आतंक पर वार के बीच दिल्ली दिखी तैयार,राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक अंधेरे में डूबे
अस्पताल,स्कूल,एयरपोर्ट,प्रमुख बाजारों सहित नौ मेट्रो स्टेशनों पर अभ्यास किया गया। आपातकालीन सायरन बजते ही कर्मचारी सतर्क हो गए और राहत और बचाव कार्य में जुट गए। अस्पतालों में मॉक ड्रिल के चलते बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गई।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक ओर आतंक पर वार किया गया। वहीं, युद्ध की स्थिति में सतर्कता की स्थिति को जांचने के लिए बुधवार को राजधानी के विभिन्न स्थानों पर मॉक ड्रिल हुई। खास बात यह रही कि सुरक्षित इमारतों और गैर-सैन्य इलाकों को ड्रिल में शामिल किया गया था, ताकि वहां से लोगों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास किया जा सके। अस्पताल,स्कूल,एयरपोर्ट,प्रमुख बाजारों सहित नौ मेट्रो स्टेशनों पर अभ्यास किया गया।
आपातकालीन सायरन बजते ही कर्मचारी सतर्क हो गए और राहत और बचाव कार्य में जुट गए। अस्पतालों में मॉक ड्रिल के चलते बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गई। हिन्दुस्तान टीम ने राजधानी के अलग-अलग स्थानों पर मॉक ड्रिल के दौरान तैयारियों और अमल को देखा। पेश है एक रिपोर्ट...
पुष्प विहार स्थित बिरला विद्या निकेतन स्कूल में देर शाम को मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ। इसमें बिल्डिंग गिरने के बाद के हालात का अभ्यास किया गया। स्कूल प्रधानाचार्या मीनाक्षी कुशवाह ने बताया कि सभी विभागों की टीम स्कूल में आई थी। उन्होंने जो भी अभ्यास किया है, वह स्कूल छात्रों के साथ साझा किया जाएगा।
मयूर विहार फेस-3 स्थित विद्या बाल भवन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मॉक-ड्रिल के दौरान सुबह 10:30 आपातकालीन अलार्म बजाया गया। इसके बाद सभी कक्षाओं में छात्र-छात्राएं बेंच के नीचे जाकर छिपे। शिक्षकों ने सभी छात्रों को आपातकालीन दिशा-निर्देश बताए थे। अभ्यास के अंत में स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. सतवीर शर्मा ने सभी छात्रों को मॉक-ड्रिल के महत्व के बारे में बताया।
जामा मस्जिद स्थित एसबीवी नंबर एक उर्दू माध्यम में मॉक ड्रिल का सफल आयोजन हुआ। विद्यालय के प्रधानाचार्य गयूर अहमद ने कहा कि आपदा कभी बताकर नहीं आती। ऐसे समय में अगर हम मानसिक रूप से तैयार हों, तो किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। यह मॉकड्रिल जीवन रक्षा की एक महत्वपूर्ण सीख है। पूरे विद्यालय में मॉकड्रिल के दौरान छात्र, शिक्षक और स्टाफ सदस्यों ने निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किया।
नई दिल्ली इलाके में मॉक ड्रिल के बाद रात के समय ब्लैक आउट किया गया। इस दौरान राष्ट्रपति भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक, इंडिया गेट सहित आस-पास के भवनों की रोशनी बंद कर दी गई थी। कर्तव्य पथ पर पर्यटकों को देखते हुए स्ट्रीट लाइट बंद नहीं की गई थी।
मॉक ड्रिल के दौरान एयर स्ट्राइक की पूर्व सूचना मिलते ही अस्पताल में जैसे ही सायरन बजा वैसे ही सभी कर्मचारी सतर्क हो गए। देखते ही देखते चिकित्सकों की टीम, सिविल डिफेंसकर्मी, दिल्ली पुलिस, अग्निशमन विभाग, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद सहित कई सेवाओं से जुड़े लोग पहुंचने शुरू हो गए। हालात को भांपते हुए बिना देरी किए टीमों ने अपनी-अपनी कार्यवाही शुरू कर दी।
अलग-अलग इलाकों से घायलों को अस्पताल में लाया गया। वहीं, आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग ने फुर्ती दिखाई। कुछ ही मिनट में आग पर काबू पा लिया गया। खास बात यह रही कि इस बीच अस्पताल में आए मरीजों का इलाज चलता रहा।
चाणक्यपुरी में सिविल डिफेंस के डिप्टी चीफ वार्डन लक्ष्मण सिंह ने कहा कि मॉक ड्रिल देखकर 1971 का मंजर फिर से आंखों में तैरने लगा। ऐसी ही तैयारी उस वक्त हुई थी। उन्होंने बताया कि उस वक्त भी उन्होंने नई दिल्ली में अपनी सेवाएं दी थीं।
उत्तर पश्चिमी दिल्ली के 27 निजी स्कूल में मॉक ड्रिल हुई। अशोक विहार के निजी स्कूल की शिक्षिका आरती ने बताया कि स्कूलों में छात्रों को आपात स्थिति के साथ युद्ध के हालातों से निपटने के बारे में सिखाया गया। अशोक विहार फेज 2 के निजी स्कूल के शिक्षक सुभाष ने कहा कि स्कूल के एक हजार से अधिक छात्रों ने मॉक ड्रिल में हिस्सा लिया। सिविल डिफेंस के वॉलंटियर ने छात्रों को एयर रेड सायरन की आवाज को पहचानने के बारे में बताया।