दलित-ओबीसी छात्रों से मिले राहुल गांधी, फिर अपनी ही पार्टी के सीएम को लिखा पत्र; रखी एक मांग
- राहुल गांधी ने कहा, ‘बाबासाहेब आंबेडकर ने दिखाया कि शिक्षा ही वह साधन है जिससे वंचित भी सशक्त बन कर जातिभेद को तोड़ सकते हैं। लेकिन दशकों बाद भी लाखों छात्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे हैं।’

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा कि प्रदेश में ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ लागू किया जाए ताकि वंचित वर्गों के किसी छात्र को जातिवाद का वो दंश नहीं झेलना पड़े, जिसे बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर, रोहित वेमुला और करोड़ों लोगों ने झेला है। कांग्रेस ने साल 2023 के अपने रायपुर महाधिवेशन में वादा किया था कि सत्ता में आने पर वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यक वर्गों के छात्रों का सम्मान व सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ‘रोहित वेमुला अधिनियम’ नामक एक विशेष कानून पारित करेगी। हैदराबाद विश्विद्यालय के छात्र रहे रोहित वेमुला ने जनवरी, 2016 में कथित जातिगत भेदभाव के कारण आत्महत्या कर ली थी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सिद्धारमैया को लिखा पत्र शुक्रवार को एक्स पर साझा किया। इस लेटर पर 16 अप्रैल की तारीख है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। उन्होंने कहा, ‘हाल ही में संसद में मेरी मुलाकात दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदाय के छात्रों और शिक्षकों से हुई थी। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उन्हें किस तरह कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति के आधार पर भेदभाव झेलना पड़ता है।’ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, ‘बाबासाहेब आंबेडकर ने दिखाया था कि शिक्षा ही वह साधन है जिससे वंचित भी सशक्त बन कर जातिभेद को तोड़ सकते हैं। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दशकों बाद भी लाखों छात्र हमारी शिक्षा व्यवस्था में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे हैं।’
राहुल गांधी ने पत्र में क्या कहा
राहुल गांधी ने कहा कि इसी भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्र-छात्राओं की जान ले ली। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी भयावह घटनाएं किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं। उन्होंने कहा कि अब इस अन्याय पर पूरी तरह से रोक लगाने का वक्त है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैंने सिद्धारमैया जी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि कर्नाटक में रोहित वेमुला एक्ट लागू किया जाए। भारत के किसी भी बच्चे को जातिवाद का वो दंश न झेलना पड़े, जो बाबासाहेब आंबेडकर, रोहित वेमुला और करोड़ों लोगों ने झेला है।’