनकार करते हैं आखिर यह किस तरह का तर्क है?

ये भी पढ़ें:हिमालय जाने की तैयारी है? दिल्ली सीएम के शपथ समारोह में PM का पवन कल्याण से सवाल
ये भी पढ़ें:भेदभाव कर रहा केंद्र, 2100 करोड़ रोके; हिंदी विवाद के बीच स्टालिन सरकार का दावा
ये भी पढ़ें:स्टालिन ने हटाया रुपये का चिह्न तो क्या बोले उसके तमिल डिजाइनर; माना अपमान?

इससे पहले शुक्रवार को तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के अन्नमलाई ने तीन भाषा नीति पर पार्टी के रूख को दोहराते हुए कहा राज्य के लोग नहीं चाहते कि कोई भी भाषा उन पर थोपी जाए लेकिन वह स्वेच्छा से तीसरी भाषा को सीखने के लिए तैयार हैं। एजेंसी से बात करते हुए अन्नामलाई ने कहा,"हम लगातार इस बात को कह रहे हैं कि तीसरी भाषा की जरूरत है। 14 लाख से ज्यादा लोगों ने इस बात के लिए हस्ताक्षर किए हैं। मुद्दा बस यह है कि तमिलनाडु के लोग किसी अनिवार्य तीसरी भाषा को नहीं चाहते हैं, जो कि उन पर थोपी जाए। कांग्रेस ने 1965 में यही किया था तब भी इसका विरोध हुआ था।

अन्नामलाई ने डीएमके पर दोहरे मापदंड का अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि डीएमके के कई नेता ऐसे हैं जिनके द्वारा स्कूलों का संचालन किया जाता है और वहां पर हिंदी पढ़ाई जाती है। लेकिन वह सरकारी स्कूलों के बच्चों को तीसरी भाषा नहीं सीखने देना चाहते। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु स्वैच्छिक रूप से अपनाई गई तीसरी भाषा को सीखने के लिए तैयार है केवल डीएमके ऐसा नहीं चाहती।