UP के GST अफसर क्यों इतने नाराज, 800 ने छोड़ दिया सरकारी वॉट्सऐप ग्रुप
नोएडा में जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह की मौत के बाद विभाग के अधिकारियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

नोएडा में जीएसटी के डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह की मौत के बाद विभाग के अधिकारियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। गौतमबुद्ध नगर जिले के लगभग 100 अधिकारियों समेत प्रदेशभर के 800 जीएसटी अधिकारियों ने आधिकारिक वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ दिया।
जीएसटी ऑफिसर्स सर्विस एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अधिकारियों का कहना है कि विभाग में काम को लेकर अत्यधिक दबाव और तनावपूर्ण माहौल है। इस कारण स्थिति बदतर होती चली जा रही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष ज्योति स्वरूप शुक्ल ने कहा कि 20 जोन के अधिकारियों के साथ 11 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की गई थी। इसमें सभी अधिकारियों का कहना है कि विभाग में काम को लेकर काफी ज्यादा लक्ष्य दिया जा रहा। यदि लक्ष्य प्राप्त नहीं होता है तो इसके लिए दबाव बनाया जाता है। छुट्टी के दिनों में काम करवाया जाता है। इसके अलावा असमय बैठकों का आयोजन किया जाता है।
शुक्ल ने कहा कि अधिकारी दबाव के चलते तनाव में काम कर रहे। इसका परिणाम गाजियाबाद में कार्यरत डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह की आकस्मिक मौत है। उनकी पत्नी ने भी मौत की वजह तनाव बताया था। उन्होंने कहा कि अब कोई भी अधिकारी स्टेट टैक्स के व्हाट्सऐप ग्रुप का सदस्य नहीं रहेगा।
सिंडिकेट की शह पर विरोध: प्रमुख सचिव
जीएसटी के उपायुक्त संजय सिंह की खुदकुशी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जहां जीएसटी अधिकारी इसे प्रमुख सचिव राज्यकर एम देवराज की प्रताड़ना करार दे रहे, वहीं खुद एम. देवराज का कहना है कि जीएसटी चोरी रोकने में नाकाम अधिकारी सिंडिकेट की शह पर विरोध कर रहे। उन्हें विभाग की कार्यशैली में किए गए बदलाव से पीड़ा हो रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ समय पूर्व विभाग की समीक्षा में पाया कि जीएसटी हासिल करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा। उन्होंने कार्यशैली में बदलाव के निर्देश दिए और कमान एम. देवराज को सौंपी गई। प्रदेश में हजारों करोड़ की जीएसटी चोरी की शिकायतें मिल रही थीं। प्रमुख सचिव राज्यकर एम. देवराज ने कहा कि व्यापारियों के लिए 31 मार्च तक अर्थदंड और ब्याज माफी योजना शुरू की गई है। प्रदेशभर में 1.92 लाख व्यापारी ऐसे हैं जो इसके दायरे में आ रहे हैं। इनमें से मात्र 34 हजार व्यापारी ही अब तक इसका लाभ उठा पाए। काफी संख्या में तो ऐसे भी व्यापारी हैं, जिनको इस योजना की जानकारी तक नहीं है। इसीलिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि रोजाना कम से कम पांच व्यापारियों से संपर्क कर योजना का लाभ दिलाएं। कुछ अधिकारियों को कड़ा परिश्रम रास नहीं आ रहा।