सेमीकंडक्टर-इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भरता का बढ़ावा मिलेगा
भारत और ताइवान के बीच संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से सेमीकंडक्टर और उच्च तकनीकी उत्पादों के निर्माण में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी। इससे रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। उद्योगपति ताइवान से तकनीकी सहयोग की उम्मीद...

गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। सेमीकंडक्टर-इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। भारत-ताइवान के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के लिए प्रस्ताव आया है। इससे भारत को सेमीकंडक्टर और उच्च तकनीकी उत्पादों के उत्पादन में सहयोग मिलेगा। वहीं, उद्योगों में सेमीकंडक्टर का उत्पादन होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उद्यमियों ने कहा कि ताइवान की ओर से भारत को जो ऑफर मिला है। इससे उद्यमियों के लिए एक अच्छा मौका है। इसे सिर्फ चीन की नाराजगी के कारण नहीं खोया जा सकता है। उद्यमियों को कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार कोई न कोई बीच का रास्ता निकाल कर ताइवान के साथ मिलकर चिप का विनिर्माण भारत के अंदर करेगी। ताइवान अपनी पूरी टेक्नोलॉजी भी देने को तैयार है।
सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्माण को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार आवश्यक हैं। इससे देश तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सके और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब बन सके। पिछले कुछ समय से इस दिशा में लगातार पहल कर रहा है। कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की किल्लत हुई थी। इसके बाद से ही भारत इस मामले में आत्मनिर्भर बनने की ओर लगातार आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा है।
सेमीकंडक्टर के कच्चे माल की कमी
प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री के चेयरमैन दीपक मैनी ने कहा कि भारत-ताइवान के बीच संभावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) को लेकर प्रस्ताव हुआ है। अभी रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद सेमीकंडक्टर विनिर्माण में उपयोग होने वाले कच्चे माल की कमी हो गई। इससे सेमीकंडक्टर का उत्पादन प्रभावित हो गया था। इसे देखते हुए सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में भारत का आत्मनिर्भर होना अति आवश्यक है। इस दिशा में भी ताइवान लगातार भारत की मदद करने को तैयार है। पीएफटी चेयरमैन के अनुसार वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और आईसीटी उत्पादों के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है। जिसके कारण व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2023-24 में भारत का चीन से आयात 101.75 अरब डॉलर था। जबकि निर्यात मात्र 16.65 अरब डॉलर रहा। यदि भारत ताइवान के साथ तकनीकी साझेदारी करता है, तो देश मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा सकता है।
ताइवान की तकनीक का लाभ मिलेगा
दीपक मैनी ने कहा कि चीन के साथ संबंधों को लेकर संतुलन बनाए रखना जरूरी है। चीन पहले ही दुनिया के कई देशों को यह चेतावनी दे चुका है कि वे ताइवान के साथ औपचारिक द्विपक्षीय व्यापार समझौता न करें। यदि भारत इस दिशा में कदम बढ़ाता है, तो यह चीन के साथ कूटनीतिक और व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने केंद सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे पर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाए। कोई ऐसा समाधान निकाले जिससे भारत को ताइवान की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ मिले। लेकिन चीन के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंधों में अनावश्यक तनाव न आए।
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