शराब पर CAG रिपोर्ट में सिसोदिया-सत्येंद्र जैन संग कैलाश गहलोत का भी जिक्र, इन्होंने क्या किया
रिपोर्ट में 2021-22 की नई शराब नीति का विस्तार से ऑडिट किया गया है, जिसमें घोटाले का आरोप आम आदमी पार्टी और इसके वरिष्ठ नेताओं पर है।

दिल्ली विधानसभा में शराब नीति को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की उस रिपोर्ट को मंगलवार को पेश किया गया, जिसका इंतजार कई महीनों से किया जा रहा था। इस रिपोर्ट में 2021-22 की नई शराब नीति का विस्तार से ऑडिट किया गया है, जिसमें घोटाले का आरोप आम आदमी पार्टी और इसके वरिष्ठ नेताओं पर है। कथित घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी की ओर से की जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया समेत कई बड़े नेता जेल जा चुके हैं और इस समय जमानत पर बाहर हैं।
166 पन्नों की सीएजी रिपोर्ट में पेज नंबर 77 से नई शराब नीति का ब्योरा दिया गया है। भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की ओर से सदन के पटल पर रखे गए सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि अलग-अलग कारणों से इस नीति के दौरान सरकारी खजाने को 2000.68 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति में कई बदलाव कैबिनेट की मंजूरी और एलजी की सलाह के बिना किए गए, जिनका प्रभाव राजस्व पर पड़ा।
दिल्ली में शराब कारोबार में सुधार के लिए एक एक्सपर्ट कमिटी का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष एक्साइज कमिश्नर थे। एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट मिलने के बाद मंत्रिपरिषद ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) बनाने का फैसला किया, जिसकी अध्यक्षता डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री (मनीष सिसोदिया) दी गई। डिप्टी सीएम के अलावा इस ग्रुप में शहरी विकास मंत्री (सत्येंद्र जैन) और राजस्व/परिवहन मंत्री (कैलाश गहलोत) को शामिल किया गया था।
जीओएम को मौजूदा सिस्टम, एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट और स्टेकहोल्डर्स के कॉमेंट का परीक्षण करने को कहा गया। सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और कैलाश गहलोत के मंत्री समूह ने एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिशों में 7 अहम बदलाव कर दिए। सीएजी की ओर से यह भी कहा गया है कि ये बदलाव किस आधार पर किए गए इसको लेकर कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया गया। गौरतलब है कि अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके कैलाश गहलोत से भी ईडी इस मामले में पूछताछ कर चुकी है।
यहां देखिए एक्सपर्ट कमिटी ने क्या सिफारिश की थी और GOM ने क्या बदला
1. थोक व्यापार
एक्सपर्ट कमिटी: शराब के थोक कारोबार को सरकार द्वारा संचालित स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन के माध्यम से चलाने की सिफारिश की गई थी।
जीओएम: थोक व्यापार को निजी कंपनियों के हवाले करने का फैसला किया गया, जिनका शराब व्यापार में अनुभव हो और कम से कम ₹250 करोड़ का कारोबार हो।
2. एक्साइज ड्यूटी और मूल्य निर्धारण
एक्सपर्ट कमिटी: शराब पर एक्साइज ड्यूटी प्रति बोतल के आधार पर लगाने की सिफारिश की गई थी, जिससे मूल्य निर्धारण पारदर्शी हो।
जीओएम: शराब की अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) को एक्साइज डिपार्टमेंट की ओर से तय किया जाए और एक्साइज ड्यूटी और वैट को लाइसेंस फीस के रूप में पहले से वसूला जाए।
3. खुदरा बिक्री
एक्सपर्ट कमिटी: खुदरा दुकानों में सरकार की भूमिका को कम करने का सुझाव दिया गया था।
जीओएम: सभी खुदरा दुकानें केवल निजी कंपनियों को देने का प्रस्ताव किया गया।
4. लाइसेंस आवंटन प्रक्रिया
एक्सपर्ट कमिटी: शराब की खुदरा दुकानों का लाइसेंस लॉटरी सिस्टम के माध्यम से दो साल के लिए दिया जाए, ताकि व्यापार में विविधता बनी रहे।
जीओएम: लॉटरी की बजाय एकमुश्त बोली के जरिए लाइसेंस दिया जाए, जिसे हर साल नवीनीकृत किया जा सकता है।
5. व्यक्तिगत स्वामित्व
एक्सपर्ट कमिटी: केवल व्यक्तिगत आवेदकों को लाइसेंस दिया जाए ताकि प्रॉक्सी स्वामित्व को रोका जा सके।
जीओएम: व्यक्तिगत व्यक्ति या कोई भी निजी कंपनी जो पिछले तीन साल से इनकम टैक्स भर रही हो, उसे भी नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी गई।
6. लाइसेंस की सीमा
एक्सपर्ट कमिटी: किसी भी व्यक्ति को अधिकतम दो दुकानें खोलने की अनुमति हो।
जीओएम: एक व्यक्ति या कंपनी अधिकतम दो जोन हासिल कर सकती थी, जिनमें 54 दुकानें हो सकती थीं।
7. दुकानों की संख्या और वितरण
एक्सपर्ट कमिटी: प्रत्येक वार्ड में तीन दुकानें और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक सरकारी दुकान होनी चाहिए।
जीओएम: दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया, प्रत्येक जोन में 9 वार्ड और हर वार्ड में तीन दुकानें तय की गईं। कुल मिलाकर 849 दुकानें स्वीकृत की गईं।