घूस और फर्जी डिग्री का खेल, दिल्ली के 48 केमिस्ट गिरफ्तार; फार्मेसी रैकेट का ACB ने यूं किया खुलासा
45 साल के मदन मंडल एक ऐसी नौकरी की तलाश में थे जिसे वह 'सम्मानजनक नौकरी' कह सकते। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के शाहबाद डेयरी में रहने वाला अपनी खुद की दुकान खोलना चाहता था और उसे लगा कि फार्मेसी चलाना एक अच्छा विकल्प होगा।

45 साल के मदन मंडल एक ऐसी नौकरी की तलाश में थे जिसे वह 'सम्मानजनक नौकरी' कह सकते। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के शाहबाद डेयरी में रहने वाला अपनी खुद की दुकान खोलना चाहता था और उसे लगा कि फार्मेसी चलाना एक अच्छा विकल्प होगा। लेकिन उसके सामने केवल एक समस्या थी- मैट्रिक डिग्री। डिग्री नहीं होने की वजह से वह फार्मेसी डिप्लोमा नहीं कर सकता था जोकि केमिस्ट की दुकान चलाने के लिए जरूरी है। इसी के आधार पर फार्मेसी पंजीकरण प्रमाणपत्र मिलता है।
ऐसे में मंडल ने अपना पंजीकरण दूसरे तरीके से करवाने का विकल्प चुना- उसने एक दलाल को 'पैकेज डील' के लिए 4 लाख रुपये दिए। कुछ ही दिनों में उसे मैट्रिकुलेशन और डिप्लोमा के फर्जी सर्टिफिकेट मिल गए। ढाई महीने बाद, दिल्ली फार्मेसी काउंसिल (डीपीसी) ने उसे रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर दिया। मामले की जांच करने वाले जांचकर्ताओं के अनुसार, रजिस्ट्रेशन नंबर मिलने पर उसने टिकरी में अवैध रूप से फार्मेसी चलाना शुरू कर दिया।
मंडल देश भर में फर्जी तरीके से फार्मेसियां चलाने वाले हजारों लोगों में से एक है। यह रैकेट 2 अप्रैल को तब जांच के दायरे में आया, जब दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने फर्जी फार्मेसी पंजीकरणों की व्यापक जांच के तहत पूर्व डीपीसी रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह सहित 48 लोगों को गिरफ्तार किया। एसीपी जरनैल सिंह के नेतृत्व वाली एसीबी टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों में नरेला का दलाल संजय कुमार और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में बाबा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी का प्रिंसिपल इमलाख खान शामिल हैं।
एसीबी के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर मधुर वर्मा ने कहा, "हमने दिल्ली में 35 फर्जी फार्मासिस्टों को गिरफ्तार किया है। आगे और भी गिरफ्तारियां होने की उम्मीद है।" दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉक्टर सुनील सिंघल ने गंभीर खतरों की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, "अयोग्य लोग दवाइयां बेचकर नकली या खतरनाक रूप से गलत कॉम्बिनेशन देते हैं, खासकर तब जब मरीज डॉक्टरों के बजाय सीधे केमिस्ट पर निर्भर होते हैं।"
रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रदान करने के लिए डीपीसी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार, काउंसिल फार्मेसी आवेदकों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों को उनके कॉलेज को पुष्टि के लिए ईमेल करके वेरिफाई करती है। यदि इस ईमेल द्वारा सत्यापित किया जाता है, तो रजिस्ट्रार पंजीकरण जारी करने से पहले एक छोटा सा इंटरव्यू लेता है। इस वेरिफिकेशन सिस्टम का फायदा कुमार और उसके सहयोगियों ने उठाया था।