India Revokes Transshipment Facility for Bangladesh Amidst Rising Tensions भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा रोकी, India Hindi News - Hindustan
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भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा रोकी

भारत ने बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस ले लिया है, जिसका कारण हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर भीड़भाड़ बताया गया है। यह निर्णय 8 अप्रैल से लागू होगा, जिससे बांग्लादेश के निर्यात में बाधा...

डॉयचे वेले दिल्लीThu, 10 April 2025 11:48 AM
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भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा रोकी

द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने अपने बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से पश्चिम एशिया, यूरोप और अन्य देशों को निर्यात के लिए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली है.भारत ने अपने हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर "काफी भीड़भाड़" का हवाला देते हुए कहा कि बांग्लादेश को उपलब्ध ट्रांसशिपमेंट सुविधा समाप्त कर दी गई है.ट्रांसशिपमेंट का मतलब एक देश से माल दूसरे देश ले जाने के लिए किसी तीसरे देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे या परिवहन मार्ग का अस्थायी उपयोग करना होता है.इस सेवा का इस्तेमाल करके बांग्लादेश भारतीय सीमा शुल्क (कस्टम) स्टेशनों का उपयोग करके अन्य देशों को माल निर्यात करता था.भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा के कारण पिछले कुछ समय से हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर काफी भीड़ हो रही थी.लॉजिस्टिक्स में देरी और उच्च लागत के कारण हमारे अपने निर्यात में बाधा आ रही थी और बैकलॉग बन रहा था.इसलिए, यह सुविधा 8 अप्रैल से वापस ले ली गई है.

हालांकि इसकी वजह से भारतीय क्षेत्र से होकर नेपाल या भूटान को बांग्लादेश के निर्यात को प्रभावित नहीं होने देंगे"यह सुविधा जून 2020 में शुरू की गई थी और इसे वापस लेने का फैसला वित्त मंत्रालय के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा लिया गया.केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा 8 अप्रैल को जारी एक नोटिफिकेशन में कहा गया है, "29 जून, 2020 के संशोधित सर्कुलर को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का फैसला लिया गया है.भारत में पहले से प्रवेश किए गए कार्गो को उस सर्कुलर में दी गई प्रक्रिया के मुताबिक भारतीय क्षेत्र से बाहर जाने की अनुमति दी जा सकती है"भारत द्वारा शुरू की गई इस सुविधा का उद्देश्य क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाना और भारत को एक ट्रांजिट कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल करके बांग्लादेश और अन्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है.ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह फैसला विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन हो सकता है, जो लैंडलॉक देशों को ट्रांजिट की स्वतंत्रता की गारंटी देता है.ढाका यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर सलीम रेहान ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि यह परिवर्तन ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने बांग्लादेशी निर्यात पर 37 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किया है और इससे लॉजिस्टिक बोझ बढ़ने की संभावना है, जिससे ढाका की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता पर और अधिक दबाव पड़ेगा.मोहम्मद यूनुस के बयान से बढ़ा तनावबांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रधान सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने 26-29 मार्च को चीन की अपनी यात्रा के दौरान कहा था, "भारत के सात राज्य, भारत का पूर्वी भाग, सात बहनें कहलाते हैं, वे भारत का एक लैंडलॉक क्षेत्र हैं.

उस क्षेत्र के लिए समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है.हम इस पूरे क्षेत्र के लिए समुद्र के एकमात्र संरक्षक हैं.इसलिए यह एक बड़ी संभावना को खोलता है.यह चीनी अर्थव्यवस्था का विस्तार हो सकता है"इस बयान को व्यापक रूप से ढाका द्वारा पूर्वोत्तर भारत तक पहुंच पर अपना प्रभाव जमाने के प्रयास के रूप में देखा गया-जो दिल्ली के लिए चिंता का विषय है.बीजिंग को एक नए रणनीतिक साझेदार के रूप में पेश करने के यूनुस के प्रयासों ने पहले से ही कमजोर भारत-बांग्लादेश संबंधों को और जटिल बना दिया.यूनुस के बयान की असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा समेत कई भारतीय नेताओं ने आलोचना की थी.सरमा ने यूनुस द्वारा पूर्वोत्तर भारत को चीनी उत्पादकों के लिए एक विस्तार के रूप में बताने के लिए आपत्ति जताई थी, इसे "आक्रामक और काफी निंदनीय" करार दिया था.

उन्होंने यह भी कहा कि इस बयान ने भारत के "चिकन नेक" गलियारे की संवेदनशीलता को रेखांकित किया है और यह बेहद जरूरी है कि इस गलियारे के नीचे और इसके इर्द-गिर्द और ज्यादा मजबूत रेल और सड़क नेटवर्क बनाया जाए.पूर्वोत्तर राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम की सामूहिक रूप से बांग्लादेश के साथ 1,596 किमी, चीन के साथ 1,395 किमी, म्यांमार के साथ 1,640 किमी, भूटान के साथ 455 किमी और नेपाल के साथ 97 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है, लेकिन बाकी भारत के साथ वे केवल 22 किमी लंबी भूमि पट्टी के माध्यम से जुड़े हुए हैं जिसे "चिकन नेक" कॉरिडोर कहा जाता है.बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा रोके जाने के फैसले का स्वागत करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर पोस्ट किया, "बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा को रद्द करने का भारत का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय हितों और पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा की रक्षा के लिए अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है.यह निर्णायक कार्रवाई भारत की रणनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं की रक्षा के लिए सरकार के दृढ़ रुख को दर्शाती है"दिल्ली-ढाका के बिगड़ते रिश्ते दोनों देशों ने 2023 में चटगांव और मोंगला बंदरगाहों के इस्तेमाल के लिए भी समझौता किया था, जो भारत को पूर्वोत्तर और मुख्य भूमि भारत के बीच ट्रांजिट कार्गो के लिए बांग्लादेश में इन बंदरगाहों की सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति देता है और परिवहन की लागत और समय को काफी कम करता है.भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में कितनी गिरावट आएगी?भारत ने बुधवार को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर फिर से चिंता जताई और कहा कि उम्मीद है कि यूनुस के नेतृत्व वाली देश की अंतरिम सरकार हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के मौके पर यूनुस के साथ अपनी बैठक के दौरान हिंदुओं समेत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाया था.