दरगाह गिराने का नोटिस आया, आपने तत्काल सुनवाई क्यों नहीं की? SC ने हाईकोर्ट से पूछा तीखा सवाल
- सतपीर दरगाह को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं। फरवरी 2025 में नासिक नगर निगम ने दरगाह के आसपास की अनधिकृत संरचनाओं को हटाने के लिए एक अभियान चलाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से तीखा सवाल किया। शीर्ष अदालत ने स्पष्टीकरण मांगते हुए पूछा कि नासिक नगर निगम द्वारा सतपीर दरगाह के खिलाफ जारी विध्वंस नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाला बागची की पीठ ने कहा कि धार्मिक संरचना के विध्वंस की आशंका के कारण यह मामला अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने विध्वंस नोटिस पर रोक लगाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए।
क्या थी याचिका?
सतपीर दरगाह नासिक के काठे गली क्षेत्र में स्थित है। यह लंबे समय से विवादों के केंद्र में रही है। नासिक नगर निगम ने 1 अप्रैल 2025 को इस धार्मिक संरचना को अनधिकृत घोषित करते हुए विध्वंस नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ दरगाह के पक्षकारों ने 8 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और 9 अप्रैल से इसे तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की कोशिश की थी। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया, जिसके कारण उन्हें शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने इस देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा, "हमें समझ नहीं आ रहा कि 9 अप्रैल से अब तक क्या हुआ। याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि वे हर दिन मामले को सूचीबद्ध करने की कोशिश कर रहे थे।" कोर्ट ने इस असामान्य स्थिति के कारण विध्वंस पर रोक लगाने का "असाधारण कदम" उठाया। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को रिट याचिका की लिस्टिंग के बारे में एक रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को होगी।
विध्वंस और हिंसा
नासिक नगर निगम ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए बुधवार तड़के सतपीर दरगाह को ध्वस्त कर दिया। इस दौरान काठे गली क्षेत्र में हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें 21 पुलिसकर्मी घायल हो गए और तीन पुलिस वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। नासिक पुलिस आयुक्त संदीप कर्णिक के अनुसार, दरगाह के ट्रस्टी मंगलवार रात से ही संरचना को हटाने की प्रक्रिया में शामिल थे, लेकिन उस्मानिया चौक से एक भीड़ ने पुलिस और स्थानीय नेताओं पर पथराव शुरू कर दिया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करना पड़ा। पुलिस ने इस हिंसा के सिलसिले में 15 लोगों को हिरासत में लिया है और प्राथमिकी दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की है। क्षेत्र में स्थिति अब शांत लेकिन तनावपूर्ण बताई जा रही है।
स्थानीय विवाद
सतपीर दरगाह को लेकर पहले भी विवाद हो चुके हैं। फरवरी 2025 में नासिक नगर निगम ने दरगाह के आसपास की अनधिकृत संरचनाओं को हटाने के लिए एक अभियान चलाया था, लेकिन मुख्य संरचना को तब नहीं छुआ गया था। स्थानीय हिंदू संगठनों और कुछ निवासियों ने दावा किया था कि दरगाह स्वयं अनधिकृत है और इसे पूरी तरह हटा देना चाहिए। नासिक सेंट्रल की विधायक देवयानी फरांदे ने भी इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि फरवरी का अभियान अधूरा था और पूरे क्षेत्र को साफ करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे इस याचिका की सूचीबद्धता के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को निर्धारित की गई है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि विध्वंस जैसे मामलों में तत्काल सुनवाई जरूरी होती है, क्योंकि देरी से अपूरणीय क्षति हो सकती है।