मुझे क्या मालूम आपने और स्टेनो ने क्या लिखा, वकील के जवाब से जज नाराज; दिल्ली HC को भेजा मामला
दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में 2020 में हुए दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान वकील के जवाब से जज साहब नाराज हो गए। उन्होंने मामले की शिकायत दिल्ली हाईकोर्ट और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कर दी।

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में 2020 में हुए दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान वकील के जवाब से जज साहब नाराज हो गए। उन्होंने मामले की शिकायत दिल्ली हाईकोर्ट और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कर दी। दरअसल सुनवाई के दौरान जज ने वकील से पूछा कि वह दंगों के एक मामले में गवाहों से जिरह के लिए तैयार क्यों नहीं है, तो वकील ने जवाब दिया कि 'वह सिर्फ एक प्रॉक्सी वकील हैं।' उनके जवाब पर आपत्ति जताते हुए अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) पुलस्त्य प्रमाचला ने मामले को दिल्ली हाईकोर्ट और दिल्ली बार काउंसिल को भेज दिया।
अदालत 2020 में न्यू उस्मानपुर पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी। मामले की सुनवाई 2021 से चल रही है। आरोपियों पर 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान हत्या, दंगा, सबूतों को गायब करने और गैरकानूनी सभा का हिस्सा होने सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं। एएसजे प्रमाचला के 7 अप्रैल के आदेश में कहा गया है, " वकील अनिल कुमार गोस्वामी ने स्पष्ट रूप से जवाब देते हुए कहा कि ‘कोई स्कोर सेटल कर रहे हैं क्या’ और ‘मुझे क्या मालूम आपने और स्टेनो ने क्या लिखा’।"
अदालत ने वकील को बताया कि आदेश पत्र से पता चलता है कि वह मामले में दोनों आरोपियों के वकील के रूप में पेश हो रहे है। उन्हें यह भी याद दिलाया गया कि उन्होंने खुद दावा किया था कि उन्होंने आरोपियों के लिए वकालतनामे पर हस्ताक्षर किए हैं। वकील की ‘अनुचित’ टिप्पणियों को सुनने के बाद जज ने कहा, "वकील अनिल कुमार गोस्वामी की इस तरह की प्रतिक्रिया चौंकाने वाली है और मुझे यह मानने के लिए मजबूर करती है कि वह अदालत में अलग इरादे से आए हैं, और मुझे इस बात पर कोई शक नहीं है कि वकील के इस तरह के आचरण को बार काउंसिल द्वारा बनाए गए नियमों के मापदंडों पर पेशेवर नहीं कहा जा सकता है।"
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एएसजे प्रमाचला ने कहा, "अनिल कुमार गोस्वामी का आचरण...संदिग्ध और आपत्तिजनक है। इसलिए, इसे दिल्ली बार काउंसिल के साथ-साथ माननीय दिल्ली हाईकोर्ट के पास भी मूल्यांकन के लिए भेजा जाता है। वकील की व्यावसायिकता और अनुचित टिप्पणियां करते हुए अदालत की कार्यवाही को बदनाम करने के मापदंडों पर आंकलन करने की अपेक्षा की जाती है।"