डीपसीक को बैन करने की PIL पर तत्काल सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार; जानिए वजह
- दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने डीपसीक को बैन करने की PIL पर तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर यह इतना हानिकारक है… जानिए क्या है पूरा मामला।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को भारत में डीपसीक को बैन करने के निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर जल्दी सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि अगर चीनी एआई प्लेटफॉर्म से कोई खतरा है तो उपयोगकर्ताओं के पास इसका इस्तेमाल न करने का विकल्प है। उन्होंने कहा कि अगर यह इतना हानिकारक है तो आप इसका इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं हैं। अदालत ने कहा कि तत्काल सुनवाई का अनुरोध करने का कोई आधार नहीं है।
सुनवाई की अगली तारीख 16 अप्रैल
अदालत याचिकाकर्ता द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी। 12 फरवरी को अदालत ने केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से मामले में निर्देश प्राप्त करने को कहा था। इसे 20 फरवरी को फिर से सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन समय की कमी के कारण इस पर सुनवाई नहीं हो सकी। इसलिए अगली तारीख 16 अप्रैल दी गई है।
AI खतरनाक हो सकता है, चाहे चीनी हो या अमेरिकी
इससे पहले, अदालत ने वकील द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों को स्वीकार करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इस मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।अदालत ने आगे कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी के भी हाथ में एक खतरनाक उपकरण हो सकता है, चाहे वह चीनी हो या अमेरिकी।
डीपसीक की लॉन्चिंग के बाद लीक हुआ संवेदनशील डाटा
दिल्ली उच्च न्यायालय में यह याचिका आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चैटबॉट 'डीपसीक' तक पहुंच को रोकने के उद्देश्य से दायर की गई थी। याचिका में दावा किया गया है कि इसके लॉन्च होने के एक महीने के भीतर ही डीपसीक में कई कमजोरियाँ पाई गईं, जिसके कारण ऑनलाइन दस लाख से ज़्यादा संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा लीक हो गए। कथित तौर पर इस लीक हुई जानकारी में चैट हिस्ट्री का एक बड़ा हिस्सा शामिल है। याचिका में आगे आरोप लगाया गया है कि चीनी संस्थाओं द्वारा विकसित डीपसीक गैरकानूनी संचालन में शामिल है।
इटली, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने डीपसीक को किया बैन
अधिवक्ता भावना शर्मा द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि कई देशों ने डीपसीक की गोपनीयता और सुरक्षा प्रथाओं के बारे में चिंता जताई है। परिणामस्वरूप, इटली के डेटा संरक्षण प्राधिकरण, 'गारंटे' ने गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने के लिए डीपसीक पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भी सुरक्षा जोखिमों के कारण सभी सरकारी उपकरणों पर इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।